VIDEO: दीपावली से पहले नाहरगढ़ में गूंजेंगी बाघ के शावकों की किलकारियां ! गुलाब-चमेली की मेटिंग के बाद उम्मीदें परवान पर, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर : राजस्थान के वन्यजीव प्रेमियों के लिए इस दीपावली पर बड़ी खुशखबरी आने वाली है. नागपुर के गोरेवाडा जूलॉजिकल पार्क से पिछले वर्ष 24 अगस्त को जयपुर लाए गए बाघ 'गुलाब' और बाघिन 'चमेली' अब नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में पूरी तरह से घुल-मिल चुके हैं. 5 वर्षीय गुलाब और 4 वर्षीय चमेली इन दिनों टाइगर सफारी की शोभा बन चुके हैं और हाल ही में दोनों को साथ में सफारी एरिया में छोड़ा गया, जहां उनके बीच सफल मेटिंग देखी गई. 

वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक, यदि यह मेटिंग सफल रहती है, तो अक्टूबर के अंत तक चमेली शावकों को जन्म दे सकती है. यानी इस बार दीपावली के पहले ही नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क बाघों की किलकारियों से गूंज सकता है. इससे न केवल बाघों के संरक्षण कार्यक्रम को बल मिलेगा, बल्कि जयपुर आने वाले पर्यटकों को भी एक और रोमांचक अनुभव मिलेगा.

गुलाब और चमेली की कैमिस्ट्री बनी आकर्षण का केंद्र
डीसीएफ विजयपाल सिंह के अनुसार गुलाब और चमेली को पिछले वर्ष गोरेवाडा से यहां लाया गया था और तब से ही दोनों को क्वारेंटाइन और पर्यवेक्षण में रखा गया. धीरे-धीरे दोनों के बीच सहजता बनी और पिछले दिनों उन्हें खुले टाइगर सफारी एरिया में एक साथ छोड़ा गया. वहां इनकी बढ़ती नजदीकियों ने वन्यजीव विशेषज्ञों को यह संकेत दिया कि वे एक-दूसरे के अनुकूल हैं. मेटिंग की पुष्टि के बाद विशेषज्ञ अब संभावित प्रेग्नेंसी के संकेतों का अवलोकन कर रहे हैं.

नाहरगढ़ टाइगर कुनबा बना मिसाल
एसीएफ देवेंद्र सिंह राठौड़ और रेंजर शुभम शर्मा के अनुसार वर्तमान में नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बाघों का एक मजबूत कुनबा तैयार हो चुका है. यहां कुल 14 बाघ-बाघिन और शावक हैं जिनमें शामिल हैं - बाघ शिवाजी और गुलाब, बाघिन रंभा, रानी, भक्ति और चमेली. इनके अलावा सब-एडल्ट रणवीर, शावक भीम और स्कन्धी और रानी के हाल ही में जन्मे पांच नवजात शावक भी इस परिवार का हिस्सा हैं.

राजस्थान के टाइगर रिजर्व को भी पीछे छोड़ता नाहरगढ़
यह तथ्य हैरान करने वाला है कि राजस्थान में घोषित पांच टाइगर रिजर्व - रणथंभौर, सरिस्का, मुकुंदरा हिल्स, रामगढ़ विषधारी और करौली-धौलपुर में जहां कई स्थानों पर बाघों की संख्या सीमित है, वहीं नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में अकेले इतने बाघ-बाघिन मौजूद हैं कि यह कई टाइगर रिजर्व को पछाड़ चुका है. विशेषकर करौली-धौलपुर, मुकुंदरा और रामगढ़ विषधारी जैसे रिजर्व में जहां बाघों की उपस्थिति न्यूनतम है, वहीं नाहरगढ़ एक सफल ब्रीडिंग और कंजर्वेशन सेंटर के रूप में उभर कर सामने आया है.

वन्यजीव पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ अरविंद माथुर का कहना है कि यदि गुलाब-चमेली की जोड़ी से शावक पैदा होते हैं, तो इससे न केवल बाघों की आबादी में इज़ाफा होगा बल्कि टाइगर टूरिज्म को भी नई ऊर्जा मिलेगी. नाहरगढ़ पहले से ही जयपुर पर्यटन का प्रमुख केंद्र है और बाघों की बढ़ती संख्या इसे और भी आकर्षक बना रही है.

नज़रें अब अक्टूबर पर
अब सभी की निगाहें अक्टूबर के अंतिम सप्ताह पर टिकी हैं जब बाघिन चमेली खुशखबरी दे सकती है. दीपावली से पहले यदि नन्हे शावक जन्म लेते हैं तो यह वन विभाग और वन्यजीव संरक्षण प्रयासों के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी. नाहरगढ़ की बाघों वाली दीपावली इस बार वाकई खास होने जा रही है.