VIDEO: राजस्थान के शहरों में लागू बिल्डिंग बायलॉज में होंगे बड़े बदलाव, यूडीएच कर रहा है तैयारी, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: प्रदेश के शहरों में लागू बिल्डिंग बायलॉज में बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है. 

प्रदेश में भजनलाल सरकार के गठन के बाद शहरी विकास से जुड़े नीति,नियम व कानून में बड़े बदलावों की कवायद शुरू की गई है. इसके तहत टाउनशिप नीति,मुख्यमंत्री जन आवास योजना और बिल्डिंग बायलॉज में बड़े बदलाव किए जाने हैं. बदलाव के लिए मसौदा तैयार कर लिया गया है. इसी तरह राजस्थान रीजनल एंड अरबन प्लानिंग बिल और छोटे शहरों में लागू किए जाने वाले डवलपमेंट कंट्रोल रेगुलेशन्स का ड्राफ्ट भी तैयार हो चुका है. हांलाकि इन्हें फाइनल किया जाना बाकी है. बिल्डिंग बायलॉज में बदलाव की बात करें तो जल संरक्षण,ऊर्जा संरक्षण,इमारतों की ऊंचाई आदि को लेकर लागू प्रावधानों में संशोधन करना प्रस्तावित है. आपको बताते हैं कि प्रमुख तौर पर मौजूदा बिल्डिंग बायलॉज के किन प्रावधानों में संशोधन की तैयारी है.

-मौजूदा बिल्डिंग बायलॉज में इमारतों की ऊंचाई की गणना स्टिल्ट शामिल नहीं हैं.
-प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक स्टिल्ट को ऊंचाई की गणना में शामिल करने की तैयारी है.
-बहुमंजिला इमारतों की परिभाषा को भी बदला जाएगा.
-वर्तमान में 18 मीटर से अधिक ऊंचाई की इमारतों को बहुमंजिला इमारत माना जाता है.
-बहुमंजिला इमारतों का निर्माण 60 फीट या इससे अधिक चौड़ी सड़कों पर ही किया जा सकता है.
-प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक 15 मीटर से अधिक ऊंचाई की इमारतों को बहुमंजिला इमारत माना जाएगा.
-इसके अलावा बहुमंजिला इमारतों में अग्निशमन वाहनों के मूवमेंट के लिए ड्राइव वे बढ़ाया जाना प्रस्तावित है.
-बिल्डिंग बायलॉज के मौजूदा प्रावधान में 3.6 मीटर चौड़ा डाइव वे रखना आवश्यक है.
-प्रस्तावित बदलाव के अनुसार इसे बढ़ाकर 4.5 मीटर किया जाना प्रस्तावित है.
-बहुमंजिला इमारतों की छत के कितने हिस्से पर सोलन पैनल लगाना जरूरी है, इसको लेकर फिलहाल बाध्यता नहीं हैं.
-प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक छत के न्यूनतम  25 प्रतिशत हिस्से पर सोलर पैनल लगाया जाना आवश्यक होगा.

प्रदेश की पिछली कांग्रेस सरकार में वर्ष 2020 में शहरों में मॉडल बिल्डिंग बायलॉज लागू किए गए थे. इसके बाद उस सरकार के कार्यकाल के शेष तीन साल के समय में इन बायलॉज में कई तरह के बदलाव किए गए. अब मौजूदा भाजपा सरकार में इन बायलॉज में व्यापक जनहित मानते हुए बड़े बदलाव करने की तैयारी है. बिल्डिंग बायलॉज में जो बदलाव प्रस्तावित किए हैं आपको बताते हैं कि ये बदलाव आखिर क्यों जरूरी हैं? और इसका क्या असर होगा?

-इमारतों की ऊंचाई की गणना में बदलाव और बहुमंजिला इमारत की परिभाषा बदलने से कम चौड़ी सड़कों पर अधिक ऊंची इमारतें नहीं बन सकेंगी.
-वर्तमान में 60 फीट से कम चौड़ी सड़कों पर भी कुल 21 मीटर तक की ऊंचाई की इमारत का निर्माण किया जा सकता है.
-इसकी सीधा मतलब है कि कॉलोनियों की अंदरूनी कम चौड़ी सड़कों पर स्टिल्ट शामिल करते हुए कुल 21 मीटर तक की ऊंचाई का निर्माण किया जा सकता है.
-बहुमंजिला इमारतों की परिभाषा बदलने और इमारत की ऊंचाई की गणना में स्टिल्ट शामिल करने का बड़ा असर होगा.
-वर्तमान में स्टिल्ट को ऊंचाई की गणना में शामिल नहीं करने से 60 फीट से कम चौड़ी सड़कों पर 21 मीटर तक ऊंची इमारतें बन सकती हैं.
-बायलॉज में प्रस्तावित बदलाव से कॉलोनियों की 60 फीट से कम चौड़ी आंतरिक सड़कों पर अधिकतम 15 मीटर की ऊंचाई तक की इमारतें ही बन सकेंगी.
-सीधे तौर पर सकड़ी सड़कों पर भविष्य में बनने इमारतों की ऊंचाई दो मंजिल कम हो जाएगी.
-ड्राइव वे बढ़ाने से इमारत के चारों तरफ अग्निशमन वाहनों का मूवमेंट हो सकेगा.
-ऐसे में इमारत में लगी आग पर काबू पाया जाना आसान होगा.
-सोलर पैनल लगाने का न्यूनतम एरिया तय करने से सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा.

बढ़ती आबादी और बढ़ते शहरीकरण के चलते भविष्य के लिए पीने का पानी उपलब्ध होना, एक बड़ी चुनौती बन गया है. इसी लिहाज से मौजूदा बिल्डिंग बायलॉज में पीने के पानी की बचत के लिए मौजूदा प्रावधानों को बदलते हुए नए प्रावधान किए जाएंगे. इसके तहत बिल्डिंग बायलॉज में जल संरक्षण को लेकर एक पूरा चैप्टर ही प्रस्तावित किए जाने की तैयारी है. आपको बताते हैं कि जल संरक्षण को लेकर बायलॉज में क्या बदलाव प्रस्तावित किए जा सकते हैं.

-प्रस्तावित बदलाव के अनुसार वर्षा जल पुनर्भरण संरचना का ऐसा डिजाइन लागू किया जा सकता है.
-जिसके अनुसार वर्षा जल पुनर्भरण संरचना का निर्माण करना भवन मालिकों के लिए व्यावहारिक हो.
-कई शहर ऐसे हैं जिनके भूगर्भ में कम गहराई पर चट्टान होने के कारण इन संरचनाओं के निर्माण में समस्या है.
-ऐसे शहरों में बनने वाली इमारतों में बरसाती पानी के संरक्षण के लिए नए प्रावधान किए जाएंगे.
-पीने के अलावा अन्य उपयोग के लिए जल आपूर्ति के लिए अलग-अलग नेटवर्क प्रस्तावित किया जा सकता है.
-उपयोग में लिए गए पानी को रिसाइकल कर दुबारा उपयोग में लेने को लेकर नए प्रावधान किए जा सकते हैं.