जयपुरः राजस्थान में खनन क्षेत्र ने पारदर्शिता और सुशासन की नई मिसाल पेश की है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के प्रभावी नेतृत्व में राज्य ने महज डेढ़ वर्ष में रिकॉर्ड 54 खनिज ब्लॉकों की नीलामी कर पिछली सरकार के पांच वर्षीय आंकड़े को पीछे छोड़ दिया. प्रमुख सचिव टी. रविकांत, निदेशक दीपक तंवर और अतिरिक्त निदेशक महेश माथुर की समन्वित टीम ने इस प्रक्रिया को तेज, पारदर्शी और निवेश मैत्रीपूर्ण बनाया. परिणामस्वरूप राजस्थान खनिज नीलामी में देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य बनकर उभरा है.
राजस्थान में खनिज क्षेत्र में पारदर्शिता र सुशासन की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज हुई है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के प्रभावशाली नेतृत्व और मार्गदर्शन में राज्य सरकार ने महज डेढ़ वर्ष की अवधि में 54 खनिज ब्लॉकों (43 खनन पट्टे और 11 कम्पोजिट लाइसेंस) की सफलतापूर्वक नीलामी कर नई मिसाल कायम की है. यह नीलामी 15 दिसंबर 2023 से 13 जून 2025 के बीच हुई, जो राज्य के खनन इतिहास की अब तक की सबसे तेज, पारदर्शी और प्रभावशाली प्रक्रिया मानी जा रही है. इस उपलब्धि के पीछे खनन एवं भूविज्ञान विभाग की संगठित और समर्पित टीम का विशेष योगदान रहा. प्रमुख सचिव टी. रविकांत की प्रशासनिक सूझबूझ, निदेशक दीपक तंवर की तकनीकी रणनीति और अतिरिक्त निदेशक मुख्यालय महेश माथुर के समन्वयात्मक नेतृत्व ने इस महा-अभियान को गति दी. विभाग के अधिकारी और तकनीकी विशेषज्ञ पूरी प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाते हुए प्रत्येक स्तर पर पारदर्शिता, प्रतिस्पर्धा और निवेश मैत्रीपूर्ण माहौल सुनिश्चित करने में सफल रहे. तुलना करें तो पूर्ववर्ती सरकार के पूरे पांच वर्षीय कार्यकाल (15 दिसंबर 2018 से 14 दिसंबर 2023) में महज 34 ब्लॉक्स (21 खनन पट्टे और 13 कम्पोजिट लाइसेंस) की नीलामी की गई थी, जबकि वर्तमान सरकार ने मात्र डेढ़ वर्ष में ही यह आंकड़ा पार कर लिया.
इससे यह स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने न केवल प्रक्रिया को तेज किया, बल्कि उसे निष्पक्ष और पारदर्शी भी बनाया. वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान राजस्थान ने देशभर में सर्वाधिक 34 खनिज ब्लॉकों की नीलामी कर राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान हासिल किया है. 2015 में केंद्र सरकार द्वारा "Auction Regime" लागू किए जाने के बाद से यह राजस्थान की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. इससे राज्य को न केवल राजस्व प्राप्त हुआ है, बल्कि उद्योगों को नए संसाधन मिले हैं, जिससे रोजगार और निवेश को भी प्रोत्साहन मिला है. राज्य सरकार की इस उपलब्धि के पीछे स्पष्ट नीति, कड़ा अनुशासन और टीमवर्क का अद्भुत समन्वय रहा. मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन करते हुए खनन विभाग ने प्रत्येक प्रक्रिया को डिजिटल, ट्रांसपेरेंट और तेज गति से अंजाम दिया. इस प्रक्रिया को न केवल उद्योग जगत ने सराहा है, बल्कि नीति निर्माताओं और केंद्रीय संस्थाओं ने भी इसकी प्रशंसा की है. राजस्थान आज खनिज ब्लॉकों की नीलामी में देश का अग्रणी राज्य बनकर उभरा है. यह न केवल प्रशासनिक दक्षता का परिचायक है, बल्कि यह दिखाता है कि समर्पित नेतृत्व, स्पष्ट रणनीति और विभागीय समन्वय से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है.