भारतीय नागरिकों को बांटने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने वाले ‘असली राष्ट्र विरोधी’- सोनिया गांधी

नई दिल्ली: कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती पर शुक्रवार को केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया और आरोप लगाया कि सत्ता का दुरुपयोग और संवैधानिक संस्थाओं को नष्ट किया जा रहा है.

उन्होंने यह दावा भी किया कि भारतीय नागरिकों को धर्म, जाति, भाषा और लिंग के आधार पर बांटने एवं उन्हें एक दूसरे के खिलाफ खड़ा करने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने वाले ‘असली राष्ट्र विरोधी’ हैं. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने लोगों का आह्वान किया कि वे ‘सुनियोजित ढंग से हो रहे हमले’ से संविधान को बचाने के लिए कदम बढ़ाएं.

आंबेडकर जयंती पर समाचार पत्र ‘द टेलीग्राफ’ में लिखे एक लेख में सोनिया गांधी ने कहा कि आज हम बाबासाहेब की विरासत का सम्मान करते हैं. इसके साथ ही हमें उनकी उस चेतावनी को भी याद रखना होगा कि संविधान की सफलता उन लोगों के व्यवहार पर निर्भर करती है जिन्हें शासन करने का उत्तरदायित्व मिला है. उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार सत्ता का दुरुपयोग, संविधान को नष्ट कर रही है तथा न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता की बुनियादों को कमजोर कर रही है.

कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख ने यह आरोप भी लगाया कि लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के बजाय उन्हें प्रताड़ित करने के लिए सत्ता दुरुपयोग किया जा रहा जिससे स्वतंत्रता को खतरा पैदा हुआ है तथा ‘चुनिंदा मित्रों को फायदा पहुंचाने वाले व्यवहार’ से समता की बुनियाद को आघात लगा है. उन्होंने दावा किया कि भारतीय नागरिकों को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा करने और नफरत का माहौल पैदा करने से बंधुता का भी क्षरण हुआ है तथा सतत अभियान के जरिये न्यायपालिका पर दबाव बनाकर अन्याय बढ़ाया जा रहा है.

सत्ता के प्रयासों के बावजूद भारतीय नागरिकों में बंधुता की भावना की जड़ें गहरी:
सोनिया गांधी ने कहा कि अपने आखिरी भाषण में डॉक्टर आंबेडकर ने जाति व्यवस्था को बंधुता की बुनियाद पर हमला बताया था और इसे राष्ट्र विरोधी करार दिया था. उन्होंने आरोप लगाया कि आज असली राष्ट्र विरोधी वह लोग हैं जो भारतीय नागरिकों को धर्म, जाति, भाषा और लिंग के आधार पर बांटने के लिए सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं. सोनिया गांधी ने कहा कि शुक्र है कि सत्ता के प्रयासों के बावजूद भारतीय नागरिकों में बंधुता की भावना की जड़ें गहरी हैं. सोर्स- भाषा