जयपुर: लंबे समय से राजस्थान कांग्रेस में चली आ रही गुटबाजी पर आलाकमान ने एक बार फिर विराम लगाने का प्रयास किया है. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट प्रकरण में सारी चर्चाओं का अंत होता नजर आ रहा है ! इसके साथ ही अब पायलट के पार्टी छोड़कर जाने की संभावनाओं का भी अंत हो गया है.
सचिन पायलट अब कांग्रेस में ही रहेंगे और आलाकमान का हर फैसला उन्हें मंजूर होगा. अब भाजपा शीर्ष नेतृत्व इस नए 'डवलपमेंट' का विश्लेषण कर रहा है. क्योंकि राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार भाजपा का 'कांग्रेस मुक्त भारत की तर्ज पर गहलोत मुक्त राजस्थान' की रणनीति का एजेंडा था. ऐसे में अब पायलट के कांग्रेस में ही रह जाने का भाजपा की रणनीति पर क्या प्रभाव होगा यह सवाल खड़ा हो रहा है.
आपको बता दें कि राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच विवाद को कांग्रेस आलाकमान ने सुलझाने का दावा किया है. सोमवार को पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि गहलोत और पायलट पार्टी के प्रस्ताव पर सहमत हो गए हैं. हालांकि, उन्होंने इस बारे में कोई ब्योरा नहीं दिया. खरगे के आवास 10 राजाजी मार्ग पर हुई करीब चार घंटे की बैठक में गहलोत और पायलट अलग-अलग समय पर पहुंचे. गहलोत शाम करीब छह बजे खरगे के आवास पर आए और उनके करीब दो घंटे बाद पायलट वहां पहुंचे.
लंबे समय बाद दोनों नेता एक साथ मीडिया के सामने नजर आए:
गहलोत और पायलट कांग्रेस के संगठन महासचिव के साथ मीडिया से मुखातिब हुए. लंबे समय बाद दोनों नेता एक साथ मीडिया के सामने नजर आए. बैठक के बाद वेणुगोपाल ने मीडिया से कहा कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अशोक गहलोत जी और सचिन पायलट जी के साथ मंत्रणा की. हमने फैसला किया है कि कांग्रेस एकजुट होकर यह चुनाव लड़ेगी. दोनों (गहलोत और पायलट) सहमत हैं कि कांग्रेस को एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरना चाहिए और राजस्थान में हम निश्चित तौर पर चुनाव जीतेंगे.