जयपुर: राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को प्रश्नकाल के दौरान कई अहम मुद्दे उठे. जयपुर में रामगढ़ बांध बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण का मुद्दा छाया तो, चना, सरसों एवं गेहूं की खरीद पर किसानों को बोनस देने का मामला भी उठा. राजस्थानी भाषा को मान्यता देने के मुद्दे पर भी लम्बी चर्चा हुई.
हकीकत में भले ही जयपुर के रामगढ़ बांध का अतिक्रमण के कारण गला घुट गया हो और बरसो से यह सूखा पड़ा हो, लेकिन सरकार ने विधानसभा में दावा किया है कि रामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र में वर्तमान में कोई अतिक्रमण, पक्के निर्माण चिन्हित नहीं होने से बांध का अस्तित्व संकट में नहीं है. जल संसाधन मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय ने विधानसभा में बताया कि रामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण के राजस्व विभाग में 338 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 336 मामलों का निस्तारण किया जा चुका है तथा 2 मामले न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण लम्बित हैं. उन्होंने विगत वर्षों में बांध के संरक्षण के लिए हटाये गये अतिक्रमण, पक्के निर्माण का विवरण सदन के पटल पर रखा. उन्होंने कहा किविगत वर्षों में बांध के संरक्षण के लिए समय-समय पर अतिक्रमण हटाए गए हैं तथा बेदखली की कार्रवाई की गई है.
वहीं विधायक कन्हैयालाल ने चना, सरसों एवं गेहूं की खरीद पर किसानों को बोनस देने का मुद्दा उठाया, तो सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने स्पष्ट किया कि वर्तमान में इसका कोई प्रस्ताव राज्य सरकार के स्तर पर विचाराधीन नहीं है. सहकारिता मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा किसानों को कृषि जिन्सों की खरीद पर बोनस नहीं दिया जा रहा है. विगत चार वर्षों में किसी भी जिन्स की खरीद पर बोनस नहीं दिया गया है.
राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने का मामला उठा:
सदन में एक बार फिर राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने का मामला उठा. विधायक गुरदीप सिंह के प्रश्न के जवाब में मन्त्री बीडी कल्ला ने कहा कि सरकार इसके लिए प्रयासरत है, लेकिन राजस्थानी भाषा को मान्यता देने की कार्यवाही भारत सरकार के स्तर पर की जानी है.
विधानसभा के सभी सदस्यों ने 25 अगस्त 2003 को संकल्प पारित किया था:
कल्ला ने बताया कि वर्ष 2003 से समय-समय पर तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा अथवा मुख्य सचिव स्तर से इस संबंध में केन्द्र सरकार को अर्द्धशासकीय पत्र भी लिखे गए हैं. उन्होंने अवगत कराया कि हाल ही में 16 फरवरी 2023 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस संबंध में केन्द्र को एक बार फिर पत्र लिखकर राजस्थानी भाषा को मान्यता देने और आठवीं अनुसूची में सम्मिलित करने की मांग की है. विधानसभा के सभी सदस्यों ने 25 अगस्त 2003 को संकल्प पारित किया था. उन्होंने अवगत कराया कि राज्य सरकार की ओर से राजस्थानी भाषा को मान्यता देने के लिए बार-बार केन्द्र सरकार को पत्र लिखे गये है.