VIDEO: संस्कृत शिक्षा, वेद अध्ययन के लिए 1978 में बने सेवा नियम क्या अब भी कारगर ? देखिए, ये खास रिपोर्ट

जयपुर: प्रदेश के संस्कृत महाविद्यालयों एवं जगदगुरू रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में आगामी एक महिने में वेदों के अध्यापन के लिए वेद अध्यापकों के सेवा नियम तथा रोस्टर प्रणाली लागू कर नियमित भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी. विधानसभा में आज इस मामले पर मंत्री बीडी कल्ला के साथ ही विपक्ष के नेता व स्पीकर ने भी चिंता जाहिर की.

विधानसभा में आज वेदों के अध्ययन का मामला उठा. BJP विधायक नरपत सिंह राजवी ने मुद्दा उठाया और कहा कि जब अध्यापक ही नहीं तो स्टूडेंट्स कहाँ से आएंगे. इस पर मंत्री बीडी कल्ला ने  कहा कि यह सही है कि संस्कृत विश्व विद्यालय एवं संस्कृत महाविद्यालयों में वेदों का अध्यापन कराने के लिए व्याख्यता, एसोसिएट प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर एवं प्रोफेसर की नियमित भर्ती नहीं की गई है, लेकिन संस्कृत शिक्षा एवं वेदाें का अध्ययन प्रभावित नहीं हो.

इसके लिए हमने विद्या सम्बल योजना के तहत लेक्चरर को 20 हजार रूपये, एसोसिएट प्रोफेसर को 40 हजार रूपये एवं प्रोफेसर को 50 हजार रूपये मासिक दिये जा रहे है. कल्ला कहा कि यह सही है कि संस्कृत शिक्षा एवं वेदों के अध्धयन के लिए सेवा नियम 1978 में बने थे, लेकिन उसके बाद आज तक इस क्षेत्र में कोई कार्य नहीं हुआ है.

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया व स्पीकर सीपी जोशी ने भी खाली पदों को लेकर चिंता जाहिर की। साथ ही स्पीकर ने कल्ला के प्रयासों की सराहना की. सदन को आश्वस्त करते हुए मंत्री कल्ला ने कहा कि संस्कृत शिक्षा एवं वेदों का हमारे समाज में महत्वपूर्ण स्थान है और हम वेदों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए हर सम्भव प्रयास सुनिश्चित करेंगें. उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि संस्कृत महाविद्यालयों में रिक्त पदों को राजस्थान लोकसेवा आयोग के माध्यम से भरा जायेगा. 

...फर्स्ट इंडिया के लिए नरेश शर्मा और योगेश शर्मा की रिपोर्ट