VIDEO: रोडवेज में व्यवस्थागत लापरवाही, चालकों से ही परिचालकों का कराया जा रहा काम, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान रोडवेज में एक बार फिर व्यवस्थागत लापरवाही सामने आई है. भरतपुर, लोहागढ़, विद्याधर नगर, अलवर समेत कई डिपो में नियमों को ताक पर रखकर चालकों से ही परिचालकों का काम कराया जा रहा है, जबकि दर्जनों परिचालक कार्यालयों में बेवजह बैठाए जा रहे हैं. 

रोडवेज चेयरमैन द्वारा हाल ही में बुलाई गई समीक्षा बैठक में सभी मुख्य प्रबंधकों को निर्देश दिए गए थे कि डिपो में कार्यालयों में बैठे परिचालकों को तत्काल रूट पर लगाया जाए ताकि बसों का सुचारू संचालन सुनिश्चित हो सके. बावजूद इसके कई डिपो में आदेशों को नजरअंदाज किया जा रहा है.रोडवेज के कई डिपो ऐसे हैं जहां स्वीकृत संख्या के आधे भी परिचालक नहीं हैं, जबकि अन्य डिपो में क्षमता से अधिक परिचालकों को बिना कार्य के ऑफिस में बैठा दिया गया है. यह असमान वितरण सीधे तौर पर बस संचालन को बाधित कर रहा है.परिचालकों की कमी का हवाला देकर हर दिन दर्जनों बसें रद्द कर दी जाती हैं, जिससे यात्री परेशान हैं और रोडवेज की आय में गिरावट हो रही है. यदि इन ‘ऑफिस बैठकों’ को रूट पर भेजा जाए तो रोडवेज की अधिकांश बसों का नियमित संचालन संभव हो सकता है.

-भरतपुर, अलवर, विद्याधर नगर जैसे डिपो में नियमित रूप से चालक ही टिकटिंग (कंडक्टरी) का काम कर रहे हैं.
-सिंधी कैंप, जयपुर आगार, डीलक्स, सेंट्रल वर्कशॉप और रोडवेज मुख्यालय में दर्जनों परिचालक वर्षों से गैर-कार्यशील पदों पर जमे हुए हैं.

विभागीय सूत्रों के अनुसार, कई वर्षों से कुछ परिचालक अपनी सुविधा अनुसार मुख्यालय या विशेष डिपो में जमे हुए हैं और इन्हें रूट पर भेजने के प्रयासों को अंदरूनी स्तर पर टाल दिया जाता है. इससे विभाग की कार्यक्षमता पर सवाल उठ रहे हैं.स्थिति यह है कि जहां परिचालकों की जरूरत है वहां पद खाली हैं और जहां कोई आवश्यकता नहीं वहां परिचालक मौजूद हैं. यह स्थिति रोडवेज प्रबंधन की नियोजन विफलता को दर्शाती है.

अब देखना यह होगा कि रोडवेज चेयरमैन और प्रबंध निदेशक इस खुली अवहेलना पर क्या सख्त कदम उठाते हैं, या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में ही दफन हो जाएगा. यात्रियों और कार्मिक संगठनों की मांग है कि तत्काल प्रभाव से कार्यालय में बैठे परिचालकों को रूट पर लगाया जाए और चालकों से टिकटिंग का गैरकानूनी कार्य बंद हो.