जैसलमेरः राजस्थान के पश्चिमी जिलों के लिए जीवनरेखा मानी जाने वाली इंदिरा गांधी नहर परियोजना की नहरबंदी 26 मार्च से शुरू होने जा रही है. यह नहरबंदी 27 मई तक जारी रहेगी, जिससे नहरी किसानों को इस बार सिंचाई का पानी नहीं मिलेगा. पहले 30 दिनों तक केवल पेयजल के लिए 2 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा, जबकि 27 अप्रैल से 27 मई तक नहर में पूरी तरह से पानी की आपूर्ति बंद कर दी जाएगी.
जल संकट की आशंका, विभाग कर रहा तैयारियां
इंदिरा गांधी नहर परियोजना से जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों में पेयजल और सिंचाई की आपूर्ति होती है. नहरबंदी के चलते इन जिलों में जल संकट गहराने की संभावना है. जल संसाधन विभाग और जलदाय विभाग ने इस समस्या से निपटने के लिए जल भंडारण की तैयारियां शुरू कर दी हैं. आंशिक क्लोजर के दौरान भी 2 हजार क्यूसेक पानी फीडर से लिया जाएगा, जिससे पेयजल की कमी को कुछ हद तक कम किया जा सके.
पंजाब में 60 दिन तक रहेगा क्लोजर, रिजाइनिंग का काम होगा
इंदिरा गांधी नहर परियोजना के रिजाइनिंग कार्य के लिए यह नहरबंदी की जा रही है. पंजाब में पूरे 60 दिन का क्लोजर रहेगा, जिसमें नहर की मरम्मत और सफाई का कार्य किया जाएगा. हर साल अप्रैल में नहरबंदी कर इस कार्य को पूरा किया जाता है. इस बार भी पंजाब सरकार की अनुमति के बाद ही नहरबंदी लागू की जाएगी.
2018 में 3,291 करोड़ का प्रोजेक्ट हुआ था स्वीकृत
इंदिरा गांधी नहर परियोजना की रिजाइनिंग और अन्य कार्यों के लिए 2018 में न्यू डवलपमेंट बैंक से 3,291 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया था. इसी के तहत इंदिरा गांधी मुख्य नहर और इसकी वितरिकाओं की रिजाइनिंग की जानी थी. 2018 में ही जल संसाधन विभाग ने लोहगढ़ हैड (496 RD) से इस कार्य की शुरुआत कर दी थी. इसके बाद हर साल अप्रैल में नहरबंदी कर मरम्मत और सफाई का काम किया जाता है.
गर्मी में बढ़ेगी जल संकट की समस्या
गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत आम बात होती है, लेकिन 60 दिनों की नहरबंदी से यह समस्या और गंभीर हो सकती है. पेयजल संकट को कम करने के लिए जलदाय विभाग पहले से ही पानी का भंडारण कर रहा है. यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि नहरबंदी के दौरान लोगों को पीने के पानी की दिक्कत न हो.
मुख्य बिंदु:
26 मार्च से 27 मई तक 60 दिन की नहरबंदी होगी.
26 अप्रैल तक केवल पेयजल के लिए 2 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा.
27 अप्रैल से 27 मई तक नहर पूरी तरह से बंद रहेगी.
जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, बीकानेर, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों की पेयजल व्यवस्था प्रभावित होगी.
2018 में 3,291 करोड़ की रिजाइनिंग परियोजना को मंजूरी मिली थी.
पंजाब में 60 दिनों तक पूरी तरह से नहर का क्लोजर रहेगा.
क्या होगा असर?
इस नहरबंदी से सबसे ज्यादा किसानों और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को परेशानी होगी. चूंकि यह नहर राजस्थान के कई जिलों में पेयजल और सिंचाई की मुख्य स्रोत है, ऐसे में पानी की कमी से खेती और पशुपालन पर भी असर पड़ेगा. हालाँकि, सरकार और प्रशासन जल भंडारण और वैकल्पिक जल आपूर्ति के माध्यम से इस स्थिति से निपटने का प्रयास कर रहे हैं. इंदिरा गांधी नहर की यह नहरबंदी हर साल की तरह आवश्यक मरम्मत और सफाई के लिए की जा रही है. हालांकि, इस दौरान जल संकट की आशंका को देखते हुए जलदाय विभाग और जल संसाधन विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि लोगों को पीने के पानी की कमी न हो, लेकिन सिंचाई प्रभावित होने से किसानों को परेशानी उठानी पड़ सकती है.