VIDEO: बीजेपी और कांग्रेस की रिजल्ट से पहले की सियासत, बागी और निर्दलीय को पाले में लाने के प्रयास, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान के चुनाव परिणाम आने में देर है लेकिन कांग्रेस और बीजेपी के थिंक टैंक्स ने अभी से बागियों और निर्दलियों पर डोरे डालना शुरू कर दिया है. जो अपने दम पर चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं.लिहाजा टिकट नहीं देने के कारण चुनावी समर में डटे रहे रूठों को मनाने की कवायद शुरू हो गई है. पिछला विधानसभा का चुनाव जब अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनने के लिए और कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए निर्दलीयों की आवश्यकता पड़ी तब एक-एक कर करके निर्दलीय चुनाव जीत कर गहलोत के 49 नंबर सिविल लाइंस आवास पर पहुंचने लग गए थे. रात तक तो सभी निर्दलीय चुनाव जीतने वाले 13 विधायक गहलोत से मिल चुके थे और गहलोत का खुद मुख्यमंत्री बनने आज कांग्रेस सरकार बनाने का रास्ता साफ हो गया था. इस बार भी कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने बिना कोई देर किए उन तमाम बागियों और निर्दलीय को साधना शुरू कर दिया है जो 3 दिसंबर को कुछ करिश्मा करने की गुंजाइश रखते हैं. इन्हें अभी से मनाने की कवायद है. चलिए आपको बताते है उन नेता के बारे में जिन्होंने कांग्रेस से बगावत की.

कांग्रेस के प्रमुख बागी: 
-शाहपुरा ( जयपुर)से निर्दलीय विधायक आलोक बेनीवाल
-लूणकरणसर से पूर्व मंत्री वीरेंद्र बेनीवाल
-श्रीगंगानगर में कांग्रेस की करुणा चांडक 
-सादुलशहर में कांग्रेस के बागी ओम विश्नोई
-शिव से फतेह खान
-राजगढ़ लक्ष्मणगढ़ से विधायक जौहरी लाल मीणा
-पुष्कर से श्रीगोपाल बाहेती
-सिवाना से सुनील परिहार
-टोडाभीम से राघव मीना
-विराटनगर से पूर्व विधायक रामचंद्र सराधना
-मसूदा से वाजिद खान चीता
-हनुमानगढ़ से गणेश बंसल
-नागौर से पूर्व विधायक हबीबबुर्रहमान
-बसेड़ी से विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा
-डूंगरपुर से देवराम रोत
-चौरासी से महेंद्र बरजोट
-जैतारण से पूर्व विधायक दिलीप चौधरी
-नोखा से कन्हैया लाल झंवर 
-छबड़ा से नरेश मीना
-हिंडौन से बृजेश जाटव ( बीएसपी)

बीजेपी के प्रमुख बागी:
-शाहपुरा से पूर्व स्पीकर कैलाश मेघवाल
-चितौड़ से मौजूदा विधायक चंद्रभान आख्या
-डीडवाना से पूर्व मंत्री युनुस खान
-सांचौर से जीवाराम चौधरी 
-खंडेला से पूर्व मंत्री बंशीधर बाजिया
-शिव से रविंद्र सिंह भाटी
-झोटवाड़ा से आशु सिंह सूरपुरा
-बाड़ी से जसवंत सिंह गुर्जर ( बीएसपी )
-किशनगढ़ से निर्दलीय विधायक सुरेश टाक 

भाजपा और कांग्रेस से बगावत करने वाले नेताओं में से कई ऐसे हैं जो पार्टी के उम्मीदवार की जीत में मुश्किल खड़ी कर सकते हैं. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि 2018 के चुनाव में 29 सीटें ऐसी थी, जहां हार-जीत का अंतर 1000 से 5000 वोट का था. इसमें 13 पर भाजपा, 9 पर कांग्रेस, चार पर अन्य और 3 निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई थी. वहीं, 9 सीटें ऐसी भी थीं, जहां 1000 से कम वोट पर हार-जीत हुई थी. ऐसे में जीत सकने वाले बागी नेताओ को पहले से वैचारिक तौर पर साधने के प्रयास अंदरखाने हो रहे है.