जयपुर: विश्व जल दिवस के उपलक्ष्य में आज द फ्यूचर सोसाइटी और यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में नीति-निर्माता, विशेषज्ञ, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया और जल संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा करेंगे. साथ ही, राजस्थान में जल संरक्षण के सफल प्रयासों को भी प्रस्तुत किया, जिससे जल संकट से निपटने के लिए प्रेरणादायक समाधान सामने आ सकें.
इंदिरा गांधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान में आयोजित कार्यशाला में जल संरक्षण, जलवायु परिवर्तन और मीडिया की भूमिका पर व्यापक चर्चा की गई. इस दौरान राजस्थान में सतही और भूजल की स्थिति को बेहतर करने और जल संरक्षण में आमजन की सहभागिता बढ़ाने पर जोर दिया गया. कार्यक्रम के दौरान यूनिसेफ राजस्थान के प्रमुख अधिकारी रुषभ हेमानी ने जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों पर प्रकाश डाला. उधर, वाटरशेड डिपार्टमेंट के निदेशक मोहम्मद जुनैद ने सरकार की तरफ से चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी देते हुए जनसहभागिता बढ़ाने पर जोर दिया.
जलदाय विभाग के अधीक्षण अभियंता सतीश जैन ने जल जीवन मिशन में अब तक हुए कार्यों की जानकारी देते हुए कहा कि पांच साल के भीतर हर घर नल से जल दिया जा सकेगा. लेकिन सतही जल का संरक्षण बढ़ाना होगा ताकि भविष्य के लिए बेहतर परिणाम सामने आ सकें. भूजल विभाग अधिशासी हाइड्रोलॉजिस्ट विनय भारद्वाज ने कहा कि राजस्थान में 72 प्रतिशत भाग अतिदोहित है. कुछ ब्लाक को छोड़कर प्रदेशभर में तेजी से भूजल नीचे जा रहा है. जन जागरूकता के तहत ही भूजल को बचाया जा सकता है. कार्यशाला के दौरान मिषा (क्लाइमेट चैंपियन) और श्याम प्रताप सिंह राठौड़ (युवा सरपंच, जहोता) ने अपने अनुभव साझा किए. डांग क्षेत्र में जल संरक्षण का काम कर रहे करौली के ग्राम सेवक मुरारी और जगदीश ने बताया कि वर्षा जल बचाने के योजना के तहत करीब 10 हजार परिवार साल भर वर्षा का जल काम ले रहे हैं.
कार्यशाला के दौरान जलवायु परिवर्तन और जल संरक्षण जैसे जटिल विषयों को लेकर मीडिया प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार साझा करते हुए कहा कि सरकार की पहल के साथ ही जिम्मेदार विभागों को भी अपने कर्तव्य निभाने होंगे. साथ ही ऐसा प्रोग्राम चलाया जाए, जिससे जन सहभागिता के तहत जल संरक्षण का काम किया जा सके. द फ्यूचर सोसाइटी कि रविता शर्मा ने कार्यक्रम का संचालन किया.