जयपुर: राजस्थान की 30 हजार से अधिक खदानों के बंद होने के हालात बन गए हैं. जिला स्तर पर जारी हुई पर्यावरण स्वीकृतियों यानी 'ईसी' में नियमों की अनदेखी की शिकायत के बाद एनजीटी ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को आदेश दिए हैं. इसके बाद मंत्रालय ने प्रदेश के खान विभाग को निर्देश दिए हैं कि खान मालिकों को नोटिस जारी कर एक वर्ष के अंदर राज्यस्तरीय पर्यावरण मंजूरी समिति यानी 'सीया' से ईसी लाने के नोटिस जारी करें.. ऐसा न करने पर खदान को बंद किया जा सकता है. इस आदेश के बाद खनन पट्टाधारकों में हडकंप मच गया है.
प्रदेश में 30 हजार से ज्यादा खनन लीज व क्वारी लाइसेंस:
- सभी ने डिस्ट्रिक लेवल एन्वारमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथोरिटी ले रखी ईसी
- अब एनजीटी के आदेश के बाद खान मालिकों में हडकंप
- सभी को स्टेट लेवल एन्वायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी 'सीया' लेनी होगी ईसी
- एक वर्ष में सीया से ईसी नहीं ली तो खदान होगी बंद
- ईसी की संख्या देखते हुए जोधपुर, उदयपुर में SEAC के गठन की तैयारी
प्रदेश की 14 हजार माइनिंग लीज व 16 हजार क्वारी लाइसेंस के आधार पर जो खदानें चल रही है उनकी ईसी (पर्यावरण स्वीकृति) अब अमान्य होने वाली है. दरअसल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इन सभी पर्यावरण स्वीकृति की एक साल की अवधि में दोबारा समीक्षा कराने के आदेश दिए है. यह जिम्मेदारी स्टेट लेवल एन्वायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी 'सीया' को दी गई है. यह एक स्वतंत्र एजेंसी है जो कोई भी प्रोजेक्ट आने पर पर्यावरण से जुड़े सबजेक्ट की समीक्षा कर रिपोर्ट करती है. उसी के बाद ही उस प्रोजेक्ट को संबंधित विभाग मंजूर करता है. इस आदेश से प्रदेश के करीब 30 हजार खदान मालिक प्रभावित होंगे.
दरअसल पहले इन सभी खादानों को जिलास्तरीय समिति 'दीया' यानी डिस्ट्रिक लेवल एन्वायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथोरिटी ने ईसी दी थी जिसे अब अमान्य बताया है. अब इन ईसी की फाइलों को स्टेट लेवल एन्वायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथोरिटी के पास भेजेंगे जहां दोबारा समीक्षा होगी. एक समीक्षा नहीं कराने पर इन खदानों में खनन कार्य बंद करना पड़ेगा. ईसी की संख्या देखते हुए राज्य सरकार जल्द ही जोधपुर और उदयपुर में स्टेट लेवल एक्सपर्ट अप्रेजल कमेटियों का गठन करने जा रही है. इस आदेश के बाद से ही खदान मालिकों में हडकंप मचा हुआ है.
सूत्रों की माने तो मई 2016 में पांच हेक्टेयर से छोटी सभी खदानों के लिए ईसी अनिवार्य की गई थी. इसके बाद केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के आदेश पर डिस्ट्रिक लेवल एन्वारमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथोरिटी का गठन किया. यहां इस कमेटी ने प्रदेश की 14 हजार माइनिंग लीज व 18 हजार क्वारी लाइसेंस की जांच कर इनको पर्यावरण स्वीकृति जारी कर दी थी सो अभी तक चल रही है. ये एक साल बाद ही दोबारा जांच करेगा. दरअसल जिलों में डिस्ट्रिक लेवल एन्वायरमेंट इंपेक्ट असेसमेंट अथोरिटी ने ही इसी जारी की थी. लोगों ने इसकी शिकायत एनजीटी में इसमें बताया कि डिस्ट्रिक लेवल ने जो ईसी दी है उनमें कई गड़बड़ियां है.
कई खदानों के संचालन से ये फाइल जयपुर भेजेंगे. पर्यावरण को खतरा है. इस पर एनजीटी ने इन ईसी को फिलहाल अमान्य कर दोबारा समीक्षा कराने को कहा है. एनजीटी ने इन सभी खदानों की इसी को स्टेट लेवल एन्वारमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथोरिटी से एक साल की अवधि में जांच कराकर दोबारा इसी लेने के लिए निर्देशित किया है. ऐसे में सभी जगह से डिया की और से जारी ईसी की फाइलों को जयपुर भेजा जाएगा. एक साल में यदि इसको समीक्षा नहीं हुई तो वहां खनन कार्य बंद करा दिया जाएगा. हालांकि एनजीटी के इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने एसएलपी भी दायर की है लेकिन कोई फैसला नहीं आया है.