जयपुर: हर साल कार्तिक मास के कृष्णन पक्ष की चतुर्थी के दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत करती हैं इस दिन को करवाचौथ कहते हैं. रात में चांद का दीदार करने और चलनी से पति का चेहरा देखने के बाद महिलाएं यह व्रत तोड़ती हैं. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर - जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि कृष्णं पक्ष की चतुर्थी के दिन यह व्रत किया जाता है और इस साल करवा चौथ सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग में मनाई जायेगी. वहीं इस साल चतुर्थी तिथि चतुर्थी तिथि आरंभ 20 अक्टूबर 2024 को सुबह 06:46 मिनट से शुरू हो रही है. जिसका समापन अगले दिन यानी 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 04:16 मिनट पर होगा.
उदया तिथि के अनुसार करवा चौथ का व्रत रविवार 20 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा. 20 अक्टूबर को पति- पत्नी का महापर्व करवा चौथ है. ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन व्यतीपात योग कृत्तिका नक्षत्र और विष्टि, बव, बालव करण बन रहे हैं. साथ ही चंद्रमा वृषभ राशि में मौजूद रहेंगे. इस संयोग में करवा माता की आराधना करने से वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याएं समाप्त होंगी, और रिश्तों में मिठास बनी रहेगी. ये व्रत जीवन साथी के लिए समर्पण, प्रेम और त्याग का भाव दिखाता है. महिलाएं पति के सुखी जीवन, सौभाग्य, अच्छी सेहत और लंबी उम्र के लिए दिनभर निराहार और निर्जल रहती हैं. इस रिश्ते में जब तक एक-दूसरे के बीच विश्वास है, तब तक प्रेम बना रहता है. अगर जीवन साथी पर अविश्वास का भाव जाग जाता है तो ये रिश्ता टिक नहीं पाता है.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानी करवा चौथ का व्रत. सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखे जाने वाले इस व्रत को महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं. करवा चौथ व्रत में चंद्रमा की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस व्रत में चंद्रमा की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और पति की आयु लंबी होती है. इसलिए विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखती हैं. इस दिन चंद्रमा के साथ-साथ शिव-पार्वती सहित गणेशजी व मंगल ग्रह के स्वामी देव सेनापति कार्तिकेय की भी विशेष पूजा होती है.
करवा चौथ पर बन रहा विशिष्ट संयोग
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन व्यतीपात योग कृत्तिका नक्षत्र और विष्टि, बव, बालव करण बन रहे हैं. साथ ही चंद्रमा वृषभ राशि में मौजूद रहेंगे. इस संयोग में करवा माता की आराधना करने से वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याएं समाप्त होंगी, और रिश्तों में मिठास बनी रहेगी.
करवा चौथ तिथि
करवा चौथ का व्रत रविवार 20 अक्टूबर 2024
चतुर्थी तिथि आरंभ- 20 अक्टूबर 2024 को सुबह 06:46 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त- 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 04:16 मिनट पर
उदया तिथि के अनुसार करवा चौथ का व्रत रविवार 20 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा.
करवा चौथ पूजा मुहूर्त
पूजा का मुहूर्त 20 अक्टूबर शाम 5:46 मिनट से शुरू होगा और शाम 7:02 मिनट पर समाप्त होगा. यानी कुल 1 घंटे 16 मिनट का मुहूर्त होगा.
चंद्र दर्शन का समय
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि वहीं ये भी मान्यता है कि कि ऐसे समय में चंद्र दर्शन मनवांछित फल प्रदान करता है. इस बार करवा चौथ को यानि रविवार 20 अक्टूबर को चांद रात 07:57 मिनट पर निकलेगा. ऐसे में इसी समय व्रती महिलाओं को चंद्र दर्शन हो सकता है. वहीं चंद्र दर्शन के बाद ही व्रती महिलाएं व्रत खोलेगी.
लाल रंग के कपड़े पहनें, मिलेगा पति का प्यार
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि करवाचौथ के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं यदि लाल रंग के कपड़े पहनती हैं तो उन्हें जिंदगी भर पति का प्यार मिलेगा. माना जाता है कि लाल रंग गर्मजोशी का प्रतीक है और मनोबल भी बढ़ाता है. साथ ही लाल रंग प्यार का प्रतीक भी माना जाता है. लाल रंग में महिलाएं अधिक सुंदर और आकर्षित दिखती हैं एवं सबके आकर्षण का केंद्र बिंदू बनती हैं. नीले, भूरे और काले रंग के कपड़े न पहनें, क्योंकि ये अशुभता के प्रतीक हैं.
छलनी की ओट से चंद्रदर्शन
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि करवा चौथ को लेकर मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें सीधे नहीं देखी जाती हैं, उसके मध्य किसी पात्र या छलनी द्वारा देखने की परंपरा है क्योंकि चंद्रमा की किरणें अपनी कलाओं में विशेष प्रभावी रहती हैं. जो लोक परंपरा में चंद्रमा के साथ पति-पत्नी के संबंध को उजास से भर देती हैं. चूंकि चंद्र के तुल्य ही पति को भी माना गया है, इसलिए चंद्रमा को देखने के बाद तुरंत उसी छलनी से पति को देखा जाता है. इसका एक और कारण बताया जाता है कि चंद्रमा को भी नजर न लगे और पति-पत्नी के संबंध में भी मधुरता बनी रहे.
करवा चौथ की पूजन सामग्री
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि करवा चौथ के व्रत से एक-दो दिन पहले ही सारी पूजन सामग्री को इकट्ठा करके घर के मंदिर में रख दें. पूजन सामग्री इस प्रकार है- मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे.
करवा चौथे की पूजा विधि
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि करवा चौथ पर दिनभर व्रत रखा जाता है और रात में चंद्रमा की पूजा की जाती है. इसके लिए पूजा-स्थल को खड़िया मिट्टी से सजाया जाता है और पार्वती की प्रतिमा की भी स्थापना की जाती है. पारंपरिक तौर पर पूजा की जाती है और करवा चौथ की कथा सुनाई जाती है. करवा चौथ का व्रत चांद देखकर खोला जाता है, उस मौके पर पति भी साथ होता है. दीए जलाकर पूजा की शुरुआत की जाती है. करवा चौथ की पूजा में जल से भरा मिट्टी का टोंटीदार कुल्हड़ यानी करवा, ऊपर दीपक पर रखी विशेष वस्तुएं, श्रंगार की सभी नई वस्तुएं जरूरी होती है. पूजा की थाली में रोली, चावल, धूप, दीप, फूल के साथ दूब अवश्य रहती है. शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय की मिट्टी की मूर्तियों को भी पाट पर दूब में बिठाते हैं. बालू या सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर भी सभी देवताओं को विराजित करने का विधान है. अब तो घरों में चांदी के शिव-पार्वती पूजा के लिए रख लिए जाते हैं. थाली को सजाकर चांद को अर्घ्य दिया जाता है. फिर पति के हाथों से मीठा पानी पीकर दिन भर का व्रत खोला जाता है. उसके बाद परिवार सहित खाना होता है.
करवा चौथ को शास्त्रों में सौभाग्य वृद्धि का व्रत माना जाता है भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास के अनुसार करवा चौथ के दिन राशि के अनुसार वस्त्र पहनने से वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है.
1. मेष राशि की महिलाएं करवा चौथ के दिन गोल्डन रंग की साड़ी, लहंगा या सूटकर पूजा करें.
2. वृषभ राशि की महिलाओं का सिल्वर रंग के वस्त्र धारण करना शुभ रहेगा.
3. करवा चौथ के दिन मिथुन राशि की महिलाएं हरे रंग के वस्त्र धारण करें.
4. कर्क राशि के लिए करवा चौथ के दिन शुभ रंग लाल है.
5. सिंह राशि वालों के लिए लाल, ऑरेंज या गोल्डन रंग के वस्त्र शुभ माने जाते हैं.
6. करवा चौथ के दिन कन्या राशि की महिलाएं लाल, हरी या गोल्डन रंग की साड़ी पहनें.
7. तुला राशि की महिलाएं लाल, गोल्डन या सिल्वर रंग के वस्त्र धारण करें.
8. वृश्चिक राशि की महिलाओं के लिए लाल रंग सबसे उत्तम माना जाता है. इस दिन आप महरून या गोल्डन रंग के कपड़े पहनकर पूजा कर सकती हैं.
9. धनु राशि की महिलाओं को आसमानी या पीले रंग के वस्त्र धारण करने की सलाह दी जाती है.
10. मकर राशि वालों के लिए नीला रंग शुभ माना जाता है.
11. कुंभ राशि की महिलाएं नीले रंग या सिल्वर कलर के वस्त्र धारण कर सकती हैं.
12. मीन राशि की महिलाएं पीले या गोल्डन कलर के कपड़े पहनकर पूजा करें. मान्यता है कि ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी.