डीडवानाः लिखावट यानी लेखन भी एक कला है. कई लोगों की लिखावट बेहद खूबसूरत होती है, तो कई लोग तेजी से लेखन कार्य करते हैं. लेखन का काम समाज का लगभग हर व्यक्ति करता है. इसमें कोई विशेष बात नहीं है, लेकिन जब कोई दोनों हाथों से,एक साथ, एक ही जैसी लिखावट लिखे, तो यह ना केवल हैरत अंगेज बल्कि अद्भुत भी लगेगा. आप सोच रहे होंगे कि इसमें नया क्या है, यह तो बहुत से लोग कर लेते हैं पर इस खबर के जरिए हम आपको मिलाने वाले है डीडवाना की 13 साल की रीत बांगड़ से ,जिसकी खासियत ये है कि वो एक हाथ से हिंदी और दूसरे से अंग्रेजी में भी लिख लेती हैं. रीत की इस प्रतिभा को देखकर हर कोई हैरत में है.
आपने फिल्म स्टार आमिर खान की मशहूर फिल्म थ्री इडियट देखी होगी. उसमें वीरू सहस्त्रबुद्धि यानी वायरस का किरदार निभाने वाले अभिनेता बोमन ईरानी अपना समय बचाने के लिए दोनों हाथों से एक साथ लिखते हैं, कुछ ऐसा ही नजारा आपको इन तस्वीरों में नजर आएगा, जिसमें अपने दोनों हाथों से नोट बुक में लिखती ये बच्ची नजर आ रही है. यह बच्ची डीडवाना की रीत बांगड़ है, जो महज 13 साल की है और 8वीं कक्षा की छात्रा है. रीत ने जब से स्कूल जाना शुरू किया और लिखना सीखा तो उसने बाएं हाथ से लिखना शुरू किया, इस पर उसकी दादी ने उसे टोका और समझाया कि लेखन कार्य बाएं हाथ से करना चाहिए. रीत ने दादी की सलाह मान ली और दाएं हाथ से लिखना शुरू कर दिया, लेकिन जब वह लिखते लिखते थक जाती तो बाएं हाथ से लिखना शुरू कर देती. इस तरह धीरे-धीरे वह दोनों हाथों से लिखने लगी और अब वह एक साथ अलग-अलग नोटबुक में दोनों हाथों से लेखन कर सकती है.
समय के निखरती गई लिखावट शैलीः
समय के साथ रीत की लिखावट शैली दिनों दिन निखरती गई और उसने अपने माइंड को इस प्रकार सेट कर लिया कि अब वह दो अलग-अलग लैंग्वेज में एक साथ लेखन कर सकती है. यानी एक नोटबुक में वह हिंदी का वर्क कर सकती है, तो दूसरी नोटबुक में इंग्लिश का काम कर सकती है. इसके अलावा एक साथ दोनों हाथों से चित्रकारी और पेंटिंग भी कर सकती है. डीडवाना के पूजा इंटरनेशनल विद्यालय में अध्ययनरत रीत बांगड़ से विद्यालय प्रबंधन भी बहुत प्रभावित है और उसके जरिए दूसरे विधार्थियों को प्रेरित भी किया जाता है
जैसे-जैसे बड़ी होती गई, प्रतिभा में और निखार आता चला गया:
आपको बता दे की मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन और भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी दोनों हाथों से लेखन कार्य में सक्षम थे, इसके अलावा दुनिया में कई और व्यक्ति भी अपने दोनों हाथों से एक साथ लिख सकते हैं लेकिन रीत बांगड़ का ये हुनर बहुत कम लोगों में मिलता है. रीत की इस अनोखी क्षमता के बारे में रीत की मां एडवोकेट रोहिणी बांगड़ का कहना है कि, रीत जैसे-जैसे बड़ी होती गई, उसकी इस प्रतिभा में और निखार आता चला गया. समय के साथ रीत ने दो अलग-अलग भाषाओं में एक साथ लिखना शुरू किया. उन्होंने बताया कि रीत अपनी परीक्षा में भी एक साथ दोनों हाथों से पेपर लिख लेती है. इससे उसका समय बचता है और वह 3 घंटे का पेपर डेढ़ से दो घंटों में ही पूरा कर लेती है. रीत की दादी भगवती देवी भी रीत के इस हुनर को ईश्वरीय देन बताती हुई कहती है कि बचपन से ही उसने इस ईश्वरीय देन को अपनी खासियत बनाकर,लगातार अभ्यास के जरिए, दोनों हाथों से एक साथ लेखन कार्य करने में विशेषज्ञता हासिल कर ली है
दोनों हाथों से लिखने वाले व्यक्ति को कहा जाता है उभयहस्तः
रीत बांगड़ के इस अनोखे हुनर के बारे में जब हमने मनो चिकित्सक डॉक्टर सुरेंद्र कुमार जिलोया से बात की तो उन्होंने बताया कि दोनों हाथों से लिखने वाले व्यक्ति को उभयहस्त (Ambidextrous) कहा जाता है. उभयहस्त लोगों में दोनों हाथों को एक समान निपुणता के साथ इस्तेमाल करने की क्षमता होती है. उन्होंने बताया की दुनिया में करीब 90- 95% लोग दाएं हाथ से काम करते हैं, जबकि बाएं हाथ से काम करने वाले लोग 5-10% के आस-पास होते है. रीत बांगड़ जैसे उभयहस्त लोग इससे भी कम होते हैं, करीब 1% लोग ही दोनों हाथों का इस्तेमाल कर पाते हैं. मनोचिकित्सक डॉक्टर सुरेंद्र कुमार ने जानकारी दी कि इंसान का दिमाग ब्रेन 2 हिस्सों में बटा होता है, ब्रेन का लेफ्ट हिस्सा राइट हिस्से को कंट्रोल करता है और राइट हिस्सा लेफ्ट हिस्से को नियंत्रित करता है. इसी के हिसाब से लोग लेफ्ट राइट हिस्से से कार्य करते है, लेकिन 1 प्रतिशत ऐसे भी लोग होते हैं जो दोनों हाथ से 1 साथ कार्य करते है, उन्हें क्रॉस वार्य या उभयहस्त कहते है. उनके दोनों हिस्से 1 साथ कार्य करने के लिए विकसित होते है और उनका पूरे ब्रेन पर 1 साथ कंट्रोल होता है.
डीडवाना की रीत बांगड़ की कहानी:
तो ये थी , दोनों हाथों से एक साथ, वो भी अलग अलग भाषाओं में लेखन कार्य का अनोखा हुनर रखने वाली डीडवाना की रीत बांगड़ की कहानी ,जिसे उसके स्कूल के साथी और परिजनों में से कोई हैरी पॉटर वाला जादूगर 'वॉल्ट मोर' तो कोई 'थ्री इडियट्स' फिल्म का 'प्रोफेसर वीरू सहस्त्रबुद्धे' कहते है. इन सबके बीच रीत का कहना है कि इस दुनिया में अभ्यास से हर कार्य को आसान किया जा सकता है, अगर पूरे समर्पण और लगन से उस अभ्यास को लगातार किया जाए.