वंदे मातरम् के 150 वर्ष : CM भजनलाल शर्मा बोले- वंदे मातरम् केवल शब्दों का संग्रह नहीं, भारत की आत्मा का स्वर है

वंदे मातरम् के 150 वर्ष : CM भजनलाल शर्मा बोले- वंदे मातरम् केवल शब्दों का संग्रह नहीं, भारत की आत्मा का स्वर है

जयपुर : आज राष्ट्रीय गीत "वंदे मातरम्" के 150 साल पूरे हो गए हैं. इस अवसर पर जयपुर SMS स्टेडियम में राज्य स्तरीय समारोह मनाया जा रहा है. राज्य स्तरीय समारोह को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने संबोधित किया. मुख्यमंत्री ने सभी को वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर शुभकामनाएं दी. 

इस दौरान सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा कि "वंदे मातरम्" केवल शब्दों का संग्रह नहीं है, भारत की आत्मा का स्वर है. जिसने गुलामी की बेड़ियों में जकड़े देशवासियों के हृदय में स्वतंत्रता की ज्वाला प्रज्वलित की थी. 1875 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने “आनंदमठ” उपन्यास में यह गीत लिखा. उस समय यह गीत केवल शब्द नहीं था. बल्कि भारत की जागृत चेतना का घोष बन गया था. 

जब अंग्रेजों की सत्ता भारी थी, तब “वंदे मातरम्” के स्वर ने लाखों युवाओं के मन में यह विश्वास भरा. इस गीत को गाते हुए अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए. आज, जब इस अमर गीत को 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं, आइए हम संकल्प लें. “वंदे मातरम्” केवल एक नारा नहीं, बल्कि कर्तव्य, अनुशासन व मातृभूमि के प्रति समर्पण का प्रतीक बने.

यह गीत हमें केवल राष्ट्रभक्ति नहीं सिखाता. यह हमें याद दिलाता है कि हमारी मिट्टी, नदियां, वन, भाषा और संस्कृति, सब हमारी मां हैं. “वंदे मातरम्” का अर्थ केवल “मां को प्रणाम” नहीं है. बल्कि यह हर उस त्याग, हर उस कर्तव्य को नमन है जो हम इस धरती के लिए करते हैं.

बता दें कि आज राष्ट्रीय गीत "वंदे मातरम्" के 150 साल पूरे हो गए हैं. 7 नवंबर 1875 को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने गीत लिखा था.  ये सिर्फ गीत नहीं, राष्ट्र की पहचान, गौरव का शाश्वत प्रतीक है. रवींद्रनाथ टैगोर ने 1896 में कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में पहली बार गाया था. 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने इसे राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया.