लंदन: ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग का मानना है कि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल के चौथे दिन भारत के सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल का कैच लेते समय हरफनमौला कैमरून ग्रीन के हाथ से गेंद एक समय जमीन को छू गई थी लेकिन उन्होंने इस दौरान तीसरे अंपायर को सही फैसला लेने का श्रेय दिया.गिल जब 18 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे तब स्कॉट बोलैंड की गेंद उनके बल्ले का किनारा लेकर गली में ग्रीन के बाईं ओर गई जिन्होंने जमीन से एक इंच ऊपर कैच लपका. ग्रीन इसके तुरंत बाद जश्न मनाने लगे.
इस दौरान भारतीय सलामी बल्लेबाज क्रीज पर खड़ा रहा. तीसरे अंपायर रिचर्ड केटलबोरो ने इसके बाद गिल को आउट करार दिया. भारत के कप्तान रोहित शर्मा ने निराशा में नहीं चिल्लाया जबकि द ओवल के स्टैंड में चारों ओर धोखा, धोखा के नारे लगे. पोंटिंग ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से कहा कि जब मैंने इसे लाइव देखा तो मुझे पता था कि गेंद उसके पास पहुंची है लेकिन रीप्ले देखने के बाद मैं सुनिश्चित नहीं था कि क्या हुआ है.
उन्होंने कहा कि मुझे असल में लगता है कि गेंद का कुछ हिस्सा जमीन को छू गया था और यह अंपायर को देखना है कि जमीन से छूने से पहले गेंद क्षेत्ररक्षक के नियंत्रण में थी तो बल्लेबाज आउट है.दिन का खेल खत्म होने के बाद ग्रीन ने कहा था कि उन्होंने कैच लिया था जबकि गिल ने इस फैसले पर नाराजगी जाहिर करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया.भारत के तेज गेंदबाजी आक्रमण के अगुआ मोहम्मद शमी भी इस फैसले की आलोचना करने वालों में शामिल रहे. उन्होंने कहा कि अंपायरों को विचार-विमर्श के लिए अधिक समय लेना चाहिए था क्योंकि यह डब्ल्यूटीसी फाइनल है.
पोंटिंग ने ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कोच जस्टिन लैंगर की राय से सहमति जताई कि इस फैसले पर मिश्रित राय होगी. उन्होंने कहा कि यह जमीन से शायद छह या आठ इंच दूर था लेकिन इसके बाद कुछ और हुआ. पोंटिंग ने कहा कि मुझे यकीन है कि इसके बारे में बहुत सारी बातें होंगी और ऑस्ट्रेलिया की तुलना में भारत में शायद अधिक बात होंगी, भारत में हर कोई सोचेगा कि यह आउट नहीं है और ऑस्ट्रेलिया में हर कोई सोचेगा कि यह आउट है. उन्होंने कहा कि अगर इसे मैदान पर आउट दिया गया होता तो मुझे लगता है कि तीसरे अंपायर को उस फैसले को पलटने के लिए निर्णायक सबूत की जरूरत होती और मुझे नहीं लगता कि कोई निर्णायक सबूत होता. फाइनल से पहले खेलने की परिस्थितियों से हटाया गया ‘सॉफ्ट सिग्नल’ भारत के पक्ष में जा सकता था अगर मैदानी अंपायरों ने टीवी अंपायर को नॉट-आउट का संकेत दिया होता. सोर्स भाषा