जयपुर: राजा मान सिंह हत्या यह एक ऐसा मामला था, जिसने राजस्थान की राजनीति में एक तरह से भूचाल ला दिया था. मौजूदा विधायक के एनकाउंटर का भी संभवत: यह पहला ही मामला था. देश आजाद होने के बाद राजा मान सिंह ने भी राजनीति में कदम रखे. मगर कांग्रेस का साथ उन्हें मंजूर नहीं था. इसलिए निर्दलीय ही चुनाव लड़े.
डीग विधानसभा सीट से 1952 से 1984 तक सात बार निर्दलीय विधायक चुने गए. कांग्रेस से इस बात पर समझौता था कि उनके खिलाफ उम्मीदवार भले ही उतारें, लेकिन कोई बड़ा नेता प्रचार के लिए नहीं आएगा. 1977 में जेपी लहर और 1980 की इंदिरा लहर में भी वह चुनाव जीते. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव थे. उस समय राज्य के मुख्यमंत्री थे शिवचरण माथुर.
कहा जाता है कि उन्होंने डीग सीट को नाक का सवाल बना लिया था. इस दौरान माथुर कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने के लिए डीग पहुंच गए। यह कांग्रेस के किसी बड़े नेता को प्रचार के लिए न भेजने के समझौते के खिलाफ था. माथुर के इस कदम से स्थानीय कांग्रेसी नेता भी खुश हो गए और उन्होंने राजा मान सिंह के पोस्टर फाड़ दिए. आखिर कौन थे राजा मानसिंह? क्यों क्षेत्र में उनकी पकड़ थी? क्या हुआ था उस दिन? आइए जानते हैं ऐसे सवालों के जवाब...