जयपुर: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे विकास की नई इबारत लिखने जा रहा है. इस एक्सप्रेस वे पर दिल्ली से लालसोट के बड़ का पाड़ा तक यातायात शुरू किया जाएगा. एनएचएआई 28 जनवरी से इस एक्सप्रेस वे पर दिल्ली से लालसोट तक यातायात शुरू करने पर विचार कर रहा है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समय मांगा गया है. वैसे दिल्ली से मुंबई तक के इस प्रोजेक्ट पर इस वर्ष दिसंबर से यातायात शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है.
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे दिल्ली से लालसोट तक तैयार
- 28 जनवरी से शुरू हो सकता है दिल्ली-लालसोट यातायात
- जल्द ही सवाई माधोपुर के फलौदी तक होगा कार्य शुरू
- स्टोन मेट्रिक एस्फाल्ट तकनीक के चलते 30 से 50 वर्ष तक जीरो मेंटिनेंस
- जयपुर को जोड़ने के लिए लिंक एक्सप्रेस वे पर कार्य शुरू
- रेस्ट एरिया में हेलीपैड, ट्रोमा सेंटर, पेट्रोल-सीएनजी पंप, एटीएम
- हर 30 किमी के पैकेज पर एक एंबुलेंस सेवा रहेगी उपलब्ध
- इंटरचेंज पर स्टेट ऑफ आर्ट का देखने को मिलेगा
- शानदार बगीचे होंगे विकसित, सेंड माउंट, तालाब और छायादार पौधे
एक लाख करोड रुपए की लागत से बन रहे 1350 किलोमीटर लंबा दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एक्सप्रेस वे बनेगा. इसका 380 किलोमीटर लंबा हिस्सा राजस्थान के 7 जिलों से होकर निकल रहा है.एक्सेस कंट्रोल एक्सप्रेस वे पर राजस्थान में करीब 17000 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. इस वर्ष दिसंबर अंत तक यह प्रोजेक्ट पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है. इस एक्सप्रेस वे का दिल्ली से लालसोट तक काम पूरा हो चुका है और एनएचएआई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 28 जनवरी की राजस्थान यात्रा के दौरान इस एक्सप्रेस वे का उद्घाटन कराने के प्रयास कर रहा है. इस पर चुराल दिल्ली से लालसोट तक यातायात शुरू किया जाएगा. यह विश्व का दूसरा सबसे लंबा 1350 किमी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे बताया जा रहा है. इसका 87 किमी हिस्सा दौसा जिले से गुजरने से क्षेत्र में रोजगार के आयाम भी स्थापित होंगे. फिलहाल दौसा से दिल्ली जाने के दो मार्ग हैं. वाया बांदीकुई-अलवर के रास्ते 284 किमी का सफर करीब 5 घंटे 08 मिनट और वाया जयपुर 302 किमी का सफर करीब 5 घंटे 52 मिनट में तय होता है. इस एक्सप्रेस-वे के बनने से करीब 3 घंटे कम हो जाएंगे. इस एक्सप्रेस वे के बनने से हर साल 32 करोड़ लीटर ईंधन बचेगा.
देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से देश की व्यावसायिक राजधानी मुंबई के बीच की दूरी घटेगी, समय बचेगा, प्रदूषण भी कम होगा. गाड़ियों की रफ्तार 120 किमी प्रति घंटे रहेगी. दिल्ली-मुंबई के बीच 150 किमी की दूरी घटेगी. दिल्ली से मुंबई को जोड़ने वाले एनएच-8 पर वाहनों का दबाव कम होगा. इस पर रोज चलने वाले एक लाख वाहन इस एक्सप्रेस-वे पर शिफ्ट होंगे. दिल्ली-मेवात, कोटा, रतलाम, दाहोद, गोधरा, वडोदरा, सूरत, मुंबई रूट होगा. मुंबई से दिल्ली तक का सफर 25 घंटे के बजाय आधा यानी करीब 13 घंटे में पूरा होगा. एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी एवं मुख्य महाप्रबंधक पवन कुमार ने बताया कि हर वर्ष 32 करोड़ लीटर ईंधन की बचत होगी. कई अन्य विकास कार्यों का सर्वे चल रहा है. इस एक्सप्रेस-वे पर दौसा जिले में 3 इंटरचेंज प्वाइंट बनाए गए हैं. जिले में 87 किमी लंबे इस राजमार्ग पर तीन पैकेज में कुल 2757 करोड़ की निर्माण लागत आने की संभावना जता रहे हैं. जिले की सीमा में तीन जगह इंटरचेंज प्वाइंट भांडारेज मोड़ के पास, डूंगरपुर व बड का पाड़ा में बनाए गए हैं. दोसा क्षेत्र के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सहीराम ने बताया कि इस एक्सप्रेस-वे की खूबियां बात करें तो यह देश का इकलौता राजमार्ग है जो 6 राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा व दिल्ली चेंज में से होकर निकला है.
दिल्ली से दौसा तक 284 किमी मार्ग पूरा हो चुका है. राज्य के 7 जिले दौसा, अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, टॉक, बूंदी, कोटा है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी यहां भांडारेज मोड़ के पास इंटरचेंज का पिछले वर्ष सितंबर में अवलोकन कर चुके है. केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ संजीव बालियान ने भी यहां निरीक्षण किया है. इस पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग, सोलर एनर्जी लाइट का कार्य पूरा हो चुका है. रेस्ट एरिया डेवलपमेंट भी पूर्ण हो चुका है. यहां केवल एंट्री-एग्जिट पर ही टोल लगेगा जबकि कहीं ट्रैफिक सिग्नल नहीं होगा. हर 100 किमी पर ट्रॉमा सेंटर, एक्सीडेंट होने पर त्वरित एंबुलेंस की सुविधा - यह एक्सप्रेस वे 8 लेन का है. 4 लेन और बनाई जाएंगी. इसमें आने-जाने की 2-2 लेन सिर्फ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए होंगी, जो देश का पहला डेडिकेटेड इलेक्ट्रिक व्हीकल फोरलेन होगा. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे विकास की नई इबारत लिखेगा.