जयपुर : सरिस्का टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में बसे गांव अब बाघों के लिए मुश्किल खड़ी कर रहे हैं. वन विभाग तमाम प्रयासों के बावजूद गांव को विस्थापित नहीं कर सका है. ऐसे में यहां बाघों की बढ़ती आबादी इलाके की जंग में तब्दील हो रही है और सरिस्का के बाघ जयपुर और दौसा जिले का रुख कर रहे हैं. जहां उनका सामना इंसान से हो रहा है. ऐसे हालात न तो बाघ के लिए ठीक हैं न ही ग्रामीणों के लिए और न ही प्रोजेक्ट टाइगर के लिए. 2 दिन से बाघ एसटी 2402 भी दौसा और अलवर जिले के कई गांव में घूम रहा है. तीन लोगों को घायल कर चुका है और 2 दिन की मशक्कत के बाद भी रेस्क्यू नहीं किया जा सका है.
सरिस्का टाइगर रिजर्व की अकबरपुर रेंज में बाघिन एसटी 114 ने दिसंबर 2022 में दो शावकों को जन्म दिया था, जिन्हें मां से अलग होने के बाद एसटी 2401 और 2402 के नाम दिए गए. इनमें से नर बाघ एसटी 2402 कल सुबह दौसा जिले के महू खुर्द गांव में दिखाई दिया. अचानक से उसने ग्रामीण पर हमला बोल दिया और तीन लोगों को घायल भी कर दिया. इसके बाद वन विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और ग्रामीणों को भी भीड़ एकत्रित करने के लिए सावचेत किया. कल करीब 6-7 घंटे तक रणथंबभौर, सरिस्का और जयपुर की रेस्क्यू टीमों ने बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के प्रयास किया लेकिन टीम में विफल रही.
बाघ इतना आक्रमक हो गया कि उसने रेस्क्यू टीम के वाहनों पर भी दो-तीन बार हमला बोला. गनीमत रही कि वाहन का कांच नहीं टूटा अन्यथा कोई भी अनहोनी घटना हो सकती थी. फर्स्ट इंडिया न्यूज़ के एसोसिएट एडिटर निर्मल तिवारी इस दौरान ग्राउंड जीरो पर मौजूद रहे. आज भी दिन निकलने के साथ ही प्रेस की ऑपरेशन फिर शुरू किया गया लेकिन बाघ महू खुर्द, बैजूपाड़ा, निहालपुरा, बड़ियाल से निकलकर रैणी तहसील के पीपलहेड़ा, खड़गपुर, चीमापुरा, करणपुरा से होता हुआ शाम को रैणी की तरफ रुख कर गया. बाघ के पगमार्ग से इस बात की तसदीक हुई. तड़के करीब 4:30 बजे उसने ग्रामीण कन्हैयालाल मीणा के घर में छलांग लगाई और वहां से सरसों के खेतों की तरफ भाग खड़ा हुआ.
चारों तरफ ग्रामीणों की भीड़, बहुत ही संकरे, टूटे हुए रास्ते और चारों तरफ लहराती पीली सरसों के बीच कैमोफ्लेज स्थिति में बाघ को ट्रेस करना बहुत ही मुश्किल काम रहा. हमारी टीम ने खुद खड़गपुर और चीमापुरा की सीमा के बीच एक सरसों के खेत में पाडे का शिकार किया हुआ शव देखा, जिसे सियार खा रहे थे, इसकी सूचना वन विभाग को भी दी लेकिन टीम में जब तक पहुंचती तब तक बाघ शायद आगे बढ़ चुका था. एक बार फिर अंधेरा होने के बाद सर्च ऑपरेशन को रोक दिया गया. अब क्योंकि बाग सरिस्का की तरफ बढ़ रहा है ऐसे में उम्मीद है कि वह खुद ही जंगल में चला जाए अन्यथा एक बार फिर कल उसे सर्च किया जाएगा.
लेकिन सवाल यह है कि सरिस्का से आखिर गांव को विस्थापित क्यों नहीं किया जा रहा ? बाघों की बढ़ती आबादी के बावजूद वहां पर टाइगर मैनेजमेंट, हैबिटेट इंप्रूवमेंट, प्रे बेस इंप्रूवमेंट और विलेज रीलोकेशन के काम क्यों धीमे है ? इसे लेकर काम करना होगा अन्यथा सरिस्का से अभी चार बाघ निकले हैं शेष बाघ भी जल्दी ही इलाके की जंग में बस्तियों की तरफ रुख कर सकते हैं.