VIDEO: राजस्थान विधानसभा का संयोग या दुर्योग को मिटाने की पहल ! विधानसभा में स्पीकर देवनानी ने करवाया स्वस्तिवाचन और मंगलाचरण

जयपुर: राजस्थान की विधानसभा में होनी है या अनहोनी. कभी भी 200विधायक एक साथ नहीं बैठे. हाल ही में सात विधायक नव निर्वाचित हुए. इन घटनाओं के मद्देनजर विधानसभा पर अपशकुन की बात भी सामने आई. शायद इन्हीं सब अशुभ की बातों के कारण स्पीकर वासुदेव देवनानी ने वैदिक मंत्रोच्चार की परंपरा स्वस्ति वाचन को अपनाया और अपने कक्ष में इसे आहूत किया. कुछ ने इसे शुद्धिकरण से भी जोड़ा,कहा जाता है इससे सभी देवी-देवताओं की उपासना की जाती है और सभी बुरे ग्रहों का शमन किया जाता.

स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः. स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ महती कीर्ति वाले ऐश्वर्यशाली इन्द्र हमारा कल्याण करें, जिसको संसार का विज्ञान और जिसका सब पदार्थों में स्मरण है, सबके पोषणकर्ता वे पूषा (सूर्य) हमारा कल्याण करें. जिनकी चक्रधारा के समान गति को कोई रोक नहीं सकता, वे गरुड़देव हमारा कल्याण करें. वेदवाणी के स्वामी बृहस्पति हमारा कल्याण करें.

- स्वस्ति वाचन में सभी देवी-देवताओं की उपासना की जाती है और सभी बुरे ग्रहों का शमन किया जाता है
- स्वस्तिवाचन करने से हृदय और मन मिल जाते हैं. 
- स्वस्तिवाचन करने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है. 
- स्वस्तिवाचन करने से सभी देवी-देवता जागृत होते हैं

उल्लेखनीय है कि राज्य की नई विधानसभा में कभी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठे! कुछ पूर्व विधायकों ने इस कारण विशेष पूजा अर्चना की मांग की थी. पूर्व मुख्य सचेतक कालू लाल गुर्जर और पूर्व विधायक हबीबुर्रहमान ने सवाल खड़े किए थे. नई विधानसभा बनने से पहले श्मशान और कब्रिस्तान भूमि होने का दावा किया था बुरी आत्माओं के साए में विधानसभा इमारत होने की बात उठी थी. इन्हीं सब बातों के मद्देनजर स्पीकर देवनानी ने करवाया वैदिक मंत्रोच्चार और मंगल चारण किया. पहली बार स्पीकर के कक्ष में यज्ञोपवित्र पहने बटुकों ने स्वस्ति वाचन किया. शास्त्रों के अनुसार वैदिक मंत्रोच्चार से शुद्धि करण की परंपरा रही है. विधानसभा में वेद और संस्कृत विद्यालयों के 51 छात्रों ने जन कल्याण के लिए स्वस्ति वाचन किया. देवनानी लंबे समय से विधायक के नाते विधानसभा के सदस्य रहे है वो जानते है कि यहां कभी भी 200विधायक एक साथ नहीं बैठे और ना ही एक साथ सभी 200विधायकों ने सदन की सदस्यता.की शपथ ली हाल ही में दो विधानसभा उप चुनाव इसलिए हुए कि रामगढ़ से कांग्रेस विधायक जुबेर खान और सलूंबर से बीजेपी विधायक अमृत लाल मीणा का निधन हो गया. इसके साथ ही फिर पुरानी बातों को बल मिल गया. अर्थ ये हैं कि राजस्थान विधानसभा के मौजूदा भवन में कभी भी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठे.

- पिछली गहलोत सरकार में भी उप चुनावो का इतिहास रहा था पंडित भंवर लाल शर्मा,किरण माहेश्वरी, मास्टर भंवरलाल मेघवाल,कैलाश त्रिवेदी का निधन हो गया था
-- इतिहास को जाने तो फरवरी 2001 के दौरान जब 11वीं विधानसभा का सत्र था विधानसभा की इमारत पुराने भवन से नए भवन में शिफ्ट हुई थी ..
-25 फरवरी को तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन इसका उद्घाटन करने आने वाले थे जो बीमार होने की वजह से नहीं आ सके
- आखिरकार बिना उद्घाटन के ही विधानसभा शुरु हो गई 
-इसके बाद नवंबर 2001 में इसका उद्घाटन हुआ तब से अब तक किसी ना किसी विधायक का निधन होता रहा है
शुरुआती दौर में विधायक किशन मोटवानी ,जगत सिंह दायमा, भीखा भाई ,भीमसेन चौधरी, रामसिंह विश्नोई, अरुण सिंह ,नाथूराम अहारी चल बसे थे
-वसुंधरा राजे के शासन के दौरान कल्याण सिंह चौहान, कीर्ति कुमारी, धर्मपाल चौधरी का विधायक पद पर रहते हुये निधन हो गया था  

--- उप चुनावों का भी लगातार मौजूदा विधानसभा की इमारत से सामना ---
-विधानसभा से अचानक विधायकों की गैर मौजूदगी की एक बड़ा कारण उपचुनाव रहे
-समय समय पर कई विधानसभा क्षेत्रों को उपचुनाव का सामना भी करना पड़ा
 - फरवरी 2002 में किशन मोटवानी के निधन के बाद अजमेर पश्चिम में उपचुनाव हुए 
-दिसंबर 2002 में बानसूर विधायक जगत सिंह दायमा के निधन के बाद चुनाव हुआ 
-सागवाड़ा विधायक भीखा भाई के निधन बाद उपचुनाव हुआ 
-2005 जनवरी में लूणी विधायक रामसिंह विश्नोई के निधन के बाद उपचुनाव हुआ 
-2006 मई में डीग विधायक अरुण सिंह के निधन के बाद उपचुनाव हुआ 
-2006 दिसंबर में डूंगरपुर विधायक नाथूराम अहारी के निधन के बाद उपचुनाव हुआ
- 2017 में धौलपुर विधायक बीएल कुशवाह के जेल जाने के बाद वहां भी उपचुनाव हुए
- 2017 में सितंबर के महीने में बीजेपी विधायक कीर्ति कुमारी के निधन के बाद मांडलगढ़ में उपचुनाव हुआ
- 21 फरवरी 2018 को बीजेपी विधायक कल्याण सिंह का भी निधन हो गया उसके बाद मुंडावर विधायक धर्मपाल चौधरी भी इस दुनिया में नहीं रहे
पिछली सरकार के समय रामगढ़ उपचुनाव का सामना करना पड़ा
- सहाड़ा,सुजानगढ़ , वल्लभनगर और राजसमंद के विधानसभा उप चुनाव भी हुए थे गहलोत सरकार के समय
- मौजूदा भजनलाल सरकार के समय खींवसर,चौरासी, देवली उनियारा, दौसा, झुंझुनूं के विधायकों के सांसद बनने का कारण उप चुनाव हुए. सलूंबर और रामगढ़ में स्थानीय विधायक के निधन के कारण उप चुनाव हुआ.

 

राजस्थान की पुरानी विधानसभा जयपुर के चारदीवारी के मानसिंह टाउन हॉल में चला करती थी, नई विधानसभा आधुनिक परिवेश के साथ नए जयपुर में बनाई गई. लेकिन विधानसभा में विधायकों की उपस्थिति हमेशा शंकाओं से घिरी रही. खुलकर विधायक भले ही अंधविश्वासों के बारे में बात नहीं करें लेकिन अंदरूनी तौर पर कानाफूसी के जरिए यह कहते रहते हैं की विधानसभा के भवन को शुद्धिकरण की जरूरत है. विधायकों के फोटो सेशन में शायद कभी ऐसा हुआ हो जब पूरे विधायक एक साथ नजर आय़े हो साफ है सदन में कुर्सियां 200 है मगर कभी भी 200 नहीं बैठ पाते. वासुदेव देवनानी ने अपने एक साल की वर्षगांठ पर अघोषित तौर पर वैदिक मंत्रों का वाचन शायद शुद्धिकरण के लिए करवाया.