जयपुरः राजधानी के चारों तरफ कृषि भूमि पर अवैध कॉलोनियां काटने वाले भू कारोबारियों के हौसले बुलंद है. जेडीए के प्रवर्तन दस्ते की कार्रवाई के बावजूद अवैध कॉलोनियां परवान चढ़ रही हैं. नगर नियोजन को तार-तार करने वाले ऐसे भू कारोबारियों के खिलाफ कानून में सख्त कार्यवाही के प्रावधान है, इसके बावजूद कार्यवाही नहीं किए जाना जिम्मेदार सरकारी एजेंसियों की भूमि पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है.
राजधानी के बाहरी इलाकों में कृषि भूमि तेजी से अवैध कॉलोनियां काटी जा रही है. भू कारोबारी इकोलॉजिकल जोन को भी नहीं छोड़ रहे हैं. इन कॉलोनियों के खिलाफ जेडीए का प्रवर्तन दस्ता समय-समय पर कार्रवाई तो करता है,लेकिन जेडीए की कार्रवाई अवैध कॉलोनी काटने वाले भू कारोबारियों के हौसले पस्त नहीं कर पाती है. जिस दिन जेडीए का बुलडोजर अवैध कॉलोनी पर चलता है, उसके दूसरे दिन ही अवैध कॉलोनी बसाने के लिए सड़क बिछाने,चारदीवारी बनाने व अन्य निर्माण कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं. दुबारा कॉलोनी बसाने की सूचना पर फिर जेडीए का प्रवर्तन दस्ता कार्रवाई करता है, इसके बाद फिर से कॉलोनी बसाने की कवायद शुरू कर दी जाती है. कई मामलों में जेडीए का प्रवर्तन दस्ता तीन-तीन बार कार्रवाई कर चुका है, उसके बावजूद अवैध कॉलोनियों पर प्रभावी अंकुश नहीं लग पा रहा है. आपको बताते हैं कि जेडीए की तोड़फोड़ के बावजूद अवैध कॉलोनी काटने का सिलसिला बदस्तूर जारी रहता है.
-जेडीए के प्रवर्तन दस्ते की ओर से वर्ष 2024 में 383 अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी
-वर्ष 2025 में अब तक 325 अवैध कॉलोनियों के खिलाफ तोड़फोड़ की जा चुकी है
-इस तरह पिछले दो साल में जेडीए का प्रवर्तन दस्ता 708 अवैध कॉलोनियां बसाने का प्रयास विफल कर चुका है
-ये आकड़े बताते हैं कि किस तरह राजधानी में अवैध कॉलोनियों की बाढ़ आई हुई है
-आगरा रोड ग्राम बस्सी में रीको के पास 7 बीघा भूमि पर वेयर हाउस के नाम से अवैध कॉलोनी बसाई जा रही थी
-जेडीए के प्रवर्तन दस्ते ने कॉलोनी के लिए किए गए निर्माणों को 21 अगस्त को ध्वस्त किया
-इसके बावजूद कॉलोनी में निर्माण जारी रहा,इसके चलते जेडीए के प्रवर्तन दस्ते ने 28 अक्टूबर को फिर कार्रवाई की
-2 मई को जेडीए के प्रवर्तन दस्ते ने ग्राम पीपला भरत सिंह में 4 बीघा भूमि पर बस रही अवैध कॉलोनी में तोड़फोड़ की थी
-फिर भी निर्माण होने के चलते 4 सितंबर को फिर से प्रवर्तन दस्ते को तोड़फोड़ करनी पड़ी
-डिग्गी रोड पर ग्राम पवालिया स्थित अवैध कॉलोनी वृंदावन विहार का तो मामला ऐसा है कि
-जेडीए के प्रवर्तन दस्ते ने यहां चार कॉलोनी बसाने के लिए किए निर्माणों को ध्वस्त किया
-इस मामले में जेडीए के प्रवर्तन दस्ते ने 20 नवंबर 2024, 7 फरवरी 2025, 16 मई 2025 और
-इसके बाद 29 सितंबर को अवैध कॉलोनी में किए निर्माणों को धराशायी किया
-बेगस रोड पर नेचर फार्म के नाम से बसाई जा रही अवैध कॉलोनी के मामले में तीन बार कार्रवाई की गई
-जेडीए के प्रवर्तन दस्ते ने पिछले वर्ष 11 अक्टूबर,20 नवंबर और इस वर्ष 4 मार्च को यहां कार्रवाई की
-ग्राम अभयपुरा कपूरावाला रोड पर तो जेडीए के प्रवर्तन दस्ते को 19 दिन बाद की कार्रवाई करनी पड़ी
-यहां 6 बीघा कृषि भूमि पर बालाजी विहार के नाम से बसाई जा रही अवैध कॉलोनी के खिलाफ 3 मार्च को कार्रवाई की थी
-इसके बावजूद अवैध कॉलोनी में निर्माण जारी रहने के कारण 22 मार्च को जेडीए के प्रवर्तन दस्ते फिर तोड़फोड़ की
अवैध कॉलोनियों के कारण शहर में ना केवल अवैध बसावट को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि नगर नियोजन को धत्ता बताया जा रहा है. इन कॉलोनियों के माध्यम से जेडीए के खजाने में भी जमकर सेंधमारी की जा रही है. आपको बताते हैं कि अवैध कॉलोनियों पर प्रभावी अंकुश लगाना क्यों है जरूरी
-राजधानी में लागू जेडीए के मास्टर प्लान में पूरे जेडीए रीजन का भू उपयोग निर्धारित किया हुआ है
-शहर के नियोजित विकास के लिए इस भू उपयोग के अनुसार जेडीए विभिन्न गतिविधियों की स्वीकृति देता है
-मास्टर प्लान 2011 में निर्धारित इकोलॉजिकल जोन में बसावट को लेकर कड़े मापदंड निर्धारित किए हैं
-गुलाब कोठारी प्रकरण में हाईकोर्ट ने भी इस जोन के पूरी तरह संरक्षण के आदेश दिए हैं
-आवासीय,व्यावसायिक,संस्थानिक व अन्य गतिविधियों की स्वीकृति देने के टाउनशिप पॉलिसी और
-शहर में लागू भवन विनियमों में प्रावधान किए हुए हैं
-इन नियम-कायदों की पालना के पीछे उद्देश्य यही है कि शहर के लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें
-लेकिन इन सब नियम-कायदों की धज्जियां उड़ाते हुए जेडीए की बिना स्वीकृति अवैध कॉलोनियां परवान चढ़ रही हैं
-अवैध कॉलोनी में अधिक से अधिक भूमि बेचने के फेर में संकड़ी सड़कें और ना के बराबर पार्क व अन्य सुविधा छोड़ी जाती है
-ऐसे में यहां रहने वाले लोगों का जीवन नारकीय बन जाता है
-यहीं नहीं अवैध कॉलोनियां के कारण बेतरतीब विकास से आगामी वर्षों के अनुसार की गई प्लानिंग धरी रह जाती है
-कृषि भूमि पर सीधे काटी जा रही अवैध कॉलोनियां ना केवल नियोजित विकास के लिए घातक हैं
-बल्कि इनके कारण सरकारी राजस्व की भी भारी हानि भी हो रही है
-कोई भी कॉलोनी लाने से पहले कृषि भूमि के भू रूपांतरण के लिए जेडीए कार्यवाही करता है
-राजस्थान भू राजस्व अधिनियम की धारा 90 ए के तहत जेडीए कार्यवाही करता है
-इसके बाद कॉलोनी का ले आउट प्लान अनुमोदन किया जाता है
-ले आउट प्लान अनुमोदन के बाद कॉलोनी के आवंटियों को जेडीए पट्टे देता है
-इन तमाम प्रक्रियाओं के लिए जेडीए की ओर से विभिन्न शुल्क वसूले जाते हैं
-लेकिन कृषि भूमि पर सीधे ही अवैध कॉलोनी काटने से इन शुल्कों को राशि जेडीए को नहीं मिलती है
इन अवैध कॉलोनियों की रोकथाम के लिए जरूरी है कॉलोनी काटने वाले भू कारोबारी या भूमि के खातेदार के खिलाफ कारगर कार्रवाई की जाए. इसके लिए राजस्थान काश्तकारी अधिनियम में प्रावधान है. इस प्रावधान की पालना की जाए तो भू कारोबारियों के हौसलें इस कदर पस्त हो जाएंगे कि वे कभी अवैध कॉलोनी काटने के बारे में नहीं सोचेंगे. आपको बताते हैं कि आखिर क्या है ये प्रावधान और इस प्रावधान की पालना में किस कदर की जा रही है खानापूर्ति-
-राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 की धारा 177 के अनुसार ऐसे मामलों में भूमि के खातेदार की खातेदारी निरस्त करने के प्रावधान है
-कृषि भूमि के बिना सक्षम स्वीकृति गैर कृषि उपयोग करने वाले खातेदार की खातेदारी निरस्त करने के प्रावधान हैं
-इस कानून की धारा 177 व 178 के अनुसार बिना स्वीकृति गैर कृषि उपयोग होने पर संबंधित तहसीलदार वाद दायर करते हैं
-उपखंड अधिकारी न्यायालय में यह वाद दायर किया जाता है
-इस पर न्यायालय की ओर से अपना पक्ष रखने के लिए संबंधित खातेदार को नोटिस जारी किए जाते हैं
-तहसीलदार और खातेदार दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायालय खातेदारी निरस्त करने के बारे में फैसला करता है
-जेडीए की ओर से इस धारा 177 के तहत पिछले पांच वर्षों में अब तक कुल 422 प्रकरण तहसील कार्यालय को भिजवाए जा चुके हैं
-ताकि संबंधित तहसीलदार एसडीएम न्यायालय में बिना स्वीकृति गैर कृषि उपयोग का वाद दायर करें
-जेडीए की ओर से तहसील कार्यालयों में वर्ष 2020 में 3 प्रकरण,वर्ष 2021में 45 प्रकरण,वर्ष 2022 में 53 प्रकरण,
-वर्ष 2023 में 66 प्रकरण, वर्ष 2024 में 99 प्रकरण और वर्ष 2025 में अब तक 156 प्रकरण भेजे जा चुके हैं
-लेकिन इनमें से किसी भी मामले में संबंधित खातेदार की खातेदारी निरस्त नहीं की गई है
-जानकारों के अनुसार कई प्रकरण तो तहसील कार्यालयों से ही आगे नहीं बढ़े
-कुछ प्रकरण जो एसडीएम न्यायालय पहुंच गए,उनमें भी प्रभावी कार्यवाही नहीं हो रही है
-हालांकि जेडीए आयुक्त आनंदी हर समीक्षा बैठक में जोन उपायुक्तों को भेजे गए प्रकरणों के फॉलोअप के निर्देश देती हैं
-लेकिन अंतिम पड़ाव तक प्रभावी मॉनिटरिंग के अभाव में कोई भी प्रकरण अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाया
-यह पूरा मामला इस कानून में जिम्मेदार एजेंसियों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है
-जानकारों का कहना है कि नजीर के तौर पर दस-बारह प्रकरणों में भी खातेदारी निरस्त कर दी जाए
-तो अवैध कॉलोनियां के बढ़ते नासूर को काफी हद तक खत्म किया जा सकता है