बीकानेर की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में भारत-जापान का 'धर्मा गार्डियन' युद्धाभ्यास, दोनों देशों के जवानों ने दिखाया युद्ध कौशल

बीकानेर: बीकानेर का महाजन फील्ड फायरिंग रेंज एक बार फिर बम धमाकों, गोलियों की गड़गड़ाहट के साथ गूंज उठा. मौका था भारत-जापान के संयुक्त सैन्य अभ्यास 'धर्मा गार्डियन' के आयोजन का, जिसमें भारतीय सेना और जापान ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स के 40 सैनिकों ने अपना युद्ध कौशल दिखाया और एक-दूसरे की युद्ध प्रणाली को समझते हुए साझा किया. आज इस संयुक्त युद्धाभ्यास का सफलतापूर्वक समापन हुआ. हाल ही में भारत और सऊदी अरब की सेनाओं का संयुक्त युद्धाभ्यास भी सदा तनसिक भी  आयोजित हुआ था. 

भारतीय सेना और जापान ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स के बीच पांचवे संयुक्त सैन्य अभ्यास 'धर्मा गार्डियन' महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ. इस संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच अंतर संचालनीयता हासिल करना और संयुक्त राष्ट्र के आदेश के तहत परिचालन प्रक्रियाओं और युद्ध अभ्यासों से एक-दूसरे को परिचित कराना रहा. इस संयुक्त अभ्यास में भारत की राजपुताना राइफल्स बटालियन और जापान के पक्षों से 40 सैनिकों ने हिस्सा लिया. युद्धाभ्यास में शामिल सैनिकों ने अपने अनुभव साझा किये.

संयुक्त राष्ट्र के आदेश के तहत अर्ध-शहरी वातावरण में संयुक्त अभियानों को अंजाम देने के लिए सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना और संयुक्त क्षमताओं को बढ़ाना था. दो चरणों में आयोजित यह अभ्यास शुरू में कॉम्बैट कंडीशनिंग और कार्यनीतिक प्रशिक्षण पर केंद्रित था, जिसे दोनों टुकड़ियों ने सफलतापूर्वक पूरा किया. संयुक्त गतिविधियों में अस्थायी ऑपरेटिंग बेस स्थापित करना, खुफिया निगरानी ब्रिड बनाना, मोबाइल वाहन चेक पोस्ट स्थापित करना, एक शत्रुतापूर्ण गांव में कॉर्डन और सर्च ऑपरेशन को अंजाम देना, हेनिबोर्न ऑपरेशंस और बिल्डिंग इंटरवेन्शन अभ्यास आयोजित किये गए. 

इस संयुक्त युद्धाभ्यास 'धर्मा गार्डियन' के समापन समारोह का आयोजन वैधता अभ्यास 'के समापन के बाद किया गया, इसमें उत्कृष्ट सैनिकों की सराहना की गई और मौद्रिक अनुभव और अभ्यास के मौल्यवान अनुभवों का एक मंच प्रदान किया. इस मौके पर एक आयुद्ध और सामग्री प्रदर्शन और आत्मनिर्भर भारत "और मेक इन इंडिया का प्रदर्शन किया गया, जिसने राष्ट्र की समृद्धि और बड़ती औद्योगिक क्षमता को दर्शाया. यह संयुक्त युद्धाभ्यास भारत-जापान दोनों देशों के लिए सघन मोमेंट, द्विपक्षीय संबंधों में मील का पत्थर साबित होगा और आंतरिक संबंधों को मजबूत करने में सहायक बनेगा.