जयपुर: सहज और सुलभ मतदान के अपने मिशन को पूरा करने का निर्वाचन विभाग पूरा प्रयास कर रहा है. इसके तहत जहां ऊंचाई पर मतदान केंद्र बनाए जाएंगे तो वहीं मरूस्थलीय इलाके में भी बूथ बनाने की तैयारियां कर ली हैं. इसके तहत मतदान दल 18 किमी तक पैदल चलकर जाएगा.
मतदाता चाहे कम हो, दूरी चाहे ज्यादा हो. चाहे ऊंचाई पर मतदाता हों या मरूस्थलीय, निर्जन क्षेत्र. निर्वाचन विभाग ने 'कोई भी मतदाता न छूटे' के नारे को मिशन के रूप में लेते हुए उस पर खरा उतरने की कोशिश कर रहा है.
सिरोही जिले के आबू-पिंडवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में 4921 फुट की ऊंचाई पर स्थित शेरगांव के मतदाता इस वर्ष पहली बार अपने ही गांव में मतदान कर पाएंगे.
मतदान दल फोरेस्ट गार्ड की मदद से घने जंगल में करीब 18 किलोमीटर तक पगडंडियों पर पैदल चल कर इस मतदान केन्द्र तक पहुंचेगा.
यहां 117 मतदाताओं के लिए मतदान केन्द्र बनाया गया है.
पहले शेरगढ़ के मतदाताओं को वोट देने के लिए दूरदराज के एक और उतरज गांव में मतदान केन्द्र तक आना होता था.
इस बार, उतरज गांव में 238 मतदाताओं के लिए मतदान केन्द्र बनाया जाएगा.
बाड़मेर जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब स्थित बाड़मेर का पार गांव में महज 35 मतदाताओं के लिए मतदान केन्द्र बनाया जा रहा है.
बाड़मेर जिले के ही एक अन्य गांव मंझोली में 49 मतदाताओं के लिए पहली बार मतदान केंद्र बनाया जा रहा है.
इस बार इस गांव के मतदाताओं को वोट देने के लिए पांच किमी दूर नहीं जाना पड़ेगा.
कांटल का पार गांव में 50 मतदाताओं के लिए मतदान केन्द्र बनाया जा रहा है.
जैसलमेर के मेनाउ मतदान केंद्र पर केवल 50 मतदाता हैं. मतदान के दिन वहां टेंट में एक अस्थायी बूथ स्थापित किया जायेगा.
धौलपुर जिले के बसेड़ी विधानसभा क्षेत्र में काली तीर मतदान केन्द्र भी पहली बार बनाया जाएगा.
डांग क्षेत्र में स्थित इस मतदान केन्द्र पर 682 मतदाता हैं.
पहले यहां के मतदाताओं को 7.5 किलोमीटर दूर स्थित मतदान केन्द्र पर जाना होता था.
पहले भी रेतीले धोरों पर ऊंटों का इस्तेमाल करके वोटिंग सुनिश्चित की जाती रही है.