VIDEO: राजस्थान कांग्रेस को जल्द मिलेंगे नए जिलाध्यक्ष, 4 अक्टूबर से संगठन सृजन अभियान होगा शुरु, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: संगठन सृजन अभियान के तहत कल से राजस्थान में कांग्रेस जिला अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया का आगाज होगा. सभी पर्यवेक्षकों को 4 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक संबंधित जिलों के दौरे करते हुए अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी होगी. जिलों के दौरों के दौरान पर्यवेक्षक पार्टी नेताओं सहित एनजीओ,पत्रकारों और वकीलों से भी फीडबैक लेंगे.

राजस्थान कांग्रेस को जल्द अब नए जिलाध्यक्ष मिल जाएंगे. इसके लिए 4 अक्टूबर से संगठन सृजन अभियान शुरु होने जा रहा है. अभियान के तहत कांग्रेस हाईकमान ने राजस्थान में 30 पर्यवेक्षक लगाए है. साथ ही उनके सहयोग के लिए 90 पीसीसी पर्यवेक्षक भी लगा दिए गए हैं. दो दिन बाद यह पर्यवेक्षक संबंधित जिलों के दौरों पर निकल जाएंगे.

-जल्द राजस्थान कांग्रेस को मिल जाएंगे अब नए जिलाध्यक्ष
-4 अक्टूबर से संगठन सृजन अभियान का होगा आगाज
-अभियान के तहत तमाम 30 पर्यवेक्षक संबंधित जिलों के करेंगे दौरे
-पर्यवेक्षकों को हर दिन की रिपोर्ट ऑनलाइन करनी होगी सब्मिट
-ब्लॉक से लेकर बूथ औऱ जिला लेवल के नेताओं से करेंगे पर्यवेक्षक राय़शुमारी
-बार एसोसिएशन,प्रेस क्लब और NGO से भी लेंगे पर्यवेक्षक फीडबैक
-20 अक्टूबर तक हाईकमान को पर्यवेक्षकों को करनी होगी फाइनल रिपोर्ट दाखिल
-हर पर्यवेक्षक को 6-6 नामों को सौंपने है पैनल
-दिवाली बाद वेणुगोपाल फिर पर्यवेक्षकों से करेंगे रिपोर्ट पर मंथन
-ऐसे में अक्टूबर के आखिर या नवंबर के पहले हफ्ते आ सकती है सूची

कांग्रेस हाईकमान ने पर्यवेक्षकों को बाकायदा निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से रिपोर्ट और पैनल बनाने के निर्देश दिए हैं. पर्यवेक्षकों को हर विधानसभा और ब्लॉक में बैठक लेते हुए तमाम पदाधिकारियों से रायशुमारी करने के भी निर्देश दिए हैं. हर दिन उन्होंने कितनी बैठक की और किन-किन नेताओं से चर्चा की इसकी बाकायदा फोटो सहित रिपोर्ट ऑनलाइन दाखिल करनी होगी. इसके लिए पर्यवेक्षकों को 16 दिन को समय दिया गया है.

उधर पर्यवेक्षकों के आने से पहले जिला अध्यक्ष के दावेदार एक्टिव हो गई है. दावेदारों ने इसके लिए बाकायदा लॉबिंग शुरु कर दी है. ग्रास रूट और जिला लेवल के पदाधिकारियों से दावेदार संपर्क साध रहे है. दावेदार उनसे गुजारिश कर रहे है कि रायशुमारी के दौरान मेरा नाम ही लेना. हालांकि पदाधिकारी बंद कमरे में अकेले भी अपनी राय पर्यवेक्षक को दे सकता है. ऐसे में कह सकते है संगठन सृजन अभियान के तहत सिफारिश सिस्टम पर काफी हद तक ब्रेक लग जाएंगे.