नई दिल्ली: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कहा कि रेलवे के सामरिक महत्व एवं उसकी जटिलताओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय किया गया है कि ‘रेलवे का निजीकरण’ नहीं होगा.
लोकसभा में श्रीकांत एकनाथ शिंदे एवं कुछ अन्य सदस्यों के पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे का स्वरूप सामरिक प्रकृति का है और इसकी अपनी जटिलताएं हैं. रेलवे के सामरिक स्वरूप को देखते हुए सरकार ने स्पष्ट निर्णय लिया है कि रेलवे का निजीकरण नहीं किया जायेगा. उन्होंने कहा कि इसलिये रेलवे स्टेशनों का विकास बुनियादी तौर पर सरकार के कोष से ही किया जा रहा है.
वैष्णव ने कहा कि भारतीय रेल में रेलवे स्टेशनों और सुविधाओं का आधुनिकीकरण और उन्नयन निरंतर चलने वाली एवं सतत प्रक्रिया है जो यातायात की मात्रा, निधियों की उपलब्धता और कार्यों की पारस्परिक प्राथमिकता पर निर्भर करती है. उन्होंने कहा कि हाल ही में रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण के लिये एक नयी योजना ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’शुरू की गई है. इस योजना के अंतर्गत अमृत भारत स्टेशन के विकास के लिये सीमावर्ती क्षेत्रों सहित देश में कुल 1275 स्टेशनों की पहचान की गई है.
रेल मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत आंध्र प्रदेश में 72 स्टेशन, अरूणाचल प्रदेश में एक, असम में 49, बिहार में 86, छत्तीसगढ में 32, दिल्ली में 13, गोवा में दो, गुजरात में 87, हरियाणा में 29, हिमाचल प्रदेश में तीन, झारखंड में 57, कर्नाटक में 55, केरल में 34, मध्यप्रदेश में 80, महाराष्ट्र में 123, ओडिशा में 57, पंजाब में 30, राजस्थान में 82, तमिलनाडु में 73, तेलंगाना में 39, त्रिपुरा में चार, उत्तर प्रदेश में 149, उत्तराखंड में 11, पश्चिम बंगाल में 94 और जम्मू कश्मीर में चार स्टेशनों का विकास किया जायेगा.
रेलवे की प्रणाली की अपनी जटिलताएं:
वैष्णव ने कहा कि रेलवे की प्रणाली की अपनी जटिलताएं हैं जिसमें स्टेशनों के विकास के दौरान यह ध्यान में रखा जाता है कि ट्रेनों का परिचालन प्रभावित नहीं हो. उन्होंने कहा कि अभी जिन 1200 स्टेशनों का विकास किया जा रहा है, उनमें से 1190 स्टेशनों का विकास अपने ही कोष से किया जा रहा है और इसमें निजी भागीदारी नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार ने रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास का कार्य दो-तीन वर्षो में पूरा करने का लक्ष्य रखा है. सोर्स- भाषा