जयपुर: लोकसभा चुनाव 2024 का रण परवान पर है. लोकसभा चुनाव के अतीत के इतिहास की बात करें तो राजस्थान में अब तक करीब 11 नेता ही निर्दलीय सांसद चुने गए है. लास्ट 2009 के चुनाव में किरोड़ी मीणा दौसा से निर्दलीय सांसद चुने गए थे. उसके बाद आखिरी दो लोकसभा चुनाव में कोई भी नेता निर्दलीय सांसद राजस्थान से निर्वाचित नहीं हुआ है.
वैसे तो राजस्थान सियासी नजरिए से टू रूलिंग पार्टी वाला ही स्टेट है. यानि मुख्य मुकाबला यहां अधिकतर भाजपा और कांग्रेस के बीच में ही होता है. अब चाहे वह विधानसभा चुनाव की जंग हो या फिर लोकसभा चुनाव की लेकिन विधानसभा चुनाव में तो कईं निर्दलीय विधायक जीतकर आ जाते है. पर लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों की पार नहीं पड़ती. यही वजह रही है कि पहले आम चुनाव 1952 से लेकर अब तक हुए चुनाव में सिर्फ 11 निर्दलीय उम्मीदवार ही ऐसे भाग्यशाली रहे जिन्होंने संसद तक का सफर तय किया. निर्दलीय सांसद निर्वाचित होने वालों में बूंटा सिंह और किरोड़ी मीणा जैसे दिग्गज नेताओं के नाम शुमार है.
--- निर्दलीय सांसद निर्वाचित होने का इतिहास ---
निर्दलीय सांसद नाम वर्ष लोकसभा सीट
करणी सिंह-------- 1952 से 1971--- बीकानेर
हरिश्चंद्र शर्मा---------- 1957-------- जयपुर
जीडी सोमानी--------- 1957-------- नागौर
जसवंत राज मेहता---- 1952------- जोधपुर
कृष्णा कुमारी-------- 1971------- जोधपुर
काशीराम गुप्ता------ 1962------- अलवर
गिरिराज सिंह------- 1952-------- भरतपुर
जनरल अजीत सिंह-- 1952------- पाली
भवानी सिंह---------- 1952------ जालौर-सिरोही
बूटा सिंह---------- 1998------- जालौर-सिरोही
किरोड़ी लाल मीणा--2009------दौसा
बीकानेर,जयपुर और जोधपुर जैसी लोकसभा सीटों पर पहले और दूसरे आम चुनाव में पूर्व राजपरिवार से जुड़े कईं सदस्य कईं बार निर्दलीय सांसद चुने गए. क्योंकि उनका जनता से सीधा लगाव था और जनता भी राजघराने के सदस्य होने के चलते पूरा उनका सम्मान करती थी. देश के पहले आम चुनाव 1952 में राजस्थान से सबसे ज्यादा पांच निर्दलीय सांसद चुने गए थे. करणी सिहं बीकानेर से तकरीबन पांच बार निर्दलीय सांसद चुने गए थे. कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे बूटा सिंह भी 1998 में टिकट कटने के बाद बागी होकर जालोर से निर्दलीय चुनाव लड़े और सांसद चुने गए थे.
राजस्थान में पिछले दो लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में कोई निर्दलीय सांसद निर्वाचित नहीं हुआ. दरअसल एक लोकसभा में करीब 8 विधानसभा आती है और लाखों की तादाद में वोटर होते हैं. लिहाजा 8 विधानसभा में समीकरण साधना और माहौल बनाना निर्दलीय प्रत्याशी के लिए बेहद चैलेजिंग होता है. यही वजह रही कि अब तक हुए 17 लोकसभा लोकसभा में सिर्फ 11 निर्दलीय सांसद ही निर्वाचित हो पाए.
...फर्स्ट इंडिया के लिए दिनेश डांगी की रिपोर्ट