Jaipur News: खतरे में चंदलाई झील का अस्तित्व, सरकारी एजेंसियों की लापरवाही कर रही बर्बाद; जानिए झील को बचाना क्यों है जरूरी

जयपुर: राजधानी की चंदलाई झील का वैभव बर्बादी के रास्ते पर चल पड़ा है. झील के वैभव को बर्बाद कर रहे रंगाई छपाई के कारखानों को सील करने के बजाए जहां जेडीए अधिकारी जानबूझकर लापरवाही बरत रहे. वहीं प्रदूषण नियंत्रण मंडल और सिंचाई विभाग के अधिकारियों की तो अब तक नींद भी नहीं टूटी है. 

इस झील को जीते जी मारने का खेल शुरू किया जा चुका है. इस झील के किनारे रंगाई छपाई की इकाईयां शुरू हो चुकी हैं. कृषि भूमि पर अवैध रूप से लगाई गई इन इकाईयों का अपशिष्ट रासायनिक पानी सीधे झील में छोड़ा जा रहा है. प्रदूषण से बर्बाद हो रही झील को बचाने के लिए जेडीए की प्रवर्तन शाखा आगे आई. जेडीए की प्रवर्तन शाखा ने तत्काल कार्रवाई करते हुए रंगाई-छपाई की निर्माणाधीन एक इकाई को तो नेस्तनाबूद कर दिया. 

साथ ही मौके पर चल रहे तीन इकाईयों को नोटिस भी दिए गए. लेकिन संबंधित अधिकारियों की लापरवाही के चलते जेडीए की कार्रवाई अंजाम तक नहीं पहुंच पाई. पर्यावरण को खतरे में डाल रही इन इकाइयों को सील करने के लिए जेडीए और प्रदूषण नियंत्रण मंडल दोनो सक्षम है और उधर चंदलाई बांध के रखरखाव की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग की है. लेकिन इस मामले में तीनों ही एजेंसियां मूक दर्शक बनी हुई है. आपको सबसे पहले बताते हैं कि आखिर इस झील को बचाना क्यों जरूरी है और यह किस तरह से पर्यावरण, पर्यटन और कृषि के लिहाज से महत्वपूर्ण है?

- इस झील के पानी से आस-पास के दो दर्जन से अधिक गांवों में खेती होती है.

- इन गांवों में झील का पानी कई नहरों से होते हुए पहुंचता है.

- एक अनुमान के मुताबिक इस झील के चारों तरफ करीब 20 हजार बीघा भूमि की सिंचाई होती है.

- झील के पानी से गेहूं, सरसों व विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगाई जा रही है.

- इसके अलावा यह झील प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा स्थान है.

- यहां कई प्रकार की प्रजातियों के हजारों प्रवासी पक्षी यहां आते हैं.

- इनमें लिटिल कॉरमॉरेंट, ग्रीन सेंडपाइपर, पर्पल मूरहेन, लिटिल ग्रेब, ग्रेटर फ्लेमिंगो,

- स्पॉट बिल्ड डक, यूरेशियन विगियोन, स्पोटेड रेंड शेंक व व्हाइट वेगटेल प्रजाति के पक्षी शामिल है. 

- ये प्रवासी पक्षी अक्टूबर से मार्च के बीच चंदलाई झील आते हैं.

- इन पक्षियों के कारण शहर और शहर के बाहर कई पक्षी प्रेमी यहां आते हैं.

- इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग इस झील के सौन्दर्यन को देखने आते हैं.

- झील के सौन्दर्यन व आकार को देखते हुए जेडीए ने 20 करोड़ रुपए की विकास योजना बनाई.

- सिंचाई विभाग ने भी बांध के विकास और सौंदर्यन को बढ़ाने के लिए योजना बनाई.

- 85 लाख रुपए की इस योजना में ऊंची दीवार का निर्माण व अन्य सौन्दर्यन कार्य कराए जाएंगे.

जयपुर से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रामसागर बांध या चंदलाई झील पूरे साल पानी से लबालब रहती है. इस बांध का निर्माण वर्ष 1872 में रियासत काल में किया गया था. करीब दस वर्ग किलोमीटर से अधिक इलाके में फैली इस सुंदर झील के वजूद पर खड़ा हुआ संकट तेजी से बढ़ रहा है. मामले में जिम्मेदार सरकारी एजेंसियां यूं ही हाथ पर हाथ धरी बैठी रहीं तो वो दिन दूर नहीं जब इस झील का पानी पूरी तरह से प्रदूषित हो जाएगा. आपको बताते हैं कि इस झील के आभामंडल पर आखिर किस वजह से ग्रहण लग रहा है और मामले में जेडीए के संबंधित जोन के अधिकारी किस तरह टालमटोल कर रहे हैं ?

- इस झील के किनारे तेजी से रंगाई-छपाई की इकाईयां लगाई जा रही हैं.

- चंदलाई गांव के नजदीक कुछ इकाईयां हाल ही शुरू हुई हैं और कुछ का काम चल रहा है.

- वाटिका रोड से चंदलाई बांध तक बड़ी संख्या में रंगाई-छपाई की इकाईयां लगाई गई हैं.

- इन इकाईयों से निकल रहा गंदा रासायनिक पानी सीधे चंदलाई झील में छोड़ा जा रहा है.

- कृषि भूमि पर अवैध रूप से रंगाई-छपाई की इकाईयां लगाने का खेल तेजी से चल रहा है.

- इकाईयों से निकला गंदा पानी बिना परिशोधन के झील में छोड़ा जा रहा है.

- सांगानेर की रंगाई छपाई इकाईयों के निकले पानी को बिना परिशोधन छोड़ने पर काफी सख्ती है.

- जानकारों के अनुसार इसी सख्ती के चलते इस झील के नजदीक तेजी से इकाईयां लग रही हैं.

- जेडीए की प्रवर्तन शाखा ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक निर्माणाधीन इकाई को ध्वस्त कर दिया.

- तीन इकाईयों को जेडीए की प्रवर्तन शाखा ने नोटिस दिए.

- इकाईयों के संचालकों की ओर से जेडीए को नोटिस का जवाब दिया गया.

- जेडीए की प्रवर्तन शाखा ने जोन उपायुक्त को पत्र लिखकर स्पष्ट तौर पर पूछा.

- इकाईयों के कारण झील के बहाव क्षेत्र अवरुद्ध होने को लेकर पूछा था.

- जवाब में जोन उपायुक्त ने मामला तहसीलदार सांगानेर पर टाल दिया.

- जबकि मौके पर खुले तौर पर इकाईयों से निकला गंदा पानी झील में डाला जा रहा है.

चंदलाई झील में प्रदूषण यूं ही बढ़ता गया तो इससे आस-पास के पर्यावरण ही नहीं बल्कि राजधानी के लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर संकट खड़ा हो जाएगा. आपको बताते हैं कि अगर जल्द ही जिम्मेदार सरकारी एजेंसियां हरकत में नहीं आई तो पर्यावरण व मानव स्वास्थ्य पर किस तरह प्रतिकूल असर पड़ेगा. 

- इस झील के पानी से उगाई फसलों की अधिकतर आपूर्ति जयपुर शहर व आस-पास के इलाको में होती है.

- रासायनिक रूप से प्रदूषित पानी से उगाई फसलों के कारण से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है.

- यहां उगाई सब्जियों,गेहूं व सरसों आदि के सेवन कई गंभीर बीमारियों का कारण बनेगा.

- विभिन्न प्रकार की दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों के लिए यह झील प्रवास स्थल है.

- पक्षियों का प्रवास स्थल होना इस झील का सबसे प्रमुख आकर्षण हैं.

- अगर झील का प्रदूषण नहीं रूका तो यहां प्रवासी पक्षी नहीं आएंगे.

- यहां पक्षियों का कलरव और उनके कारण दिखाई देने वाले मनोरम दृश्य लुप्त हो जाएंगे.

- यहीं नहीं बढ़ते रासायिनक प्रदूषण से झील में रहने वाले जीवों का अस्तित्व भी खतरे में हैं.

- झील पर बना बांध राज्य सरकार के सिंचाई विभाग के अधीन है.

- झील को बर्बाद कर रही रंगाई-छपाई की इकाईयों को सील करने में सक्षम है.

- जेडीए और प्रदूषण नियंत्रण मंडल दोनों ही सक्षम है.

- इसके बावजूद तीनों ही एजेंसियों के अधिकारियों कानों में जूं तक नहीं रेंग रही.