नई टाउनशिप नीति के फाइनल किए प्रारूप में शामिल किया महत्वपूर्ण प्रावधान, भूमि छोड़ने से नहीं बच सकेंगे विकासकर्ता

जयपुरः प्रदेश में नई टाउनशिप नीति लागू होने के बाद हर आकार की योजना में लोगों से जुड़ी सुविधाओं के लिए भूमि छोड़ना जरूरी होगा. छोटे आकार की योजना लाकर भी विकास कर्ता जन सुविधाओं के लिए भूमि छोड़ने से बच नहीं सकेंगे. वर्तमान में लागू की गई टाउनशिप नीति वर्ष 2010 में लागू की गई थी. प्रदेश की भजनलाल सरकार ने नई टाउनशिप नीति लागू करने का फैसला किया.  इसके लिए जेडीए के निदेशक आयोजना विनय कुमार दलेला की अध्यक्षता में एक वरिष्ठ नगर नियोजकों की एक कमेटी का गठन किया. इस कमेटी ने विभिन्न राज्यों में टाउनशिप के प्रचलित प्रावधानों के अध्ययन के बाद नई टाउनशिप नीति का प्रारूप तैयार किया. 

नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा की स्वीकृति के बाद 27 जून को टाउनशिप नीति का प्रारूप किया गया. प्रारूप पर एक महीने का समय देते हुए आपत्ति व सुझाव आमंत्रित किए गए. प्राप्त आपत्ति व सुझावों के निस्तारण के लिए नगरीय विकास विभाग ने दुबारा जेडीए के निदेशक विनय कुमार दलेला की कमेटी को ही अधिकृत कर दिया. इस कमेटी ने नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा और प्रमुख सचिव नगरीय विकास वैभव गालिरया के साथ कई चर्चाओं के दौर के बाद नई टाउनशिप नीति का फाइनल प्रारूप तैयार किया. आपको सबसे पहले बताते हैं कि वर्तमान में लागू टाउनशिप नीति 2010 में पार्क,खेल का मैदान आदि जन सुविधाओं के लिए भूमि उपलब्ध कराने को लेकर क्या प्रावधान है और इनके चलते किस तरह बिना जन सुविधाओं वाली छोटी आवासीय योजनाओं को बढ़ावा मिल रहा है.

-मौजूदा टाउनशिप नीति के अनुसार दो हैक्टेयर तक की योजना में पार्क,खेल का मैदान,सुविधा क्षेत्र और जन उपयोग के लिए भूमि आरक्षित रखना जरूरी नहीं हैं

-इन छोटी योजनाओं में सत्तर प्रतिशत तक क्षेत्रफल में भूखंड सृजित किए जा सकते हैं

-दो हैक्टेयर से अधिक और दस हैक्टेयर तक के आकार की स्कीम में 15 प्रतिशत भूमि पार्क,खेल का मैदान,सुविधा क्षेत्र और जन उपयोग के लिए छोड़ा जाना जरूरी है

-दस हैक्टेयर से बड़ी योजनाओं में 20 प्रतिशत भूमि पार्क,खेल का मैदान,सुविधा क्षेत्र और जन उपयोग के लिए छोड़ा जाना जरूरी है

-छोटी योजनाओं में जन सुविधाओं के लिए भूमि नहीं छोड़ने की छूट के चलते दो हैक्टेयर तक की योजनाएं अधिक सृजित की जा रही हैं

-जानकारों के अनुसार जिन विकासकर्ताओं के पास 2 हैक्टेयर से अधिक भूमि है तो भी वह भी भूमि को टुकड़ों में बांटकर योजनाएं सृजित कर रहे हैं

-ताकि जन सुविधाओं के लिए भूमि छोड़ने से बचा जा सके

-छोटी योजनाएं आने से शहर के नियोजित विकास पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है

-पार्क, खेल का मैदान, स्कूल, अस्पताल, सामुदायिक केन्द्र, विद्युत उप केन्द्र, पेयजल योजना आदि के लिए भूमि उपलब्ध नहीं हो पा रही है

मौजूदा टाउनशिप नीति में छोटी योजनाओं में जन सुविधाओं के लिए भूमि नहीं छोड़ने के छूट के प्रावधान के दुरूपयोग के चलते प्रस्तावित नई टाउनशिप नीति में इसको लेकर कड़े प्रावधान किए गए हैं. ताकि जन सुविधाओं के लिए भूमि छोड़ने की बाध्यता से किसी भी तरह नहीं बचा जा सके.

-प्रस्तावित नई टाउनशिप नीति के फाइनल किए गए प्रारूप में जन सुविधाओं की उपलब्धता को लेकर सख्ती बरती गई है

-फाइनल प्रारूप के मुताबिक किसी योजना का आकार छोटा हो या बड़ा

-सभी आकार की योजनाओं में अब 15 प्रतिशत भूमि पार्क,खेल का मैदान,सुविधा क्षेत्र और जन उपयोग के लिए छोड़ा जाना जरूरी होगा

-15 प्रतिशत में 7 प्रतिशत भूमि पार्क और खेल के मैदान के लिए छोड़नी होगी

-जबकि 8 प्रतिशत भूमि जन सुविधा और जन उपयोग की गतिविधि के लिए छोड़ा जाना जरूरी होगा

-जन सुविधा में स्कूल, अस्पताल, सामुदायिक केन्द्र आदि गतिविधियां की जा सकती हैं

-जबकि जन उपयोग में बिजली उप केन्द्र, पेयजल योजना, ठोस कचरा प्रबंधन इकाई, सार्वजनिक शौचालय, रैन बसरा आदि गतिविधियां की जा सकती हैं

-प्रस्तावित टाउनशपि नीति में सभी योजनाओं के लिए भूखंड व सुविधा क्षेत्र में अनुपात 60:40 रखा गया है.