महंगाई, वृद्धि, मुद्रा संकट का सबसे बुरा दौर पीछे छूटा: आरबीआई गवर्नर

मुंबई:  भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि आर्थिक वृद्धि, मुद्रास्फीति और मुद्रा के ताजा आंकड़े बताते हैं कि वित्त बाजारों और विश्व अर्थव्यवस्था का सबसे बुरा दौर पीछे छूट चुका है. दास ने साथ ही कहा कि उच्च दरें लंबे समय तक बनी रह सकती हैं. उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के 2023 में उल्लेखनीय रूप से गिरावट आने की आशंका है, लेकिन ऐसा लगता है कि वृद्धि और मुद्रास्फीति, दोनों मामले में सबसे खराब दौर पीछे छूट गया है.

दास ने फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट एंड डेरिवेटिव्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (फिम्मडा) और प्राइमरी डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (पीडीआईए) की दुबई में वार्षिक बैठक के दौरान यह बात कही. उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के चलते लागू किए गए प्रतिबंधों में राहत और विभिन्न देशों में मुद्रास्फीति कुछ कम होने के साथ केंद्रीय बैंकों ने दर में कम वृद्धि या ठहराव के संकेत देने शुरू कर दिए हैं. हालांकि महंगाई दर अभी भी अधिक है.

दास ने साथ ही कहा कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को अपने लक्ष्य के दायरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने जोड़ा कि उच्च दरें लंबे समय तक बनी रह सकती हैं. वृद्धि के मोर्चे पर उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले तक व्यापक और गंभीर मंदी की आशंका थी, लेकिन अब लग रहा है कि सामान्य मंदी रहेगी. उन्होंने कहा कि ऐसे अनिश्चित अंतरराष्ट्रीय माहौल में 'हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है' और वृहत आर्थिक आर्थिक आंकड़े मजबूत हैं.

दास ने कहा कि हमारी वित्तीय प्रणाली मजबूत और स्थिर बनी हुई है. बैंक और कंपनियां पहले की तुलना में बेहतर हैं. बैंक ऋण दहाई अंकों में बढ़ रहा है. हमें आमतौर पर एक उदास दुनिया में उम्मीद की किरण के रूप में देखा जाता है. हमारी मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है, लेकिन नवंबर और दिसंबर में उल्लेखनीय कमी हुई है. घरेलू वित्तीय बाजारों के बारे में दास ने कहा कि हम वित्तीय बाजारों को विकसित करने में 1990 के दशक से एक लंबा सफर तय कर चुके हैं. (भाषा)