आखिर क्यों जरूरी है राइट टू हेल्थ ? CM अशोक गहलोत ने मार्मिक क्लिप के जरिए जाहिर की मंशा; इलाज की चिंता में मरीजों का दिल्ली-गुजरात की तरफ रुख

आखिर क्यों जरूरी है राइट टू हेल्थ ? CM अशोक गहलोत ने मार्मिक क्लिप के जरिए जाहिर की मंशा; इलाज की चिंता में मरीजों का दिल्ली-गुजरात की तरफ रुख

जयपुर: राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल (Right To Health Bill) को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उसके पीछे की मंशा को साझा किया है. उन्होंने ट्विटर पर एक मार्मिक क्लिप के जरिए बताया कि आखिर क्यों जरूरी है राइट टू हेल्थ ? उन्होंने दिल्ली में 24 वर्षीय युवक की आत्महत्या की घटना का भी जिक्र किया. 

साथ ही कहा कि आर्थिक तंगी कैसे इलाज में बाधा बनती है ? कई बार तो दुर्भाग्य से खुदखुशी तक की नौबत ले आती है. इसलिए सरकार ने महसूस किया कि हर जिंदगी अनमोल है. किसी भी परिवार का चिराग आर्थिक तंगी के चलते ना बुझे. क्योंकि यूं किसी चिराग का बुझना पूरे समाज के लिए शर्मिंदगी है. 

वहीं राजस्थान में कल चिकित्सा सेवाएं बेपटरी रहेगी ! RTH को लेकर जारी निजी चिकित्सकों के आंदोलन को मेडिकल टीचर्स का बड़ा समर्थन मिला है. मेडिकल टीचर्स ने राजस्था में कल प्रस्तावित महाबंद को समर्थन दिया है. मेडिकल टीचर्स के संगठन RMCTA और MCTAR ने महाबंद का ऐलान किया है. हालांकि इस दौरान इमरजेंसी और आईसीयू की सेवा यथावत रखने की घोषणा की. 

इलाज की चिंता में मरीजों का दिल्ली-गुजरात की तरफ रुख:
दूसरी ओर इलाज की चिंता में मरीजों का दिल्ली-गुजरात की तरफ रुख जारी है. राइट टू हेल्थ बिल के विरोध का यह बड़ा साइड-इफेक्ट है. शिड्यूल डिलीवरी, एक्डेंटल इमरजेंसी, आपात सर्जरी समेत अन्य ट्रीटमेंट के लिए मरीज हैरान और परेशान हो रहे हैं. इसी के चलते इलाज के लिए दूसरे राज्यों की तरफ रुख कर रहे हैं. गर्भवती महिलाएं शिड्यूल डिलीवरी के लिए दूसरे राज्यों में जा रही है. 

राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में चिकित्सकों ने महारैली के रूप में हुंकार भरी:
आपको बता दें कि राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में सोमवार को राजधानी में चिकित्सकों ने महारैली के रूप में हुंकार भरी. प्रदेशभर के चिकित्सक सुबह एसएमएस मेडिकल कॉलेज के ग्राउड में एकत्र हुए और फिर रैली के रूप में गोखले हॉस्टल मार्ग, सूचना केंद्र टोंक रोड, महारानी कॉलेज तिराहा, अशोक मार्ग, राजपूत सभा भवन, पांच बत्ती, एमआई रोड, अजमेरी गेट, न्यू गेट, अल्बर्ट हॉल होते हुए वापस मेडिकल कॉलेज पहुंचे. रैली के बाद चिकित्सक नेताओं ने अपने मंसूबे साफ कर दिए कि अब सरकार से कोई वार्ता की जरूरत नहीं है. जब तक मौजूदा बिल को वापस नहीं लिया जाता, तब तक चिकित्सकों का आंदोलन बदस्तूर जारी रहेगा.