जयपुर: राहत और बरकत... जी हां, जयपुर जिले में बाघ की आमद ने चीते के मध्य प्रदेश जाने के गम को आज हलका कर दिया. वन विभाग के ऊपर बाघ एसटी 24 की सुरक्षा को लेकर मंडरा रहे आशंका के बाद भी छंट गए. 63 दिनों बाद बाघ एसटी 24 बीती रात कैमरा ट्रेप में आया तो आशंकाएं तो धराशाही हो ही गई. बल्कि यह भी साबित हो गया कि 32 वर्ष बाद किसी बाघ को जयपुर जिले में रहना पसंद आ गया है. ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि एसटी 24 के साथ ही जमवारामगढ़ में बाघ बसावट की शुरुआत हो गई है.
बाघ एसटी 24 लेकर करीब 2 महीने से चल रही अटकलों को आज खुद बाघ एसटी 24 ने विराम लगा दिया. एसटी 24 करीब 63 दिन के लंबे अंतराल के बाद बीती रात 12 बजकर 15 मिनट पर कैमरा ट्रेप में पानी पीते दिखाई दिया. इन 63 दिनों में एसटी 24 के पगमार्क तो दिखे लेकिन अजबगढ़, रायसर, जमवारामगढ़ और प्रादेशिक रेंज में पांच दर्जन से ज्यादा कैमरा ट्रेप लगाने के बाद भी उसकी तस्वीर नहीं मिली थी. अब बीती रात जमवारामगढ़ रेंज में झोल नाके के पास मंगल बाबा वाटर पॉइंट पर एसटी 24 कैमरा ट्रेप में दिखाई दिया. ध्यान रहे यह बाघ पिछले महीने 24 अगस्त को जमवारामगढ़ रेंज में साऊ की पहाड़ियों के पास दिखाई दिया था. इसने यहां शिकार किया और अगले एक पखवाड़े तक साऊ की पहाड़ी, सरजोली, झोल, ड्योढ़ा डूंगर के आसपास इसके पगमार्क दिखते रहे. इसके बाद यह सितंबर की शुरुआत में रायसर रेंज के गोराठ तक चला गया. 7 सितंबर को खरड़ के पास इसके पगमार्क दिखे.
हालांकि इसके बाद कई दिन तक पगमार्क नहीं दिखने से वन विभाग के अधिकारियों के माथे पर बल पड़ने लगे थे. फर्स्ट इंडिया न्यूज़ भी पिछले महीने ग्राउंड जीरो पर पहुंचा था और बताया था कि जिस जगह एसटी 24 का मूवमेंट है वह बहुत ही सघन और मुश्किल जगह है जहां बाघ को ट्रैक करना खतरे से खाली नहीं. बहरहाल सरिस्का टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर रूप नारायण मीणा ने इस चुनौती को देखते हुए टीमें बनाई और बाघ की ट्रेकिंग शुरू करवाई. डीएफओ देवेंद्र जगावत, जयपुर डीएफओ वाइल्डलाइफ कपिल चंद्रावल, रायसर रेंजर रामकरण मीणा, जमवारामगढ़ रेंजर प्रेमशंकर मीणा और टीम को न केवल मौके पर जाकर मॉनिटरिंग के निर्देश दिए वरन खुद कई बार मौके पर पहुंचे. लगातार बाघ की मॉनिटरिंग से आखिर बीती रात बाघ कैमरा ट्रेप में दिखा तो सभी ने राहत की सांस ली.
इस पूरे घटनाक्रम में एक अच्छी बात यह रही कि एसटी 24 को जमवारामगढ़ का क्षेत्र रास आ गया. इसके लिए यहां पर्याप्त प्रे बेस भी है और पीने को पानी भी. अन्य बाघ का दखल न होने से इसने इस क्षेत्र को अपनी टेरेटरी बना लिया है. ऐसे में भविष्य में यहां बाघों की बसावट के लिए इसे अच्छा संकेत माना जा रहा है. यहां पास में ही डिगोता वन क्षेत्र है जो काफी सघन है यहां पर एन्क्लोजर भी वन विभाग बनवा रहा है. ऐसे में यह स्थान बाघ पुनर्वास के लिए बेहतर साबित हो सकता है. वैसे भी जमवारामगढ़ में अंतिम बार वर्ष 1990 में बाघ देखा गया था. अब 32 वर्ष बाद यहां बाघ की वापसी हुई है. उम्मीद की जानी चाहिए कि एसटी 24 की जयपुर जिले में आमद से सरिस्का बाघ पुनर्वास को नई दिशा भी मिलेगी और गति भी.