जयपुर: बांसवाड़ा जिले के भुकिया-जगपुरा गांव में सोने की खदान की नीलामी के साथ ही नया विवाद खड़ा हो गया है. ऑस्ट्रेलिया की मिनरल कंपनी ने इस खदान पर अपना हक जताते हुए अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया है. हालांकि खान विभाग ने इस दावे को खारिज कर दिया है और एलओआई जारी करने के लिए मुख्यमंत्री व खान मंत्री से मंजूरी मांगी है.
17 मई 2024 को हुई ऑनलाइन नीलामी:
- रतलाम की फर्म सैयद ओवैस अली ने रिजर्व प्राइस की 65.30 फीसदी लगाई बोली
- 22 जून 2024 को फर्म को प्रिफर्ड बिडर किया गया घोषित
- 5 जुलाई 2024 को खान विभाग में 100 करोड़ की पहली किस्त जमा कराई
- राज्य सरकार को एलओआई मंजूरी के लिए 15 जुलाई 2024 को भेजा प्रस्ताव
- एलओआई क्षेत्र में 6.2703 हैक्टेयर चरागाह भूमि
- 606.2817 वन भूमि और 2.3428 आबादी भूमि
- खदान का कुल क्षेत्र है गनोड़ा और घाटोल की 940.26 हैक्टेयर भूमि
- ऑस्ट्रेलियाई खनन कंपनी वर्ष 2012 में उच्च न्यायालय गई
- पिछले वर्ष उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया
- ऐसे में अब ऑस्ट्रेलियाई कंपनी जानबूझकर अडंगा लगाने के प्रयास में
बांसवाड़ा के भूकिया-जगपुरा में प्रदेश की सोने की पहली खदान में ऑस्ट्रेलिया की एक कंपनी अड़चन लगाने के प्रयास में है. हालांकि खान विभाग ने नीलामी की प्रक्रिया पूरी कर ली है और राज्य सरकार के पास एलओआई जारी करने के लिए प्रस्ताव भी भेज दिया है. खास बात यह है कि रतलाम की फर्म सैयद ओवैस अली ने खान विभाग को पहली किस्त के तौर पर 100 करोड़ रुपए जमा भी करा दिए हैं. दरअसल खान विभाग ने वर्ष 2010 में ऑस्ट्रेलियाई कंपनी से सर्वेक्षण करवाया था. इस कंपनी ने यहां खनन के अधिकार भी मांगे और नहीं मिलने पर वर्ष 2012 में हाईकोर्ट की शरण ली. पिछले वर्ष हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया.
अब जब खान विभाग ने तमाम कानूनी अड़चन दूर होने के बाद इस खदान को नीलाम किया तो ऑस्ट्रेलियाई कंपनी फिर सक्रिय हो गई. प्रारंभिक सर्वेक्षण करने वाली ऑस्ट्रेलियाई मिनरल खनन कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया है. खनन निदेशक भगवती प्रसाद कलाल का कहना है कि बांसवाड़ा जिले में सोने की खदान से अगले 50 वर्षों में 1 लाख करोड़ रुपए की आय होने की उम्मीद है. रतलाम स्थित फर्म ने 65.30 प्रतिशत के उच्चतम प्रीमियम के साथ भुकिया-जगपुरा सोने की खदान की नीलामी जीती.
खदान में 113.52 मिलियन टन स्वर्ण अयस्क होने का अनुमान है, और कानूनी बाधाओं को दूर करने के बाद नीलामी आयोजित की गई थी. निदेशक भगवती प्रसाद कलाल का कहना है कि जब राज्य सरकार ने ऑस्ट्रेलियाई खनन कंपनी को परियोजना आवंटित नहीं की, तो वह 2012 में उच्च न्यायालय चली गई. पिछले साल, 2023 में, उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया. यह खदान राज्य के राजस्व के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगले 50 वर्षों में इससे 1 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है.
सोने के अलावा, इस क्षेत्र में 1.74 लाख टन से अधिक तांबा, 9,700 टन से अधिक निकल और 13,500 टन से अधिक कोबाल्ट होने का अनुमान है. सूत्रों का कहना है कि जब खनन शुरू हो जाएगा, तो यह प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से लगभग 50,000 युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा और औद्योगिक निवेश को आकर्षित करेगा. खदान से प्राप्त सह-खनिज भी एयरोस्पेस, इलेक्ट्रॉनिक्स और आभूषण जैसे उद्योगों में राजस्व और रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा करेंगे. हालांकि राइजिंग राजस्थान के आयोजन से पहले सरकार एलओआई जारी करने से बचना चाहेगी लेकिन सूत्रों का कहना है कि एलओआई में देरी से सरकार और अधिकृत फर्म दोनों को ही राजस्व नुकसान होगा.