जयपुर: नए समय की जरूरत के मुताबिक प्रदेश के सबसे बड़े प्रशासनिक संस्थान सचिवालय की सुरक्षा व्यवस्था और पुख्ता करना लाजिमी माना जा रहा है. हाल ही में उच्चस्तरीय बैठक में ऐसे कई सिफारिशें की गईं हैं जो निकट भविष्य में लागू होंगी. स्वतंत्रता दिवस सहित अन्य अहम मौकों ही नहीं रोजमर्रा की गतिविधियों में भी इन सुराखों से सबसे बड़े 'पावर सेंटर' की सुरक्षा को लेकर कई तरह के सुधार जरूरी हैं.
यह है सिफारिश या सुधारात्मक कदम:
बाहर की कई गाड़ियां जब अशोक क्लब के सामने वाले प्रवेश द्वार से प्रवेश करती है तो इस गेट से प्रवेश करने पर गाड़ी में बैठे मुख्य व्यक्ति को तो पास देकर ही एंट्री की जाती है लेकिन उस गाड़ी में जो-जो सवार हैं उनके पास प्रवेश पत्र है या नहीं, यह अभी पुख्ता नहीं हो पा रहा है. साथ ही इस गेट पर ऑटोमेटिक बैरियर लगाया जाना सबसे जरूरी है और हर पास में क्यूआर कोड भी जरूरी है जिसके स्कैन होने पर ही कोई अंदर प्रवेश कर सकता है. अत्याधुनिक स्वागत कक्ष में महिलाओं की चेकिंग के लिए अलग व्यवस्था तो है लेकिन इसे कभी-कभी ही खोलकर फ्रिस्किंग की कार्यवाही होती है.यहां सिंगल हैंडेड मेटल डिटेक्टर के साथ महिला पुलिसकर्मी हैं लेकिन इस डिटेक्टर का कम इस्तेमाल होता है. सचिवालय में बेसमेंट में काफी बड़ी दो पार्किंग है लेकिन वहां सीलन,जीर्ण-शीर्ण ढांचा होने और पानी टपकने से गाड़ी इन बेसमेंट पार्किंग के बजाय बापू की प्रतिमा के पास इधर-उधर खड़ी रहती हैं. बेतरतीब पार्किंग से अव्यवस्था होती है जिसे सुधारने की जरूरत है. कुछ पुलिस कर्मी वर्दी में नहीं रहते.
सुलग रहे हैं ये भी सवाल:
-स्वागत कक्ष में आगंतुक हो या सचिवालय के कर्मचारी ...सभी के लिए एंट्री और एग्जिट प्वाइंट अलग-अलग होने थे लेकिन ऐसा क्यों नहीं किया गया ?
-रोजमर्रा के पासधारियों के साथ साथ नए आगंतुक से अस्थाई पास और फोटो, आधार या अन्य आईडी लेनी चाहिए लेकिन अक्सर इतनी जल्दी रहती है कि ये नियम नजरअंदाज कर दिए जाते हैं.
- साथ ही स्वागत कक्ष में ऐसा स्केनर लगाना भी प्रस्तावित है जिसमें नए आगंतुक की आंखों की पुतली या आगंतुक के फिंगरप्रिंट लेना भी शामिल है.
साथ ही ऐसा स्कैनर पास में होना चाहिए जो सरकार के अन्य संस्थानों में भी मान्य हो और जिससे कंप्यूटर पर स्कैन करने के साथ ही नए आगंतुक की पूरी डिटेल मिल जाए. हाल ही में हुए सिक्योरिटी ऑडिट में ऐसे ही कई खुलासे हुए हैं जिन पर एक्शन लिया जाना लाजिमी माना जा रहा है.