VIDEO: कांग्रेस की राजस्थान में यह कैसी सोशल इंजीनियरिंग, पिछले 77 साल में एक भी दलित और ST चेहरे को नहीं बनाया पीसीसी चीफ, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राहुल गांधी जहां एक तरफ संविधान बदलने और संविधान खतरे वाले नैरेटिव से दलित और एसटी वर्ग को लुभाने की कवायद में जुटे हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ ताज्जुब की बात है कि पिछले 77 साल में राजस्थान कांग्रेस के इतिहास में अब तक एक भी दलित और एसटी वर्ग के नेता को पीसीसी चीफ तक नहीं बनाया है. वहीं किसी मुस्लिम चेहरे को भी अब तक संगठन मुखिया की कमान नहीं दी गई है. कांग्रेस ने अब तक सिर्फ दो महिलाओं को ही प्रदेशाध्यक्ष बनाया है. 

हाल ही में गोविंद सिंह डोटासरा राजस्थान कांग्रेस के टॉप थ्री उन नेताओं के क्लब में शामिल हो गए हैं. जिन्होंने लगातार पीसीसी चीफ पोस्ट पर 5 साल का कार्यकाल पूरा किया है. आईए आज हम आपको बताते है कि राजस्थान कांग्रेस के इतिहास में लगातार सबसे लंबे वक्त तक कौन संगठन मुखिया रहा. कितनी महिलाएं अब तक पीसीसी चीफ बनी है और सर्वाधिक टोटल कार्यकाल किस पीसीसी चीफ का रहा.

राजस्थान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष से जुड़े रोचक तथ्य  
-गोकुल भाई भट्ट 26 जून 1948 को बने पहले राजस्थान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष
-लक्ष्मी कुमारी चूंडावत थी पहली महिला पीसीसी चीफ
-दूसरी और आखिरी महिला कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष थी गिरिजा व्यास
-अशोक गहलोत सबसे ज्यादा 8 साल तक रहे पीसीसी चीफ
-सचिन पायलट पहले पीसीसी चीफ जो लगातार 6 साल 6 माह इस पद पर रहे
-उसके बाद परसराम मदेरणा लगातार 5 साल 11 माह पीसीसी चीफ रहे
-अब गोविंद सिंह डोटासरा लगातार 5 साल कार्यकाल पूरा करने वाले तीसरे नेता बने
-सबसे ज्यादा ब्राह्मण वर्ग से 10 नेता बने प्रदेशाध्यक्ष बने
-जाट समाज से 7 नेताओं को बनाया गया पीसीसी चीफ
-एक भी दलित,ST और मुस्लिम चेहरे को नहीं बनाया गया अभी तक अध्यक्ष
-बणिया,रावणा राजपूत,कायस्थ,माली,कुमावत,राजपूत, व गुर्जर वर्ग से बने एक-एक पीसीसी चीफ

1948 से लेकर अब तक तमाम पीसीसी चीफ के कार्यकाल के विश्लेषण में सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई की अभी तक अपने मजबूत और परंपरागत वोट बैंक के नेता को पार्टी ने इस पद पर मौका नहीं दिया. यानि दलित,मुस्लिम और एसटी वर्ग के किसी भी नेता को हाईकमान ने आज तक राजस्थान कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष नहीं बनाया है. जबकि कांग्रेस हाईकमान की इन दिनों पूरी सियासत ही आरक्षित वर्ग पर केन्द्रित है. राजनीति के जानकारों की माने तो हमेशा से इस वोट बैंक का झुकाव कांग्रेस पार्टी के प्रति ही ज्यादा रहा. ऐसे में उसे अब तक संगठन मुखिया की कुर्सी पर  मौका नहीं देना वाकई में एक सरप्राइज है.

हालांकि इस बार कांग्रेस ने बैलेंस करते हुए नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर पहली बार दलित वर्ग के चेहरे को जरुर मौका दे दिया है. लेकिन 77 साल के इतिहास में दलित,एसटी औऱ मुस्लिम चेहरे को अब तक पीसीसी चीफ जैसे अहम पद पर एक बार भी  मौका नहीं देना यकीनन कांग्रेस थिंक टैंक की सोशल इंजीनियरिंग और रणनीति पर सवालिया निशान खड़े करती है.