जयपुर: प्रदेश में अवैध बस संचालन पर जयपुर RTO द्वितीय और उनकी टीम ने बीते दिनों में प्रभावी कार्रवाई की है. अगर ऐसा ही अभियान पूरे प्रदेश में चले तो अवैध बसों के संचालन को खत्म किया जा सकता है और सड़क हादसों को भी सीमित किया जा सकता है.
प्रदेश में बीते कुछ महीनीं में सड़क हादसों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है. प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसों का एक प्रमुख कारण अवैध बसों का संचालन भी है. लेकिन सच्चाई यह है की अवैध वाहनों पर कार्रवाई करने में परिवहन विभाग का फोकस कभी बसों पर नहीं रहा है. बीते एक साल में जयपुर RTO द्वितीय की टीम ने अवैध बसों पर कड़ी कार्रवाई कर ना सिर्फ इस धारणा को तोड़ा है कि बसों पर कार्रवाई नहीं हो सकती बल्कि अपने रीजन में अवैध बसों के संचालन को बहुत सीमित भी कर दिया है. जयपुर RTO द्वितीय धर्मेंद्र चौधरी की अगुवाई में इस अभियान ने न केवल जयपुर-दिल्ली मार्ग पर अनियमित वाहनों की जांच की, बल्कि पूरे राज्य में एक मजबूत संदेश भी भेजा है कि कानून का पालन हर कीमत पर सुनिश्चित किया जाएगा. RTO जयपुर द्वितीय के नेतृत्व में चलाए जा रहे विशेष अभियान के लिए परिवहन विभाग के उड़नदस्तों को पेशेवर दृष्टिकोण से काम करने के लिए परिवहन निरीक्षकों और अधिकारियों को फर्जी चेसिस नंबर, पंजीकरण और वाहनों के तकनीकी मापदंडों की पहचान के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने वाहनों के काउल नंबर, फ्रेम नंबर, एक्सल नंबर, व्हील बेस और इंजन नंबर जैसे महत्वपूर्ण विवरणों की जांच सुनिश्चित की.
जयपुर RTO द्वितीय के इस अभियान की खासियत यह रही कि अभियान में ज़ीरो टॉलरेंस के साथ काम किया गया. प्रदेश के बाहर से आने वाली बसों की जाँच भी प्राथमिकता से की गई. गड़बड़ी मिलने पर RTO की टीमों ने नियमों के अनुसार कार्रवाई भी की. जयपुर RTO द्वितीय के इस अभियान से कम से कम जयपुर RTO द्वितीय के रीजन में अवैध बसों के संचालन में काफ़ी कमी आई है.
जयपुर आरटीओ द्वितीय के अभियान की प्रमुख उपलब्धियां:
1. फर्जी वाहनों की पहचान और जब्ती: अन्य राज्यों, विशेषकर नागालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पंजीकृत वाहनों की पहचान कर 13 प्राथमिकी दर्ज की गईं इन वाहनों में नकली चेसिस नंबर, फर्जी पंजीकरण और बिना टैक्स भुगतान के संचालन के मामले सामने आए.
2. बस बॉडी कोड का उल्लंघन: अभियान में यह पाया गया कि 108 बसें यात्रियों की सुरक्षा के लिए अनिवार्य AIS 52 और AIS 119 बस बॉडी कोड का उल्लंघन कर रही थीं इन वाहनों को चिह्नित कर न केवल जब्त किया गया, बल्कि उनकी जांच के बाद सख्त कार्रवाई भी की गई.
3. कर चोरी पर रोक बिना कर और बिना परमिट के संचालित हो रही बसों को टैक्स के दायरे में लाया गया, जिससे हर महीने लाखों रुपये का राजस्व प्राप्त हो रहा है.
4. यात्रियों की सुरक्षा: यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त मानकों को लागू किया गया। हाल ही में जयपुर में स्लीपर बस अग्निकांड की घटना ने बस बॉडी कोड के पालन की आवश्यकता को उजागर किया विभाग ने इस दिशा में प्रभावी कदम उठाते हुए यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी.
5. अन्य राज्यों में पंजीकृत वाहनों की जांच: फर्जी पंजीकरण के मामलों में यह भी पाया गया कि कुछ वाहन निर्माता कंपनियों के डेटा में नहीं थे. यह दिखाता है कि इन वाहनों को फर्जी तरीके से पंजीकृत किया गया था.