VIDEO: पेट्रोलियम राजस्व में बना नया रिकॉर्ड! वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में मिला 3960 करोड़ का राजस्व, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राज्य में खनिज तेल और प्राकृतिक गैस क्षेत्र में राजस्व अर्जन का नया रिकार्ड बनाया गया है. चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में 3960 करोड़ से ज्यादा राजस्व अर्जित कर यह सफलता हासिल की है. खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने इस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बताया कि माइंस एवं पेट्रोलियम विभाग द्वारा राज्य में राजस्व अर्जन के नित नए आयाम स्थापित किए जा रहे हैं. वित्त वर्ष समाप्ति तक पेट्रोलियम राजस्व 6 हजार के जादुई आंकडे पर होगा.

अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि चालू वित्त वर्ष पहले 9 महीनों में खनिज तेल और प्राकृतिक गैस क्षेत्र से 3960 करोड़ 22 लाख रुपए का राजस्व अर्जित किया गया है. यह पिछले वर्ष इस अवधि के राजस्व की तुलना में 18 फीसदी से भी अधिक है. डॉ. अग्रवाल ने बताया कि 31 दिसंबर तक की अवधि में पेट्रोलियम राजस्व का यह नया रिकॉर्ड है. इन 9 महीनों में जहां 28.29 मिलियन बैरल कच्चे तेल का उत्पादन हुआ है तो 1226.64 मिलियल क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस का उत्पादन हुआ है.

राजस्व के मासिक आंकड़ों पर नजर डालें तो अप्रेल में 550 करोड़ से ज्यादा राजस्व मिला, वहीं मई में 422 करोड़, जून में 529 करोड़, जुलाई में सर्वाधिक 556 करोड़ रुपए राजस्व मिला है. इसके बाद के महीनों में कच्चे तेल के दामों में कमी आने से उत्पादन तो ज्यादा हुआ लेकिन राजस्व में जरूर कमी आई. अब वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में पेट्रोलियम राजस्व का आंकड़ा 6 हजार करोड़ के स्तर को छू सकता है. पिछले वित्त वर्ष की बात करें तो मार्च 22 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में राज्य में प्राकृतिक गैस के उत्पादन में विगत 13 साल में सात गुणा बढ़ोतरी हुई थी तो राज्य सरकार को राजस्व प्राप्ति में 113 गुणा से भी अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई. बीते वित्तीय वर्ष में रेकार्ड 1570 मिलियन क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस का उत्पादन कर 384 करोड़ 54 रुपए राजस्व प्राप्त हुआ है.

प्रदेश में औसतन एक लाख 13 हजार बैरल प्रतिदिन से एक लाख 14 हजार बैरल प्रतिदिन खनिज तेल का उत्पादन किया जा रहा हैं. एसीएस माइंस, पेट्रोलियम डॉ. अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में पेट्रोलियम और गैस के विपुल भण्डार है. राज्य में केयर्न वेदांता, फोकस एनर्जी और ऑयल इंडिया द्वारा प्राकृतिक गैस का उत्पादन किया जा रहा है. इसमें सर्वाधिक गैस का उत्पादन केयर्न वेदांता द्वारा बाड़मेर के रागेश्वरी व आसपास के क्षेत्र में किया जा रहा है. फोकस एनर्जी द्वारा जैसलमेर के शाहगढ़ और ऑयल इंडिया द्वारा जैसलमेर के तनोट डांडेवाला क्षेत्र में किया जा रहा है. ओएनजीसी के मनहेरा टीब्बा क्षेत्र मेें उत्पादन दुबारा शुरु करने के लिए गैस डिहाइड्रेशन यूूनिट लगाई जा रही है.

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि राज्य में 14 जिलों के डेढ़ लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चार पेट्रोलियम बेसिन फैले हए हैं. बाड़मेर-सांचोर बेसिन, जैसलमेर बेसिन, बीकानेर-नागौर बेसिन में बीकानेर, नागौर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और चूरु व विंध्यान बेसिन में कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़, भीलवाड़ा और चित्तोडगढ़ जिले का कुछ हिस्सा शामिल है. उन्होंने बताया कि बाड़मेर बेसिन में क्रूड ऑयल के उत्पादन को बनाए रखने के लिए एनहांस्ड ऑयल रिकवरी तकनीक का उपयोग किया जा रहा है. अतिरिक्त निदेशक पेट्रोलियम अजय शर्मा ने बताया कि हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एण्ड लाइसेंसिंग पालिसी के तहत प्रदेश में बाड़मेर-सांचोर, जैसलमेर और बीकानेर-नागौर बेसिन में क्रूड ऑयल एवं प्राकृतिक गैस की खोज और विकास के लिए ओएनजीसी, ऑयल इंडिया लिमिटेड, केयर्न-वेदांता लिमिटेड को 15 पेट्रोलियम एक्सप्लोरेशन लाइसेंस और 1 डिस्कवर्ड स्मॉल फील्ड्स पीएमएल ब्लॉक आवंटित किया हुआ है.