जयपुर: राज्य सरकार में OPS लागू होने के बाद केंद्र के PFRDA फंड से 39000 करोड़ नहीं लौटाने के बीच एक राहत की खबर है. OPS लागू होने पर भी राज्य कर्मचारियों की ओर से पूर्व के NPS खाते से करीब 590 करोड़ निकालने के चलते कश्मकश में उलझी सरकार को बड़ी सफलता मिली है. बार-बार आग्रह और चेतावनी के बाद सरकारी कर्मियों ने NPS फंड से निकाली करीब 500 करोड़ की राशि लौटा दी है जो OPS लागू करने को लेकर सरकार के समर्थन का साफ संकेत माना जा रहा है.
OPS लागू होने के बाद गहलोत सरकार दोहरी उलझन से जूझ रही थी. संवेदनशील सीएम ने सरकारी कर्मियों की सामाजिक सुरक्षा के मद्देनजर OPS तो लागू कर दिया लेकिन एक तरफ केंद्र ने NPS के PFRDA में जमा 39000 करोड़ की राशि लौटाने से इंकार कर दिया तो दूसरी तरफ OPS लागू होने पर भी सरकारी कर्मियों ने NPS फंड से खुद के अंशदान के 590 करोड़ निकाल लिए थे. ऐसे में OPS लागू करने के साथ वित्तीय प्रबंधन बड़ा चुनौती बन रहा था. अब राहत की बात यह है कि सरकार की ओर से बार बार तिथि बढ़ाने, अनुरोध करने और चेतावनी देने के बाद 590 करोड़ में से करीब 500 करोड़ सरकारी कर्मियों ने वापस जमा करा दिए हैं. अब PFRDA फंड से 39000 करोड़ केंद्र से लेने की कोशिशें जारी हैं.
क्या है मांग ?
राजस्थान सरकार ओपीएस लागू करने के बाद केन्द्र से न्यू पेंशन स्कीम के तहत पीएफआरडीए में जमा 29000 करोड़ की मूल कटौती राशि के साथ 10 प्रतिशत प्रोफिट भी मांग रही है, जो कुल 39000 करोड़ है.
इसके तहत पूर्व में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन की ओर से यह जवाब भेजा गया कि एनपीएस के लिए कर्मचारियों के साथ केन्द्र का समझौता है और ऐसे में राज्य सरकार को यह राशि नहीं लौटाई जा सकती.
ऐसे में अब पीएम की इस मामले में हस्तक्षेप के लिए पत्र लिखा गया है.
इन राज्यों में भी OPS लागू
दूसरी ओर पंजाब, हिमाचल, छत्तीसगढ़ की राज्य सरकारों ने भी राजस्थान की तर्ज पर ओपीएस लागू किया.
क्या है OPS और NPS में अंतर ?
वर्ष 2004 से लागू हुई नई पेंशन स्कीम का निर्धारण कुल जमा राशि और निवेश पर आए रिटर्न के अनुसार होता है. इसमें कर्मचारी का योगदान उसकी बेसिक सैलरी और डीए का दस प्रतिशत कर्मचारियों का प्राप्त होता है. इतना ही सहयोग राज्य सरकार देती है. पीएफआरडीए में यह पैसा जमा होता है. एक मई 2009 से एनपीएस स्कीम लागू की गई
वहीं पुरानी पेंशन स्कीम-OPS के तहत रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारी के वेतन की 40 प्रतिशत राशि पेंशन के रूप में दी जाती है, क्योंकि पुरानी स्कीम में पेंशन का निर्धारण सरकारी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार होता है. इसके लिए कर्मचारी के वेतन से कोई पैसा नहीं कटता है. रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है. इसमें जीपीएफ का प्रावधान है. इससे सरकारी खजाने पर ज्यादा असर पड़ता है.
बोर्ड/ कॉरपोरेशन में कैसे मिले OPS का पूरा लाभ
बोर्ड,कॉरपोरेशन, निगम स्वायत्तशासी संस्थाओं, राजकीय उपक्रमों के करीब 1.35 करोड़ कर्मियों के OPS लागू करने का पैटर्न अलग है.
इन संस्थाओं में EPF, CPF और GPF खाते हैं.
इन 1.35 लाख के कर्मचारियों को ओपीएस में शामिल करने के लिए नीतिगत निर्णय तो हो चुका है लेकिन इनकी 50 प्रतिशत हिस्सा राशि संबंधित निगम, बोर्ड के वहन करने को लेकर कुछ उलझनें हैं जिसे सुलझाने पर ही इसे लागू करने का वास्तविक मकसद पूरा हो सकता है.
ऐसे में अभी FD कुल मिलाकर सरकारी विभागों के करीब 6 लाख सरकारी कर्मचारियों को ही OPS के दायरे में मान रहा है.
उधर PFRDA से राज्य सरकार के 39000 करोड़ लेने के लिए फिर पीएम मोदी को पत्र लिखा है जिसके जवाब का इंतजार है.