जयपुर : देश के खेल संघों में पारदर्शिता, जवाबदेही और बेहतर प्रशासन की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. लोकसभा में केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक 2025 पेश कर दिया है. सरकार अब राष्ट्रीय खेल बोर्ड का गठन करेगी, जिसके दायरे में सभी राष्ट्रीय खेल महासंघ आएंगे. अभी तक राष्ट्रीय स्तर की की खेल संस्थाएं को भारतीय ओलंपिक संघ मान्यता देती थी. अब खेल संघों को मान्यता देना, मान्यता रद्द करना, फंड देने जैसे सभी काम राष्ट्रीय खेल बोर्ड करेगा. अब भारतीय ओलंपिक संघ पर खतरा मंडरा गया है.
देश में खेलों के प्रशासन को पारदर्शी व जवाबदेह बनाने के लिए केंद्र सरकार नया कानून बनाने जा रही है. लोकसभा में राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक 2025 पेश कर दिया है, जो जल्दी ही कानून बन जाएगा. इस विधेयक के तहत एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड बनाया जाएगा, जिसके पास राष्ट्रीय खेल महासंघों के लिए नियम बनाने और उनकी निगरानी करने की व्यापक शक्तियां होंगी. अब बीसीसीआई भी इसी बोर्ड के तहत आएगा. सभी मान्यता प्राप्त खेल महासंघों को केंद्र सरकार से फंडिंग पाने के लिए खेल बोर्ड से मान्यता लेनी होगी. बोर्ड में एक अध्यक्ष और सदस्य होंगे, जिन्हें केंद्र सरकार नियुक्त करेगी. ये लोग सार्वजनिक प्रशासन, खेल शासन, खेल कानून और संबंधित क्षेत्रों में विशेष ज्ञान या अनुभव रखने वाले होंगे. इनकी नियुक्ति एक समिति की सिफारिश पर होगी, जिसमें कैबिनेट सचिव या खेल सचिव, भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक, दो खेल प्रशासक और एक द्रोणाचार्य, खेल रत्न या अर्जुन पुरस्कार विजेता शामिल होंगे.
--- खेल विधेयक की मुख्य बातें ---
-इस विधेयक में खेल निकायों की मान्यता के लिए एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड का प्रस्ताव है
-विवादों के जल्द निपटाने के लिए एक खेल न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) की स्थापना का प्रस्ताव है
-सिविल कोर्ट पर निर्भरता कम होगी, साथ ही केसों का निपटान भी जल्द होगा
-ट्रिब्यूनल चयन से लेकर चुनाव तक, खेल महासंघों और खिलाड़ियों से जुड़े विवादों को सुलझाएगा
-इस विधेयक में अनुभवी खेल प्रशासकों की नियुक्ति पर जोर दिया गया है
-कोर्ट द्वारा रिटायर जज को प्रशासक के रूप में नियुक्त करने की प्रथा खत्म हो जाएगी.
-खेल संघों के चुनावों का प्रबंधन एक राष्ट्रीय खेल चुनाव पैनल द्वारा किया जाएगा
-खेल संघों की आम सभा और कार्यकारी समिति दोनों में खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व अनिवार्य होगा
-राष्ट्रीय खेल संघ की कार्यकारी समिति में कम से कम चार महिलाएं शामिल होंगी
-अध्यक्षों महासचिवों और कोषाध्यक्षों के लिए स्पष्ट आयु और कार्यकाल सीमा निर्धारित
-सभी राज्य और जिला स्तरीय इकाइयों को राष्ट्रीय खेल बोर्ड के साथ पंजीकृत होना होगा
-हर फैडरेशन में विवाद समाधान समितियां गठित करनी होगी
-राष्ट्रीय खेल निकाय मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय चार्टर और विधियों द्वारा निर्देशित होंगे
-बीसीसीआई भी राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक का हिस्सा होगा
-अब देश में केवल दो खेल समिति होंगी, राष्ट्रीय ओलंपिक समिति और राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति
-क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल आदि सभी प्रकार के खेल आयोजन यही समितियां कराएंगी
-दोनों समितियों को अंतरराष्ट्रीय संस्था से मान्यता प्राप्त होनी चाहिए
-हर खेल महासंघ को अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त होनी चाहिए
-दोनों समितियां प्रत्येक अलग खेल के लिए एक राष्ट्रीय खेल महासंघ और क्षेत्रीय खेल महासंघ बनाएगा
-राष्ट्रीय खेल कोड में पहले प्रशासकों की अधिकतम उम्र सीमा 70 वर्ष थी
-नए विधेयक में 70 से 75 वर्ष की आयु वालों को भी चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई है
-बशर्ते संबंधित अंतरराष्ट्रीय खेल निकायों के नियम इसकी इजाजत दें
अभी तक भारत में खेलों के मामले में भारतीय ओलंपिक संघ सर्वोच्च संस्था थी. लेकिन अब इस पर खतरा मंडरा रहा है. इस बिल में बताया गया कि केंद्र सरकार एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड का गठन करेगा, जो सभी खेल संघों को मान्यता देना, मान्यता छीनना, फंड देने जैसे सभी काम यही बोर्ड करेगा. जबकि अभी तक नेशनस लेवल की खेल संस्थाएं को भारतीय ओलंपिक संघ मान्यता देती थी. हालांकि कई खेल विशेषज्ञ भी अभी तक इस बिल के तकनीकि बिंदुओं को समझ नहीं पाए हैं. भारतीय ओलंपिक संघ के पूर्व पदाधिकारियों ने बताया कि बिल से खेलों संगठनों में सरकार का हस्तक्षेप काफी हद तक बढ़ जाएगा.