जयपुर: प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों की ओर से एनआरआई सीटों को मेनेजमेंट सीट में बदलकर करोड़ों रुपए के वारे न्यारे करने का बड़ा खुलासा हुआ है. इन मेडिकल कॉलेजों ने मिलीभगत करके पांच साल पहले 15 प्रतिशत एनआरआई कोटे की सीट को मेनेजमेंट में तब्दील करवा लिया और फिर खुद ही इन सीट्स की भारी भरकम फीस भी निर्धारित कर दी. पूरा मामला प्रकाश में आने के बाद अब चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मनमानी फीस वसूलने वाले मेडिकल कॉलेजों पर सख्ती शुरू कर दी है.
राजस्थान के निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की मैनेजमेंट सीट के नाम पर अवैध वसूली का खेल चल रहा है. ये कोई हमारा आरोप नहीं, बल्कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के संज्ञान में आई मनमानी की बानगी है. सबसे आश्चर्य की बात ये रही कि पांच सालों से कॉलेजों के स्तर पर मनमानी फीस वसूलने का खेल जा रहा, बावजूद इसके काउंसलिंग बोर्ड और फीस निर्धारण कमेटी ने कोई आपत्ति नहीं की. इस दरमिशन बगैर निर्धारण के स्टूडेंट्स से कॉलेजों ने डेढ़ से दो गुना तक अधिक फीस वसूली. हाल ही में प्रकरण सामने आने के बाद चिकित्सा शिक्षा सचिव अम्बरीश कुमार ने इस तरह की वसूली को पूरी तरह से न सिर्फ अनाधिकृत माना है, बल्कि सभी निजी मेडिकल कॉलेजों को FRC से निर्धारित फीस ही वसूलने के सख्त निर्देश दिए है. इसके साथ ही पूर्व में स्टूडेंट्स से वसूली गई अतिरिक्त फीस 12% ब्याज के साथ लौटाने के भी दिए सख्त निर्देश दिए है.
आठ निजी मेडिकल कॉलेजों की बढ़ेगी मुश्किलें !
-MBBS में मैनेजमेंट सीट के नाम पर कमाई के खेल से जुड़ी खबर
-चिकित्सा शिक्षा विभाग ने यूजी काउंसलिंग बोर्ड को दिए सख्त निर्देश
-FRC से निर्धारित फीस पर ही मेडिकल सीट्स में प्रवेश सुनिश्चित करने के निर्देश
-पिछले सालों में वसूली फीस का पता लगाने के लिए निजी मेडिकल कॉलेज का रिकॉर्ड तलब
-ताकि पता लगे कि किस मेडिकल कॉलेज ने मैनेजमेंट सीट के नाम पर कितनी वसूली की
-विभाग ने इन सभी कॉलेजों को पूर्व में वसूली अधिक राशि छात्रों को लौटाने के भी दिए निर्देश
-आदेश की पालना नहीं करने वाले मेडिकल कॉलेजों संबद्धता होगी रद्द,चल-अचल संपत्ति से होगी वसूली
-इसके अलावा कॉलेज के खिलाफ कारवाई के लिए NMC/DCI को भी भेजी जाएगी सूचना
-प्रदेश में जारी यूजी काउसलिंग में निजी श्रेणी में आठ मेडिकल कॉलेज को आंवटित हो रही है सीट्स
-इसमें उदयपुर जिले में संचालित अनंता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर,
-अमेरिकन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, कोटा में संचालित सुधा मेडिकल कॉलेज,
-जोधपुर में व्यास मेडिकल कॉलेज, JIET मेडिकल कॉलेज को पहले से आवंटित हो रही थी सीट्स
-जबकि जयपुर में गीतांजली, आर्या और बीएस तोमर मेडिकल कॉलेज को इस साल ही मिली है अनुमति
-चिकित्सा शिक्षा विभाग के ताजा फरमान के लागू होने से इन सभी मेडिकल कॉलेज से दिक्कतें बढ़ना तय
-हालांकि, काउंसलिंग के तीसरे राउण्ड के बीच इस फरमान को लागू करना रहेगा बोर्ड के लिए बड़ी चुनौती
चिकित्सा शिक्षा विभाग के आदेश के बाद काउंसलिंग बोर्ड और निजी मेडिकल कॉलेजों में खलबली का माहौल देखा जा रहा है. क्योंकि इस मनमानी वसूली ने पूरे सिस्टम को सवालों के घेरे में ला दिया है. चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव अम्बरीश कुमार ने बताया कि यह आदेश सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस्लामिक एकेडमी ऑफ एजुकेशन बनाम कर्नाटक राज्य मामले में दिए गए निर्णय की अनुपालना में है, जिसमें निजी शैक्षणिक संस्थानों में शुल्क निर्धारण और प्रवेश प्रक्रिया को विनियमित करने पर जोर दिया गया है. विभागीय आदेश के अनुसार गठित राज्य स्तरीय शुल्क निर्धारण समिति द्वारा निर्धारित शुल्क संरचना का पालन अनिवार्य है. इस आदेश को जारी करने का मुख्य उद्देश्य छात्रों के हितों की रक्षा करना और शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता एवं निष्पक्षता सुनिश्चित करना है. यह आदेश मुख्य रूप से निजी चिकित्सा महाविद्यालयों द्वारा अनधिकृत अतिरिक्त शुल्क वसूली की शिकायतों के आधार पर जारी किया गया है.
विभाग के आदेश की बिन्दुवार जानकारी
1. निजी चिकित्सा महाविद्यालयों को अनुमोदित शुल्क संरचना का पालन करना होगा और 15% प्रबंधन कोटा सीटों के लिए अनधिकृत अतिरिक्त शुल्क नहीं वसूलना होगा.
2. सभी निजी चिकित्सा महाविद्यालयों/डेंटल महाविद्यालयों को समिति द्वारा निर्धारित शुल्क संरचना के अनुसार ही छात्रों से शुल्क वसूल करना होगा.
3. अनुमोदित शुल्क से अधिक कोई अन्य शुल्क किसी भी संस्था द्वारा वसूल नहीं किया जाएगा.
4. यदि संस्थाओं द्वारा अधिक शुल्क वसूला जाता है, तो प्रभावित छात्रों को 12% वार्षिक ब्याज के साथ शुल्क वापस (रिफंड) किया जाएगा.
5. अनुपालन न करने पर संस्था की संबद्धता आरयूएचएस/एमएमयू से समाप्त की जा सकती है, अतिरिक्त शुल्क उसकी संपत्तियों से वसूल किया जाएगा और प्रभावित छात्रों को अन्य चिकित्सा महाविद्यालयों में स्थानांतरित किया जाएगा.
6. अनुपालन न करने वाली संस्थाओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें एनएमसी/डीसीआई को सूचित करना शामिल है.
7. संबद्धता समाप्त होने पर छात्रों के शुल्क और वित्तीय भार की वसूली संबंधित संस्था से की जाएगी.