जयपुरः SMS मेडिकल कॉलेज से अटैच महिला अस्पताल में अब जन्म से पहले ही गर्भस्थ शिशु में "दुर्लभ-बीमारी" का पता लग सकेगा. अस्पताल में पिछले दिनों प्रीनेटल डायग्नोसिस के लिए लगाई गई अत्याधुनिक सोनोग्राफी मशीन का उपयोग करते हुए चिकित्सकों की टीम ने पहला "एम्नियोसेंटेसिस" प्रोसिजर किया है. प्रदेश के किसी भी सरकारी हॉस्पिटल में गर्भस्थ शिशु में "दुर्लभ-बीमारी" जांचने के लिए किया गया यह पहला प्रोसिजर है. जिससे उन परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी, जो बाजार में महंगी जांच का खर्च नहीं उठा सकते है. आखिर क्या है ये प्रोसिजर और कैसे आमजन के लिए है ये खास.
ये है चार साल का मासूम. जन्म से ही स्केल्टर डिस्प्लेसिया नामक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चे के जाइंट मूव नहीं कर सकते है. रीड्ड की हड्डी में भी दिक्कत है. जिसका जेके लोन अस्पताल के मेडिकल जेनेटिक्स विभाग में इलाज जारी है. जी हां, किसी परिवार में गुंजने वाली किलकारी कुछ ऐसा दर्द लेकर पैदा नहीं हो, इसके लिए जरूरी है गर्भस्थ शिशु की विशेष जांच. दरअसल,अभी तक निजी सेन्टरों पर ही "एम्नियोसेंटेसिस" प्रोसिजर और क्रोमोसोमल की जांच होती थी, जिसके लिए मरीज को काफी मोटा खर्चा करना पड़ता था. ऐसे में मध्यमवर्गीय परिवार जांच से दूरी बना लेते थे. लेकिन सीएम भजनलाल शर्मा की सोच को साकार करने के लिए जेके लोन में खोले गए "सेन्ट्रल ऑफ एक्सीलेंस फॉर मेडिकल जेनेटिक्स" के साथ ही महिला अस्पताल में भी फीटल मेडिसिन डिविजन शुरू किया गया है. अस्पताल अधीक्षक डॉ आशा वर्मा, फीटल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ अदिति बंसल ने प्रीनेटल डायग्नोसिस के लिए लगी अत्याधुनिक सोनोग्राफी मशीन से चिकित्सकों की टीम ने प्रदेश का सरकारी तंत्र का पहला "एम्नियोसेंटेसिस" प्रोसिजर किया है, जिसके जरिए गर्भस्थ शिशु में "दुर्लभ-बीमारी" का पता लग सकेगा.
एक नजर में "एम्नियोसेंटेसिस" प्रोसिजर
इस प्रोसिजन में गर्भवती महिला के पेट में पल रहे बच्चे के आसपास से एमनियोटिक द्रव का नमूना निकाला जाता है
यह प्रक्रिया अत्याधुनिक सोनोग्राफी मशीनकी मदद से होती है, ताकि प्रोसिजर के दौरान सुई भ्रूण को नुकसान न पहुंचाए
यह नमूना बच्चे में आनुवंशिक विकारों, जन्म दोषों और अन्य स्थितियों का पता लगाने के लिए जांचा जाता है
यह परीक्षण आमतौर पर गर्भावस्था के 15वें से 20वें सप्ताह के बीच किया जाता है
आखिर क्यों जरूरी "एम्नियोसेंटेसिस" प्रोसिजर
अस्पताल अधीक्षक डॉ आशा वर्मा ने दी जानकारी
तीन माह की गर्भवती महिला की करवाई गई थी जांच
तो पता चला कि गर्भस्थ शिशु की नाक की हड्डी नहीं है
इसके साथ ही हार्ट में कैल्शियम का डॉट भी मिला
जिससे अंदेशा हुआ कि गर्भस्थ शिशु में कुछ "एब्नॉर्मलिटी" हो सकती है
फीटल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ अदिति बंसल ने परिजनों की काउंसलिंग की
जिसके बाद "एब्नॉर्मलिटी" का वास्तविक पता लगाने के लिए "एम्नियोसेंटेसिस" प्रोसिजर किया गया