Navratri 2023: देश-प्रदेश में शक्ति-भक्ति का पर्व शारदीय नवरात्रि की धूम, आज दूसरे दिन हो रही देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा

जयपुर: देश-प्रदेश में शक्ति-भक्ति के पर्व शारदीय नवरात्रि की धूम है. 9 दिन घरों-मंदिरों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होगी. आज दूसरे दिन मां भगवती के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा हो रही है. देश-प्रदेश में गांव, गली-मोहल्लों में माता राणी के दरबार सजे हैं. जोधपुर में चामुंडा माता, बांसवाड़ा में त्रिपुरा सुंदरी, पल्लू में ब्रह्मणी माता, करौली में कैला मैया, देशनोक में करणी माता, जैसलमेर में ज्वाला माता, नागरौ में भुंवाल माता, दौसा के लालसोट में पपलाज माता, गोठमांगलोद में दधिमथी माता, सीकर में जीण माता, जालोर में सुंधा माता, टोंक में इंद्रगढ़ माता समते देवी धामों पर मेले का माहौल है. 

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर 2023 से हो चुकी है. पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा अर्चना के बाद 16 अक्टूबर यानी सोमवार को शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी का होता है. आज के दिन माता की पूजा अर्चना करने से सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. मां ब्रह्मचारिणी के नाम में ही कई तरह की शक्तियां मिलती है. माता ब्रह्मचारिणीके के नाम में ब्रह्मा का अर्थ तपस्या और चारिणी का अर्थ आचरण से है. इसका पूर्ण अर्थ तप का आचरण करने वाली माता शक्ति मां ब्रह्मचारिणी से है. माता की पूजा अर्चना, आराधन करने से व्यक्ति को तप, त्याग और संयम की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं आज माता ब्रह्माचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि, मंत्र, कथा और भोग प्रसाद

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की विधि:- 

शारदीय नवरात्रा का दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है. इस दिन माता की पूजा पूरे विधि विधान से करने पर माता कृपा करती है. पूजा में कोई गलती न हो. इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए. 

माता की ब्रह्मचारिणी की पूजा की के लिए सुबह उठकर स्नान करें और साफ सुधरे वस्त्र धारण करें. 
- माता को अक्षत चंदन और रोली चढ़ाएं.
- माता रानी को कमल और गुड़हल के फूल बहुत ही प्रिय हैं, इसलिए माता की इन फूलों जरूर अर्पित करें. इसे माता रानी प्रसन्न होती हैं. 
- कलश देवता और नवग्रह मंत्र की विधिवत पूजा करें.
-माता की आरती करते समय घी के दीपक और कपूर से करें.  -माता के मंत्रों का जाप जरूर करें. 

ब्रह्मचारिणी के इन मंत्रों का करें जप:

दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू.
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा..
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्.
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन.
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:..
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं ब्रह्मचारिणीय नमः. ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:..

मां ब्रह्माचारिणी को लगाएं ये भोग:

मां ब्रह्मचारिणी को दूध से बनी मिठाईयां बेहद प्रिय हैं. माता को दूध से बनी मिठाईयों के अलावा फलों में केल आदि का भोग लगाएं. इससे माता ब्रह्मचारिणी प्रसन्न होती हैं. माता रानी अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के साथ ही कृपा करती हैं. माता की कृपा पाते ही व्यक्ति के हर कष्ट नष्ट हो जाते हैं. 

मां ब्रह्मचारिणी की कथा:

मां ब्रह्मचारिणी ने राजा हिमालय के घर में पुत्री के रूप जन्म लिया था. यहां देवर्षि नारद के उपदेश से इन्होंने भगवान शंकर को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तपस्या की थी. इस दुष्कर तपस्या के कारण इन्हें माता को तपस्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया. कथा के अनुसार, एक हज़ार वर्षों तक माता ने सिर्फ फल, मूल खाकर व्यतीत किए और सौ वर्षों तक केवल शाक पर निर्वाह किया था. कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखते हुए देवी ने खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के भयानक कष्ट भी सहे. कई हज़ार वर्षों की इस कठिन तपस्या के कारण ब्रह्मचारिणी देवी का शरीर एकदम क्षीण हो उठा, उनकी यह दशा देखकर उनकी माता मैना अत्यंत दुखी हुई और उन्होंने उन्हें इस कठिन तपस्या से विरक्त करने के लिए आवाज़ दी उमा, तब से देवी ब्रह्मचारिणी का एक नाम उमा भी पड़ गया. उनकी इस तपस्या से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया. देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी देवी ब्रह्मचारिणी की इस तपस्या को अभूतपूर्व पुण्यकृत्य बताते हुए उनकी सराहना करने लगे.

आकाशवाणी ने दी तपस्या फलित की सूचना:

अंत में पितामह ब्रह्मा जी ने आकाशवाणी के द्वारा उन्हें संबोधित करते हुए प्रसन्न स्वर में कहा- देवी! आज तक किसी ने ऐसी कठोर तपस्या नहीं की जैसी तुमने की है. तुम्हारे इस कृत्य की चारों ओर सराहना हो रही हैं. तुम्हारी मनोकामना सर्वतोभावेन परिपूर्ण होगी. भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हे पति रूप में प्राप्त अवश्य होंगे. अब तुम तपस्या से विरत होकर घर लौट जाओ शीघ्र ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं. इसके बाद माता घर लौट आएं और कुछ दिनों बाद ब्रह्मा के लेख के अनुसार उनका विवाह महादेव शिव के साथ हो गया.