लंदन: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी पर जमकर निशाना साधा और कहा कि वह अपनी आलोचनाओं से नहीं डरते हैं और यह ‘साहस तथा कायरता और प्रेम तथा घृणा’ के बीच की लड़ाई है.
ब्रिटेन की एक सप्ताह लंबी यात्रा पर आए राहुल गांधी फिलहाल लंदन में हैं और उन्होंने ‘इंडियन ओवरसीज कांग्रेस’ द्वारा भारतवंशियों (प्रवासी भारतीयों) के साथ आयोजित बातचीत के दौरान उक्त टिप्पणी की.
विश्वविद्यालयों में यूं खुलकर अपने विचार नहीं रख सकते:
राहुल गांधी ने कहा कि जितना वह मेरे ऊपर हमला करेंगे, मेरे लिए उतना अच्छा होगा, क्योंकि मैं (उन्हें) उतना बेहतर समझ पाउंगा. यह साहस और कायरता के बीच की लड़ाई है. यह सम्मान और अपमान के बीच की लड़ाई है. यह लड़ाई प्रेम और घृणा के बीच है.’’ तालियों की गूंज के बीच उन्होंने कहा कि जैसा कि मैंने यात्रा के दौरान कहा था: नफरत के बाजार में, हम मोहब्बत की दुकान खोलने आए हैं. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें कैंब्रिज विश्वविद्यालय में व्याख्यान देने के लिए बुलाया गया है और निराशा जताते हुए कहा कि भारतीय राजनेता भारत के विश्वविद्यालयों में यूं खुलकर अपने विचार नहीं रख सकते हैं.
वह भारत के किसी विश्वविद्यालय में नहीं बोल सकता:
‘एकता, विविधता और समावेश’ की थीम पर आयोजित सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे हजारों लोगों के जिंदाबाद के नारों के बीच राहुल गांधी ने कहा कि अच्छा माहौल था (कैंब्रिज विश्वविद्यालय में) और उसने मुझे सोचने पर विवश कर दिया कि एक भारतीय राजनेता कैंब्रिज विश्वविद्यालय, हार्वर्ड विश्वविद्यालय में व्याख्यान दे सकता है, लेकिन वह भारत के किसी विश्वविद्यालय में नहीं बोल सकता है. कांग्रेस सांसद ने कहा कि कारण सिर्फ इतना है कि हमारी सरकार विपक्ष के किसी विचार, विपक्ष के किसी सिद्धांत पर चर्चा नहीं होने देती है. संसद भवन में भी यही होता है, जब भी हमें महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोलना होता है, जैसे.. नोटबंदी, जीएसटी, यह तथ्य कि चीनी हमारी सीमा के भीतर घुसकर बैठे हैं. हमें इन्हें (इन मुद्दों को) सदन में उठाने नहीं दिया जाता है.’’ इस पर वहां मौजूद करीब दो हजार लोगों द्वारा ‘‘शेम, शेम’’ (शर्म करो) के नारे लगाए गए.
सभी संस्थाएं जो लोकतंत्र की रक्षा करती हैं:
राहुल गांधी ने कहा कि यह शर्मनाक है, लेकिन सच है और यह वह भारत नहीं है, जिसकी हम सभी को आदत है. हमारा देश एक मुक्त देश है, ऐसा देश है जहां हम अपनी बुद्धिमत्ता पर गर्व करते हैं, एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करते हैं, एक-दूसरे की सुनते हैं, लेकिन इस माहौल को बर्बाद कर दिया गया है. राहुल गांधी ने फिर से कहा कि उन्हें कन्याकुमार से कश्मीर तक करीब 4,000 किलोमीटर लंबी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ करने को मजबूर होना पड़ा क्योंकि वे सभी संस्थाएं जो लोकतंत्र की रक्षा करती हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देती है उन पर भाजपा ने कब्जा कर लिया है.
भारत-चीन संबंधों पर अपनी चिंता जाहिर की:
कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने पूरे देश को दिखाया की असल भारत क्या है? उन्होंने कहा कि भारत के मूल्य क्या हैं? हमारे धर्म हमें क्या सीखाते हैं? हमारी अलग-अलग भाषाएं क्या कहती हैं? हमारी अलग-अलग संस्कृतियां हमें बताती हैं (कि) हम भिन्न-भिन्न विचारों वाला एक देश हैं. हममें बिना किसी घृणा, बिना क्रोध और अपमान के सौहार्दपूर्ण तरीके से एकसाथ रहने की क्षमता है. और जब हम ऐसा करते हैं, तभी हम सफल हैं. यात्रा का यही संदेश था. राहुल गांधी बातचीत के दौरान समय-समय पर हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में बोले और एक बार फिर भारत-चीन संबंधों पर अपनी चिंता जाहिर की.
इस विचारधारा की जड़ में कायरता है:
भाजपा पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के 52 वर्षीय नेता ने कहा कि दूसरी ओर, हमारे पास घृणा और हिंसा की विचारधारा है, ऐसी अपमानजनक विचारधारा है जो दूसरों पर उनके विचारों के कारण हमले करती है. और आपने महसूस किया होगा कि यह भाजपा और आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) की प्रकृति में है. वहीं, एक साक्षात्कार में विदेश मंत्री एस. जयशंकर की टिप्पणी के संदर्भ में राहुल गांधी ने कहा कि अगर आप विदेश मंत्री के बयान पर गौर करें तो, उन्होंने कहा कि चीन हमसे कहीं ज्यादा शक्तिशाली है. यह सोचना कि चीन हमसे ज्यादा शक्तिशाली है, मैं उससे कैसे लड़ सकता हूं? इस विचारधारा की जड़ में कायरता है.
विचारधारा का समर्थन करने का आह्वान किया:
वहीं, भाजपा ने राहुल गांधी पर विदेश की धरती पर भारत की छवि खराब करने और चीन की प्रशंसा करने का आरोप लगाया है. इस कार्यक्रम का आयोजन ‘इंडियन ओवरसीज कांग्रेस (आईओसी)’ की ब्रिटेन इकाई ने किया था जो राहुल गांधी को ‘भारत के अगले प्रधानमंत्री’ के रूप में पेश कर रही है और उसने प्रवासी भारतीयों और भारत वंशियों से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के माध्यम से सामने आयी पार्टी की विचारधारा का समर्थन करने का आह्वान किया है.
भारतीयों की उसमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी:
आईओसी की ब्रिटेन इकाई के अध्यक्ष कमलप्रीत धालीवाल ने कहा कि किसी ने इतनी लंबी यात्रा पूरी नहीं की है और 2024 (आम चुनाव) के चुनावों का इंतजार है. प्रवासी भारतीयों की उसमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी. पश्चिम लंदन में उपलब्ध सबसे बड़े सभागार का ब्रिटेन के अलग-अलग हिस्सों से आए लोगों से खचाखच भरना, समर्थन को दिखाता है. वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सलाहकार सैम पित्रोदा ने कहा कि भारत का भविष्य, भारत के उस विचार में हैं जो कांग्रेस पार्टी के पास है. सोर्स-भाषा