Maha Kumbh Mela 2025: पौष पूर्णिमा पर शुरू हुआ महाकुंभ, देश विदेश से आए पर्यटकों ने संगम तट पर लगाई पवित्र डुबकी

Maha Kumbh Mela 2025: पौष पूर्णिमा पर शुरू हुआ महाकुंभ, देश विदेश से आए पर्यटकों ने संगम तट पर लगाई पवित्र डुबकी

नई दिल्ली: दुनिया का सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ का आज (पौष पूर्णिमा) पर आगाज हो गया है. यह आयोजन करीब डेढ़ महीने तक चलेगा. गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम स्थल पर महा आयोजन होगा. इस महा आयोजन में अगले 45 दिनों के दौरान अध्यात्म के अनेक रंग बिखरेंगे.

ये महाकुंभ 12 साल के बाद आयोजित किया जा रहा है. खगोलीय परिवर्तन और संयोजन 144 वर्षों के बाद आयोजन हो रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार को भरोसा है कि इस बार महाकुंभ में 35 करोड़ श्रद्धालु आएंगे. विभिन्न संप्रदायों के संतों के 13 अखाड़े महाकुंभ में भाग ले रहे हैं.

आस्था के महाकुंभ में श्रद्धा की डुबकी:
देश विदेश से आए पर्यटकों ने संगम तट पर पवित्र डुबकी लगाई है. महाकुंभ अब अगले 45 दिनों तक यानी 26 फरवरी तक चलेगा. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए RAF, पुलिस और CRPF की टीमें तैनात है.  महाकुंभ शुरू होने पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पौष पूर्णिमा की बधाई... विश्व के विशालतम आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक समागम 'महाकुंभ' का आज से शुभारंभ हो रहा है.  सभी पूज्य सन्तों, कल्पवासियों, श्रद्धालुओं का हार्दिक स्वागत. मां गंगा आप सभी की मनोकामना पूर्ण करें.

जानिए कब होगा शाही स्नान:
महाकुंभ मेले (Maha Kumbh Mela) की शुरूआत 13 जनवरी से हो जाएगी. पहला शाही स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर होगा. इस दिन सभी 13 अखाड़े राजसी अंदाज में रथों पर सवार होकर गाजे-बाजे के साथ भक्तों के साथ मेले में संगम स्नान करने जाएंगे. आपको बता दें कि मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसी दिन से सूर्य उत्तरायण भी हो जाते हैं. इस लिए इस स्नान पर्व का अपना अलग महत्व होता है.

ये हैं सबसे बड़ा शाही स्नान: 
वैसे तो महाकुंभ (Maha Kumbh ) में कई शाही स्नान होते है, लेकिन सबसे ज्यादा अहम है, मौनी अमावस्या वाला शाही स्नान होता है. इस दिन महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटने का अनुमान है. 29 जनवरी को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के स्नान पर्व के दिन 6 से 8 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान जताया जा रहा है. एक दिन में इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालूओं के आने को देखते हुए मेला प्रशासन की तरफ से तैयारियां की जा रही है.

जानिए क्या है अमृत स्नान: 
चलो अब आपको बताते है कि अमृत स्नान क्या है? मौनी अमावस्या के शाही स्नान के लिए अखाड़े भी हर स्तर से अपनी तैयारियां करते हैं. ये राजसी अंदाज में स्नान होता है. राजाओं के जैसे ठाठ बाट के साथ साधु संत महामंडलेश्वर संगम पर स्नान करने जाते हैं. इस वजह से अभी तक इस स्नान पर्व को शाही स्नान कहा जाता था, लेकिन अब अखाड़ों की तरफ से अमृत स्नान नाम दे दिया गया है.

महाकुंभ का अंतिम शाही स्नान:
महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh 2025) का अंतिम शाही स्नान बवंत पंचमी को होगा. वैसे तो महाकुंभ में 3 शाही स्नान पर्व होते हैं, जिसमें सबसे पहला शाही स्नान पर्व मकर संक्रांति का होता है. जबकि मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) का स्नान दूसरा और सबसे बड़ा स्नान पर्व होता है. तीसरा बसंत पंचमी का स्नान पर्व होता है जिसे आखिरी शाही स्नान पर्व माना गया है. बसंत पंचमी के शाही स्नान पर्व पर संगम में डुबकी लगाने के बाद अखाड़ों के संत-महंत मेला क्षेत्र में जाने लगते हैं. अखाड़े वाराणसी के लिए प्रस्थान करते हैं.

महाकुंभ का अंतिम स्नान कब:
महाकुंभ मेले (Maha Kumbh Mela) में कल्पवास की शुरुआत जहां पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ होती है, वहीं माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) के स्नान पर्व के दिन कल्पवास पूरा हो जाता है. जो भी श्रद्धालू महाकुम्भ मेले (Maha Kumbh Mela) में कल्पवास करेंगे उनका कल्पवास माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) के दिन से समाप्त हो जाता है. माघी पूर्णिमा के दिन से महाकुम्भ की रौनक समाप्त हो जाती है. संत महात्मा के साथ ही कल्पवासी भी मेले से प्रस्थान करने लगते हैं.