जयपुरः संगठन सृजन अभियान के तहत जिला अध्यक्ष बनने के लिए दावेदारों को एक एग्जाम की तरह कई चुनौतियों से गुजरना होगा. सबसे पहले एक तीन पेज के आवेदन फार्म में दावेदारों से पार्टी ने कईं जानकारियां बाकायदा तथ्यों सहित लिखित में मांगी है. मसलन आपके खिलाफ कोई मुकदमा तो दर्ज नहीं है और पार्टी में कभी अनुशासन का डंडा तो नहीं चला. लास्ट फेज में फिर टॉप थ्री में नाम आने पर ही नैया पार होगी.
गुजरात मॉडल के तहत राजस्थान में भी कांग्रेस हाईकमान ने नए जिला अध्यक्षों के चयन के लिए संगठन सृजन अभियान शुरु कर दिया है. तमाम एआईसीसी पर्यवेक्षक अपने संबंधित जिलों के दौरे करते हुए रायशुमारी में जुटे हुए हैं. सभी से चर्चा करने ने के बाद पर्यवेक्षकों को 20 अक्टूबर तक दिल्ली में आखिरी रिपोर्ट देनी है. वहीं अभियान के तहत जिला अध्यक्ष के दावेदारों की धड़कनें और टेंशन बढ़ी हुई है. क्योंकि जिले के कप्तान बनने के लिए कई बाधाओं को पार करना होगा.
जिलों के कैप्टन बनने के लिए दावेदारों को गुजरना होगा कई चुनौतियों से
दावेदारों को सबसे पहले 3 पेज के फार्म के साथ करना होगा आवेदन
आवेदन फॉर्म में दावेदारों को देनी होगी कईं अहम डिटेल
पासपोर्ट फोटो सहित पर्सनल डिटेल मांगी गई नेताजी से
फॉर्म में 11 सवालों के जवाब और जानकारी देनी होगी दावेदारों को
आपराधिक मामले दर्ज होने की देनी होगी पूरी डिटेल
समाज सेवा से जुड़े कामों का मांगा रिकॉर्ड
पहले किसी सियासी पार्टी से सदस्य रहने का भी देना होगा रिकॉर्ड
पार्टी छोड़ने और निष्कासित करने का भी मांगा ब्यौरा
पार्टी के किसी ट्रेनिंग कैंप में हिस्सा लेनी की भी देनी होगी डिटेल
पहले किन-किन पदों पर चुनाव लड़ा यह जानकारी भी मांगी आवेदन फॉर्म में
दावेदारों को अपने प्रोफेशन से जुड़ी निजी जानकारी भी देनी होगी आवेदन में
गलत जानकारी देने पर फिर बढ़ सकती है दावेदारों की मुश्किलें
इतनी सारी जानकारी मांगने के चलते दावेदारों की मुश्किलें बढ गई है. लिहाजा दावेदार अभी तो अपना पुराना रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं. अब दावेदार इस दुविधा में है कि आवेदन फॉर्म भरने का काम करें या जिला अध्यक्ष बनने के लिए पदाधिकारियों और नेताओं को मैनेज करें. आपको बता दे कि यह आवेदन फॉर्म कांग्रेस हाईकमान ने उन तमाम राज्यों में भी भेजे थे जहां संगठन सृजन अभियान लागू हुआ था. सबसे ज्यादा चिंता आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को हो रही है. क्योंकि क्राइम रिकॉर्ड होने से कईं दावेदारी ना उड़ जाए.
यह आवेदन फार्म भरने के बाद दावेदारों की दूसरी मुश्किल होगी पर्यवेक्षकों की रायशुमारी में नाम सामने आए. उसके बाद आखिरी चरण होगा पैनल में टोटल छह नामों में से टॉप थ्री में कैसे भी नाम आ जाए. क्योंकि जब दिल्ली में वेणुगोपाल पर्यवेक्षकों से वन टू वन फीडबैक लेंगे तब पहले तीन नामों में से ही एक दावेदारों को जिला अध्यक्ष बनाया जाएगा. अब देखते हैं गुजरात मॉडल के तहत दावेदारों कैसे इन स्टेप्स को पार करते हैं.
जिला अध्यक्ष बनने के लिए दावेदारों को गुजरना होगा कईं बाधाओं से
तीन पेज के आवेदन फॉर्म में मांगी कईं अहम जानकारियां
आपराधिक केस,चुनावी अनुभव और सामाजिक कार्यों की मांगी डिटेल
किसी अन्य दल के सदस्य रहने की भी देनी होगी जानकारी
पार्टी छोड़ने औऱ निष्कासित करने का भी देना होगा ब्यौरा
गलत जानकारी देने पर फिर बढ़ सकती है मुश्किलें