राजस्थान में प्रस्तावित नई टाउनशिप नीति को लेकर बड़ी खबर, मंत्रिमंडल की बैठक में किया नीति का अनुमोदन, देखिए खास रिपोर्ट

जयपुरः प्रदेश के शहरों में प्रस्तावित नई टाउनशिप नीति को राज्य मंत्रिमंडल की हुई बैठक में मंजूरी दी गई. अब जल्द ही इस नीति को लागू करने के लिए नगरीय विकास विभाग की ओर से अधिसूचना जारी की जाएगी. इस नई नीति में क्या है नए प्रावधान और किस प्रकार यह नीति वर्तमान में लागू नीति से है अधिक कारगर. 

वर्तमान में लागू टाउनशिप नीति वर्ष 2010 में लागू की गई थी. प्रदेश की भजनलाल सरकार ने शहरों के नियोजित विकास के लिए मौजूदा नीति की समीक्षा कर नई टाउनशिप नीति लागू करने का फैसला किया था. इसके लिए जेडीए के तत्कालीन निदेशक आयोजना और वर्तमान में मुख्य नगर नियोजक राजस्थान विनय कुमार दलेला की अध्यक्षता में एक वरिष्ठ नगर नियोजकों की एक कमेटी का गठन किया. इस कमेटी ने विभिन्न राज्यों में टाउनशिप के प्रचलित प्रावधानों के अध्ययन के बाद नई टाउनशिप नीति का प्रारूप तैयार किया. नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा की स्वीकृति के बाद पिछले वर्ष 27 जून को टाउनशिप नीति का प्रारूप जारी किया गया. प्रारूप पर एक महीने का समय देते हुए आपत्ति व सुझाव आमंत्रित किए गए. प्राप्त आपत्ति व सुझावों के निस्तारण के लिए नगरीय विकास विभाग ने दुबारा विनय कुमार दलेला की कमेटी को ही अधिकृत कर दिया. इस कमेटी ने राज्य सरकार में उच्च स्तर पर और नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा के साथ गहन मंथन कर नई टाउनशिप नीति का फाइनल प्रारूप तैयार किया. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में आज हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस नीति को मंजूरी दे दी गई. आपको सबसे पहले बताते हैं कि नई टाउनशिप नीति के नए प्रावधान क्या है, जो कि मौजूदा नीति में नहीं हैं-

टाउनशिप नीति के नए प्रावधान जो पहली होंगे लागू

-नई टाउनशिप नीति में  राज्य स्तरीय इंप्लीमेंटेशन एंड मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया जाएगा

-यह कमेटी टाउनशिप नीति के इंप्लीमेंटेशन, मॉनिटरिंग और रिव्यू को लेकर बड़े फैसले ले सकेगी

-इस कमेटी में नगरीय विकास,स्वायत्त शासन विभाग,ऊर्जा विभाग और जल संसाधन विभाग के सचिव शामिल होंगे  

-साथ ही डेवलपर एसोसिशन के दो प्रतिनिधि भी इस कमेटी में शामिल होंगे

-राजस्थान रियल एस्टेट वेब पोर्टल बनेगा

-इस पोर्टल पर विकासकर्ता अपनी योजनाओं की समस्त जानकारी अपलोड करेंगे

-नई नीति में विभिन्न जल स्त्रोत नदी,नाला,तालाब,नहर,बरसाती नाला,झील के संरक्षण के लिए इनके दोनों तरफ न्यूनतम बफर जोन का प्रावधान किया गया है

-सभी योजनाओं में रैन वाटर हार्वेस्टिंग और वेस्ट वाटर रिसाइकल के प्रावधान किए गए हैं

-पार्क अथवा खुले स्थानों में सामुदायिक रैन वाटर हार्वेस्टिंग और वेस्ट वाटर रिसाइकल निर्मित किए जा सकेंगे

-फेज्ड डवलपमेंट का प्रावधान नई नीति में किया गया है, इसके लिए अलग से नीति बनाई जाएगी

-जेडीए की सेक्टर कमर्शियल पॉलिसी की तर्ज पर इस नीति के तहत अन्य शहरों में भी सेक्टर सड़कों का निर्माण किया जा सकेगा

-सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए राजस्व रिकॉर्ड में पहुंच मार्ग दर्ज होने और

-पहुंच मार्ग की न्यूनतम चौड़ाई की बाध्यता लागू नहीं होगी

वर्तमान में लागू टाउनशिप नीति में पार्क,खेल का मैदान व जन सुविधाओं के लिए पर्याप्त व कारगर प्रावधान नहीं हैं. इसी तरह योजना के समग्र आंतरिक विकास को लेकर भी संबंधित विकासकर्ता बाध्य नहीं हैं. मौजूदा नीति की इन तमाम कमियों को देखते हुए भूखंडधारियों को विभिन्न आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की दृष्टि से नई टाउनशिप नीति में कई प्रभावी प्रावधान किए गए हैं. आपको बताते हैं कि नई टाउनशिप नीति के प्रावधान मौजूदा नीति से किस तरह अधिक प्रभावी हैं.

-मौजूदा टाउनशिप नीति के अनुसार दो हैक्टेयर तक की योजना में पार्क,खेल का मैदान,सुविधा क्षेत्र और जन उपयोग के लिए भूमि आरक्षित रखना जरूरी नहीं हैं

-इन छोटी योजनाओं में सत्तर प्रतिशत तक क्षेत्रफल में भूखंड सृजित किए जा सकते हैं

-दो हैक्टेयर से अधिक और दस हैक्टेयर तक के आकार की स्कीम में 15 प्रतिशत भूमि पार्क,खेल का मैदान,सुविधा क्षेत्र और जन उपयोग के लिए छोड़ा जाना जरूरी है

-दस हैक्टेयर से बड़ी योजनाओं में 20 प्रतिशत भूमि पार्क,खेल का मैदान,सुविधा क्षेत्र और जन उपयोग के लिए छोड़ा जाना जरूरी है

-छोटी योजनाओं में जन सुविधाओं के लिए भूमि नहीं छोड़ने की छूट के चलते दो हैक्टेयर तक की योजनाएं अधिक सृजित की जा रही हैं

-नई टाउनशिप नीति में जन सुविधाओं की उपलब्धता को लेकर सख्ती बरती गई है

-किसी योजना का आकार छोटा हो या बड़ा सभी आकार की योजनाओं में अब 15 प्रतिशत भूमि पार्क,

-खेल का मैदान,सुविधा क्षेत्र और जन उपयोग के लिए छोड़ा जाना जरूरी होगा

-15 प्रतिशत में 7 प्रतिशत भूमि पार्क और खेल के मैदान के लिए छोड़नी होगी

-दो हैक्टेयर से अधिक आकार की योजनाओं में इस 7 प्रतिशत में से 3 प्रतिशत भूमि खेल के मैदान के लिए छोड़नी होगी

-जबकि 8 प्रतिशत भूमि जन सुविधा और जन उपयोग की गतिविधि के लिए छोड़ा जाना जरूरी होगा

-मौजूदा टाउनशिप नीति में खेल के मैदान का कोई प्रावधान नहीं है

-नई टाउनशिप नीति के प्रावधान के अनुसार विकासकर्ता को टाउनशिप का 5 साल रखरखाव करना होगा

-टाउनशिप के सभी विकास कार्य कर विकासकर्ता को उनका 5 साल तक अथवा

-रेजीडेंड वेलफेयर एसोसिएशन को हस्तांतरण करने तक रखरखाव करना होगा

-इसके लिए निकाय टाउनशिप के ढाई प्रतिशत भूखंड अपने पास रहन रखेंगे

-तय अवधि में सही तरीके से रखरखाव होने पर ये भूखंड निकाय मुक्त कर देंगे

-योजना के आंतरिक विकास कार्यों के रखरखाव शुल्क का प्रावधान किया गया है

-विकासकर्ता की ओर से शुल्क की राशि योजना को रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन अथवा 

-स्थानीय निकाय को हस्तांतरित करते समय सुपुर्द की जाएगी

-वर्तमान में लागू नीति में विकास कार्यों को 3 साल तक रखरखाव का प्रावधान तो है

-लेकिन इसे सुनिश्चित करने के लिए भूखंडों को रहन रखने का कोई प्रावधान नहीं हैं

-मौजूदा नीति में चार्टेट इंजीनियर से आशिंक कार्य पूर्णता रिपोर्ट प्राप्त होने पर ही निकाय रहन किए गए भूखंडों को अनुपातिक रूप से मुक्त कर देते हैं

-लेकिन अब नई नीति के अनुसार योजना में समग्र आंतरिक विकास कार्य पूरा होने पर निकाय के सहायक अभियंता पूर्णता प्रमाण पत्र देंगे

-टाउनशिप योजनाओं में ईडब्लूएस व एलआईजी के लिए आरक्षित भूखंडों का आवंटन संबंधित निकाय के माध्यम से ही किया जाएगा

-इन भूखंडों पर संबंधित निकाय या आवासन मंडल आवास बनाकर भी गरीबों को आवंटित कर सकेंगे

-मौजूदा नीति में विकासकर्ता के स्तर पर ही इन भूखंडों का आवंटन किया जाता था