नई दिल्ली: प्रस्तावित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक-2022 के तहत सरकार को महत्वपूर्ण नियंत्रण और छूट से कंपनियों के लिए भारत में डेटा केंद्रों और डेटा प्रसंस्करण गतिविधियों में निवेश करना कठिन हो सकता है. वैश्विक प्रौद्योगिकी उद्योग के निकाय आईटीआई ने यह आशंका जताई है.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) विधेयक-2022 का मसौदा तैयार किया है और दो जनवरी तक इसपर टिप्पणियां आमंत्रित की हैं. आईटीआई ने कहा है कि यह विधेयक भारत सरकार की कार्यकारी शाखा को महत्वपूर्ण नियंत्रण प्रदान करता है. इसमें सरकार के लिए कई तरह की छूट हैं जो कंपनियों के लिए भारत में डेटा केंद्रों और डेटा प्रसंस्करण गतिविधियों में निवेश को मुश्किल बना सकती हैं.
डेटा न्यासियों को कई अनुपालन बोझ से छूट दी गई:
आईटीआई वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, ट्विटर और एप्पल का प्रतिनिधित्व करती है. आईटीआई ने कहा कि डीपीडीपी के मसौदे में सरकार द्वारा अधिसूचित डेटा न्यासियों को कई अनुपालन बोझ से छूट दी गई है. इनमें डेटा संग्रह के उद्देश्य के बारे में किसी व्यक्ति को सूचित करने से संबंधित प्रावधान, बच्चों के डेटा का संग्रह, सार्वजनिक व्यवस्था के आसपास जोखिम मूल्यांकन, डेटा ऑडिटर की नियुक्ति आदि शामिल है.
मुद्दों पर विधेयक का समर्थन किया:
हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर का कहना है कि सरकार के लिए छूट केवल सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखना, आपात स्थिति, महामारी और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों जैसी विशेष परिस्थितियों में ही होगी. हालांकि, उद्योग निकाय ने डेटा को देश के बाहर भंडारित करने की अनुमति जैसे मुद्दों पर विधेयक का समर्थन किया है. सोर्स-भाषा