Jaisalmer News: पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में माउंटेड गन सिस्टम का हुआ परीक्षण, दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देगी भारत की ये माउंटेड गन

जैसलमेर: इंडियन फोर्स दुनिया की ताकतवर सेनाओं में से एक हैं. दुनिया की ताकतवार फोर्सेज में चौथे नंबर पर आने वाली भारतीय सेना को लगातार अपग्रेड किया जा रहा है. भारत सरकार भी बजट का बड़ा हिस्सा सेना पर खर्च कर रही है. जिसके बलबूते सेना के तीनों अंग थल, जल और वायु मजबूत हो रहे हैं. नए वैपन की टेस्टिंग और एक्सरसाइज की जा रही है. जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में डेजर्ट स्ट्राइक से सैन्य हथियारों की गूंज से जमीन से लेकर आसमान तक थर्रा गए हैं. 

इसी बीच सीमावर्ती जिले जैसलमेर में दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए माउंटेड गन की गूंज सुनाई दी जिससे पोकरण की धरा थरा उठी. DRDO ने हाल ही में पोकरण में 155x52 ATAGS को BEML के ऑर्मर्ड ट्रक पर लगाकर उसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अधिकारियों ने पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में मेड इन इंडिया परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया. यह भारतीय सेना के तोपखाने आधुनिकीकरण कार्यक्रम के एक भाग के रूप में DRDO द्वारा मिशन मोड में पूरी तरह से स्वदेशी टोड आर्टिलरी गन सिस्टम प्रोजेक्ट है.

रेट ऑफ फायर की बात करें तो 60 सेकंड में 5 राउंड दाग सकती है. माउंटेन आर्टिलरी गन की मतलब है गाड़ी पर तैनात तोप. इस तरह की गन का सबसे बड़ा फ़ायदा होता है कि जब भी जंग की सूरत में आर्टेलरी गन से फायर किया जाता है तो उसके राउंड के एलिवेशन से दुश्मन के गन के लोकेशन का आसानी से पता लगा लेता है और फिर वो अपनी तोपों से निशाना बनाना शुरू कर देता है. वहीं  माउंडेट गन एक बार फायर करने के बाद तुरंत अपनी लोकेशन बदल सकता है. यानी दुश्मन के फायर से बचाव हो जाता है.

ये ऑल मोबिलिटी वेहिकल है और खास तौर पर हाई अल्टीट्यूड इलाके के लिए बनाई गई है. भारतीय सेना कुल 814 माउंटेड गन को अपनी आर्टेलरी रेजिमेंट में शामिल करने की तैयारी में है. भारत और चीन के बीच एलएसी पर विवाद के दौरान चीन में बडी संख्या में वेहिक्ल माउंडेट गन सिस्टम को तैनात किया था. अगर हम पूरे आधुनिकीकरण प्रक्रिया की बात करें तो भारतीय सेना 1580 टोड तोप, जो की गाड़ियों के ज़रिये खींची जाने वाली तोपें शामिल करने की तैयारी में है.