राजस्थान में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति की अडचनें होगी दूर ! एग्रीकल्चर फीडर सेग्रीगेशन के लिए डिस्कॉम्स प्रशासन की बड़ी कवायद

जयपुरः घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति देने की सीएम भजनलाल शर्मा की मंशा को साकार करने के लिए बिजली कम्पनियों ने एकबार फिर "सिस्टम अपग्रेडेशन" की बड़ी कवायद शुरू की है. डिस्कॉम प्रशासन ने हाइब्रिड एन्युटी मॉडल यानी "हेम" के प्रति कम रूझान को देखते हुए पुराने पैटर्न "आरडीएसएस" में ही फीडर सेग्रीगेशन का काम कराने का फैसला किया है. इस कवायद में करीब 4000 से अधिक फीडरों पर विद्युत सुधार कार्य होगा,जिससे जनता को गुणवत्ता की बिजली मिल सकेगी. आखिर है डिस्कॉम की प्लानिंग और जनता को कैसे मिलेगा फायदा, 

राजस्थान के विद्युत तंत्र को मजबूत करने के लिए केन्द्र सरकार ने पिछले साल करीब 7500 करोड़ रुपए की स्वीकृति जारी की थी, जिसको लेकर बिजली कम्पनियों ने दो अलग अलग फेज तैयार किए. पहले फेज में जहां आरडीएसएस योजना के तहत टर्न की प्रोजेक्ट पर काम शुरू किए गए, जबकि हाइब्रिड एन्युटी मॉडल यानी "हेम" के साथ दूसरे फेज में काम का दायरा बढ़ाते हुए करीब 33 हजार करोड़ के टेण्डर जारी किए. दूसरे फेज में फीडर सेग्रीग्रेशन के साथ ही स्थानीय कृषि जरूरत के हिसाब से सोलर प्लांट लगाने और दस साल तक नेटवर्क मैनेजमेंट की शर्त भी जोड़ी गई, जिसके विरोध में सभी ठेकेदार लामबद्ध थे. ऐसे में अब एकबार फिर से डिस्कॉम ने दूसरे फेज के काम को भी आरडीएसएस योजना के तहत टर्न प्रोजेक्ट पर कराने के लिए करीब चार हजार करोड़ के टेण्डर जारी किए है.

HAM के बजाय पुराने RDSS पैटर्न पर होंगे काम
प्रदेश के विद्युत सुधार कार्यों के तहत रूरल फीडर सेग्रिगेशन,रूटीन मेटीनेंस
सोलर प्लांट इंस्ट्रालेशन समेत अन्य तरह के कामकाज की प्लानिंग से जुडी खबर
शुरूआत से पहले ही ठण्डे बस्ते में हाइब्रिड एन्युटी मॉडल के 33 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट
दरअसल, राजस्थान में पहली बार हाइब्रिड एन्युटी मॉडल(HEM)मॉडल लागू करने की थी प्लानिंग
तत्कालीन एसीएस आलोक ने NHAI की तर्ज पर डिस्कॉम में भी शुरू करवाई थी कवायद
हेम मॉडल में एकबार काम करके भुगतान लेने के बजाय 10 से 25 साल तक सिस्टम की करनी थी देखरेख
डिस्कॉम में इस तरह की लम्बी "जिम्मेदारी" तय होने के चलते ठेकेदारों में मची हुई थी खलबली
ऐसे में डिस्कॉम की तरफ से आमंत्रित 33000 हजार करोड़ निविदाओं से ठेकेदारों ने बनाई दूरी
इस बीच जैसे ही बदली परिस्थिति तो हाईलेवल के दखल के बाद नए सिरे से शुरू हुई कवायद
नई कवायद में सिर्फ फीडर सेग्रीगेशन के काम के लिए निकाले गए 4 हजार करोड़ के नए टेण्डर
हालांकि, ऊर्जा मामलों के विशेषज्ञों की माने तो यदि हेम मॉडल में प्रस्तावित सोलर प्लांट लगते
तो काफी हद तक डिस्कॉम का कृषि बिजली के रूप में कम होगा वित्तीय भार

डिस्कॉम प्रशासन ने हाल ही में जारी नए टेण्डरों में 33 केवी के 1244 फीडरों को शामिल किया है. इन फीडरों में कृषि और अन्य बिजली उपयोग के फीडर सेग्रीगेट करने, सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए नए फीडर खींचने समेत अन्य तरह के काम होंगे, जिन पर 1325 करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान है. डिस्कॉम प्रशासन ने पूर्व के कटूअनुभवों को देखते हुए इस बार काम पूरा करने की टाइमलाइन तय की है. डिस्कॉम अधिकारियों के मुताबिक 27 जून को टेण्डर खुलेंगे, जिसके बाद सफल बिडर्स को कार्यादेश जारी किए जाएंगे. 

किस सर्किल में कितना काम
भिवाड़ी सर्किल में 151 फीडर : 189 करोड़
दौसा सर्किल में 143 फीडर : 143 करोड़
जेपीडीसी नॉर्थ सर्किल में 118 फीडर : 137 करोड़
धौलपुर सर्किल में 88 फीडर : 107 करोड़
बारां सर्किल में 112 फीडर : 103 करोड़
जेपीडीसी साउथ सर्किल में 97 फीडर : 99 करोड़
भरतपुर सर्किल में 114 फीडर : 88 करोड़
झालावाड़ सर्किल में 90 फीडर : 78 करोड़
करौली सर्किल में 63 फीडर : 76 करोड़
बूंदी सर्किल में 48 फीडर : 67 करोड़
कोटा सर्किल में 71 फीडर : 66 करोड़
टोंक सर्किल में 41 फीडर : 56 करोड़
सवाई माधोपुर सर्किल में 42 फीडर : 49 करोड़
डीग सर्किल में 44 फीडर : 40 करोड़
कोटपुतली सर्किल में 22 फीडर : 21 करोड़