VIDEO: राजस्थान कांग्रेस के 5 जिलाध्यक्षों की घोषणा अटकी, अब संभवत दिल्ली की रैली के बाद होगी घोषणा, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: संगठन सृजन अभियान के तहत अभी भी राजस्थान कांग्रेस के पांच जिला अध्यक्षों की घोषणा नहीं हो पाई है. दरअसल जयपुर शहर,प्रतापगढ़ और राजसमंद में विवाद के चलते एलान अटक गया. वहीं अंता उपचुनाव के चलते बारां और झालावाड़ में अभियान होल्ड करने से घोषणा अटक गई. संभवत अब दिल्ली की रैली के बाद ही इन जिलाध्यक्षों की घोषणा हो सकती है. 

संगठन सृजन अभियान के तहत कांग्रेस हाईकमान ने 50 में से 45 जिला अध्यक्षों की तो घोषणा कर दी. लेकिन पांच जिला अध्यक्षों की नियुक्ति अभी भी अटकी पड़ी है. दरअसल संसद और दिल्ली रैली  के चलते इन जिला अध्यक्षों की घोषणा अटक गई है. अब पूरी संभावना है कि 14 दिसंबर की दिल्ली की रैली के बाद ही इनका एलान होगा क्योंकि फिलहाल इनकी घोषणा को लेकर दिल्ली से लेकर जयपुर तक कोई हलचल भी बिल्कुल नजर नहीं आ रही.

-आखिर कब होगी शेष 5 कांग्रेस जिलाध्यक्षों की घोषणा
-जयपुर शहर,प्रतापगढ़,झालावाड़,बारां और झालावाड़ में घोषणा अटकी
-संसद के शीतकालीन सत्र और रैली के चलते प्रक्रिया पर लगे ब्रेक
जयपुर शहर,प्रतापगढ़ और राजसमंद में सहमति नहीं बनने से अटकी घोषणा
-तीनों जिलों में दो दावेदारों में विवाद के चलते एक नाम पर नहीं लगी मुहर
-प्रतापगढ़ में एक पक्ष मौजूदा जिलाध्यक्ष को रिपीट करे के पक्ष में
-दूसरा गुट प्रतापगढ़ में चाहता है नए चेहरे को कमान देना
-राजसमंद में भी आदित्य प्रताप सिंह और गोवर्धन सिंह की दावेदारी में फंसा पेंच 
-बारां-झालावाड़ में अभियान अंता उपचुनाव के चलते हो गया था होल्ड
-हालांकि बारां-झालावाड़ के नामों के पैनल पर्यवेक्षक ने भेज दिए मेल से
-लेकिन डिस्कशन ड्यू होने के चलते अटकी घोषणा

सामने आ रहा है कि दिल्ली की रैली के बाद कांग्रेस हाईकमान इस प्रक्रिया को अब आगे बढाएगा. इसके लिए बाकायदा वेणुगोपाल राजस्थान प्रभारी,पीसीसी चीफ और नेता प्रतिपक्ष को दिल्ली बुलाकर चर्चा करेंगे. इस आखिरी चर्चा में फिर एक नाम को फाइनल किया जाएगा. वहीं इस दौरान बारां और झालावाड़ के पर्यवेक्षक राव दान सिंह भी मौजूद रहेंगे. इन पांचों जिला अध्यक्षों में से सबकी नजरें जयपुर शहर जिला अध्यक्ष पर अटकी हुई है. यह देखना सबसे दिलचस्प होगा कि जयपुर शहर का कप्तान आखिर किसे बनाया जाता है.

संगठन सृजन अभियान जब राजस्थान में शुरु हुआ था तब हाईकमान को लगा कि यहां चयन में ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी. लेकिन बाद में आखिर में गुटबाजी ने अपना रंग दिखा ही दिया. जिसके चलते तीन जिलों में अध्यक्षों की घोषणा एन वक्त पर रोकनी पड़ी. अब देखते है कि विवादित तीन जिलों में जिला अध्यक्ष बनाने में कौनसा गुट भारी पड़ता है. हालांकि बारां और झालावाड़ को लेकर कोई विवाद नहीं है और वहां सिंगल नाम पर सहमति लगभग बन चुकी है.