जयपुर: लोकसभा चुनाव के बाद अब प्रदेश में पांच विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होंगे. दरअसल पांच विधायक अब सांसद बन गए हैं और विधानसभा की पांच सीट खाली हो गई है. ऐसे में एक बार फिर अगले छह महीनों में भाजपा व कांग्रेस की अग्निपरीक्षा होगी. हालांकि इन पांच सीट में भाजपा के पास खोने को कुछ नहीं है, वहीं कांग्रेस के पास एक बार फिर खुद को साबित करने का मौका होगा.
राजस्थान की विधानसभा में आगामी सत्र में एक बार फिर सभी 200 विधायक साथ नहीं बैठेंगे. इस बार कोई अनहोनी नहीं हुई, बल्कि लोकसभा चुनाव के परिणाम ने पांच सीटें खाली कर दी है. देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में जाने के लिए सात विधायकों ने दांव खेला था, लेकिन दो असफल रहे. कांग्रेस ने चार विधायकों को चुनाव लड़ाया, जिनमें से तीन जीते. आरएलपी व बाप पार्टी के एक-एक विधायक ने चुनाव लड़ा, दोनों ही जीत गए.
लोकसभा चुनाव में 7 विधायकों ने आजमाई थी अपनी किस्मत
कांग्रेस के सबसे ज्यादा 4 विधायक लड़े लोकसभा चुनाव
RLP व BAP के एक-एक विधायक भी लोकसभा के चुनावी मैदान में थे
दौसा से कांग्रेस के मुरारीलाल मीना ने जीता चुनाव
अब दौसा विधानसभा की सीट हुई खाली
टोंक-सवाईमाधोपुर से हरीश मीना ने विजय हासिल की
हरीश की देवली-उनियारा सीट पर होगा अब उपचुनाव
झुंझुनूं सीट पर बृजेंद्र ओला के जीतने से होंगे उपचुनाव
बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट से BAP के राजकुमार रोत जीते चुनाव
राजकुमार की चौरासी विधानसभा सीट पर होंगे अब चुनाव
नागौर लोकसभा सीट से RLP के हनुमान बेनीवाल जीते
हनुमान की खींवसर सीट पर होंगे फिर उपचुनाव
मुंडावर विधायक ललित यादव अलवर से थे कांग्रेस प्रत्याशी
शिव विधायक रविंद्र भाटी बाड़मेर-जैसलमेर से निर्दलीय उम्मीदवार
ललित यादव व रविंद्र भाटी लोकसभा चुनाव नहीं जीत सके
विधानसभा की जो पांच सीटें खाली हुई है, उनमें से तीन कांग्रेस की है, एक बाप पार्टी की है, तो एक आरएलपी की. ऐसे में आगामी उपचुनाव में भाजपा के पास खोने को कुछ नहीं है. हालांकि सत्ताधारी पार्टी की कोशिश रहेगी कि इन पांच में से कोई सीट छीन ली जाए. दूसरी तरफ कांग्रेस लोकसभा चुनाव की जीत से गदगद है और उसको उम्मीद है कि उपचुनाव में भी उनके ही विधायक फिर से जीतेंगे. बृजेंद्र ओला ने झुंझुनू विधानसभा 28 हजार से, मुरारी मीना ने दौसा विधानसभा 31 हजार से तथा हरीश ने देवली उनियारा विधानसभा चुनाव 19 हजार वोट से जीता था. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को उम्मीद है कि उपचुनाव में भी कांग्रेस शानदार जीत दर्ज करेगी.
कांग्रेस की तीन सीट के अलावा बाप पार्टी की चौरासी व हनुमान की खींवसर सीट पर भी नजरें रहेंगी. हनुमान ने विधानसभा चुनाव महज 2 हजार वोट के अंतराल से जीता था, वहीं चौरासी से बाप के राजकुमार रोत 69 हजार वोट से जीते थे. खींवसर में तो 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद भी उपचुनाव हुआ था, क्योंकि तब भी हनुमान विधायक रहते हुए सांसद बने थे. फिर उनहोंने उपचुनाव में अपने भाई नारायण को जितवाया था. लोकसभा चुनाव में बाप व आरएलपी ने इस बार कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था. ऐसे में आगामी विधानसभा उपचुनाव में अभी यह देखना होगा कि पांच सीटों पर गठबंधन केरूप में लडेंगे या फिर अलग अलग. अभी कांग्रेस के स्तर पर इसका फैसला नहीं हुआ है. खींवसर व चौरासी में कांग्रेस के चुनाव लड़ने की स्थिति में भाजपा की आंखों में चमक आ सकती है.